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    कुछ अलग करने का जुनून सीखना हो तो कलाम को देखें

    हम अपनी अलग पहचान तभी बना सकते हैं, जब हमारे भीतर जोखिम लेने का साहस हो। प्रत्येक व्यक्ति के अंदर अस

    By Edited By: Updated: Tue, 08 Nov 2016 08:22 PM (IST)

    हम अपनी अलग पहचान तभी बना सकते हैं, जब हमारे भीतर जोखिम लेने का साहस हो। प्रत्येक व्यक्ति के अंदर असीम प्रतिभा छिपी होती है, जो व्यक्ति नया और अलग करने के साथ जोखिम उठाकर आगे बढ़ने का प्रयास करता है, उसे निश्चित रूप से सफलता मिलती है, और वह सफलता की बुलंदियों पर पहुंच कर समाज एवं देश में अपनी अलग एवं विशिष्ट छवि बनाते हैं। वह अपनी अलग छवि बनाकर समाज एवं देश में अति सम्मानित व्यक्तियों की कतार में आ जाते हैं। सरदार वल्लभ भाई पटेल कहा करते थे कि यह सच है कि पानी में तैरने वाले ही डूबते हैं, किनारे खड़े रहने वाले नहीं, मगर किनारे खड़े रहने वाले कभी भी तैरना नहीं सीख सकते। कुछ पाने के लिए कुछ करना अति आवश्यक है। यदि मन में ठान लें तो कोई भी कठिन काम आप कर सकते हैं। जब आप कोई ऊंचा अथवा कठिन लक्ष्य निर्धारित करते हैं, तो सबसे पहले आपको प्राथमिकताएं निर्धारित करनी होंगी । लक्ष्य प्राप्ति हेतु क्रमबद्ध तरीके से योजनानुसार एवं प्राथमिकताओं के आधार पर अपनी कार्य योजना को वास्तविक रूप में अमल करेंगे, तो निश्चित ही आप सफलता के साथ लक्ष्य प्राप्त कर सकेंगे। खतरे उठाकर ही ¨जदगी जी जाती है। दुनिया में जितने भी महापुरुष हुए हैं, वे सभी कठिन संघर्ष के दौर को पार करके ही महापुरुष बन सके। आजादी की लड़ाई में यदि स्वतंत्रता संग्राम में सेनानियों ने खतरे न उठाए होते तो अंग्रेजों को इस देश से बाहर कर पाना असंभव था। असीमित खतरों के साथ अपनी जान को जोखिम में डाल कर ही आजादी के दीवाने इस देश को स्वतंत्रता दिलाने में सफल हो सके। अभी हाल में डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम इस देश के युवाओं की प्रेरणा बने। उन्होंने अपने जीवन में जिस तरह चुनौतियों को पीछे छोड़ा, वह अनुकरणीय है। सुविधाओं एवं संसाधनों के नितांत अभाव में जीते हुए भी उन्होंने अपना लक्ष्य ऊंचा बनाए रखा और उसी के अनुरूप वह आगे बढ़ते चले गए। उन्होंने अपने जुनून को कम नहीं होने दिया। नए और अलग करने के जज्बे के साथ निरंतर जोखिम उठाते हुए वे देश के सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिक बने। मिसाइल मैन के नाम से प्रसिद्ध हुए। देश को परमाणु संपन्न बना कर दुनियां के शक्तिशाली देशों की श्रृंखला में अग्रणी बना दिया। इतना ही नहीं वह देश के सर्वोच्च पद राष्ट्रपति के रूप में पूरी दुनिया में विख्यात हुए। स्वार्थों को त्याग कर दृढ़ इच्छाशक्ति, आत्म विश्वास के साथ निरंतर आगे बढ़ने का संकल्प लेने वाले व्यक्ति ही महान कहलाते हैं। दुनिया में जितने भी आविष्कार हुए हैं अथवा जितने भी नोबेल पुरस्कार प्राप्त हस्तियां हैं, या ओलम्पिक जैसे खेल के आयोजनों में पदक विजेता रहे हैं, उन सभी के जीवन पर हम यदि नजर डालें तो हम पाएंगे कि वे सभी साधारण परिवारों से ऊपर केवल अपनी ²ढ़ इच्छा शक्ति, जुनून एवं कुछ नया करने के संकल्प के साथ योजनाबद्ध तरीके से असफलताओं से हार न मानते हुए निरंतर आगे ही आगे बढ़ते गए। उन्होंने पीछे मुड़ कर नहीं देखा। फलस्वरूप बुलंदियों के शिखर पर पहुंच कर उन्होंने अपना लक्ष्य हासिल कर लिया। ऐसे ही व्यक्तियों को ही भविष्य में लोग याद करते हैं। हम शिक्षकों का भी नैतिक दायित्व है कि हम प्रारंभ से ही बच्चों में अच्छे संस्कारों के साथ ही ऊंचे लक्ष्य बनाकर उन्हें उसी के अनुरूप निरंतर आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा दें। बच्चों की इस कार्य में मदद करते हुए ²ढ़ इच्छा शक्ति की भावना जागृत करें। उन्हें समझायें कि कभी भी असफलता के डर से लक्ष्य से पीछे न हटें। बच्चों को हौसले, जोश, जज्बे और कुछ अलग करने के जुनून से राष्ट्र एवं समाज के उत्थान में सहभागिता सुनिश्चित करने की सीख दें। निजी स्वार्थों को त्याग कर ²ढ़ इच्छाशक्ति, आत्म विश्वास के साथ आगे बढ़ने का संकल्प दिलायें। ऐसा करने से बच्चों को वह सभी कुछ हासिल होगा जिसका सपना उनके अभिभावक देखते हैं। इससे देश एवं समाज का भी उत्थान हो सकेगा।

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