बिहार में साइबर ठगी का गजब केस, पांच साल पुराने मामले में पार कर दिए 11 लाख रुपये
साइबर ठग अब फॉलोअप भी करने लगे हैं। ऐसे ही एक मामला बिहार के बेगूसराय से सामने आया। एक महिला ने साल 2019 में आंगनबाड़ी सुपरवाइजर पद के लिए फार्म भरा था। ठग ने ये जानकारी कहीं से हासिल कर ली। नौकरी दिलाने के नाम पर उसने फोन किया और धीरे-धीरे कर 11.55 लाख पार कर दिए।
जागरण संवाददाता, बेगूसराय। साइबर ठग पैसों के लिए रोज नई-नई तरकीब अपनाते हैं। बिहार में ऐसा ही एक नया केस सामने आया है। यहां 2019 में आंगनबाड़ी सुपरवाइजर पद के लिए फार्म भरी महिला के मामले में उसके पति को ठग लिया। बारी-बारी से पैसा गंवाने के बाद पीड़ित को पता चला कि उसके साथ क्या हुआ है।
11.55 लाख रुपये की लगी चपत
दरअसल, एक अनजान फोन काल से अपनी पत्नी के आंगनबाड़ी सुपरवाइजर पद पर चयन होने की सूचना बिना सत्यापन विश्वास करने के कारण वीरपुर निवासी एक युवक को 11.55 लाख की चपत लगी है। साइबर ठगों ने 2009 में सुपरवाइजर पद पर उनकी पत्नी द्वार आवेदन किए जाने और चयन होने की जानकारी देेकर अपने जाल में फांस लिया। इसके बाद अलग-अलग तिथियों के अलग-अलग बहाने से आनलाइन रुपये मंगाया जाने लगा। बड़ी रकम भेज चुकने के बाद जब उनकी अक्ल वापस लौटी, तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
दो अगल-अलग नंबर से किया फोन
मिली जानकारी के अनुसार बीते 24 जनवरी को उनके मोबाइल पर दो अलग-अलग नंबर से फोन आया और फोन करने वाले ने 2019 में आंगनबाड़ी सुपरवाइजर पद के लिए भरे गए फार्म की जानकारी देते हुए उसका परीक्षा फल आने और उनकी पत्नी के चयन की जानकारी दी।
मेल करके भी बनाया बेवकूफ
इसके बाद साइबर ठग ने फोन काट कर एक मेल भेजा। पांच फरवरी को अनजान नंबर से फोन कर ज्वाइनिंग लेटर बनाने के नाम पर 48 हजार रुपये, सिक्यूरिटी मनी के लिए 35 हजार, 13 फरवरी को काउंसलिंग व मुहर के नाम पर एक लाख 20 हजार रुपये, 19 फरवरी को डाक्यूमेंट वेरिफिकेशन के नाम पर दो लाख 40 हजार रुपये, 27 फरवरी को रिफंडेबल ट्रेनिंग चार्ज के रूप में एक लाख 70 हजार 700 रुपये, तीन मार्च को ट्रेनिंग चार्ज की राशि दुबारा मंगाई गई और 25 मार्च को ज्वाइनिंग होने की बात कही गई।
मेडिकल के नाम पर दो लाख मांगे
25 मार्च को दो बार ट्रेनिंग चार्ज जमा होने के कारण एनओसी लेने के नाम पर एक लाख 86 हजार 500 रुपये, आठ अप्रैल को मेडिकल के नाम पर दो लाख मंगवा लिया। सभी लेन- देन छह खाता में कराया गया है। इसके बाद 16 अप्रैल को जब अवैध तरीके से तीन लाख रुपये की मांग की गई, तब उन्हें जालसाजी का अहसास हुआ। उन्होंने 17 अप्रैल को टाल फ्री नंबर 1930 पर फोन कर शिकायत करते हुए साइबर थाना में प्राथमिकी कराई है।
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