जूनियर जागरण : युवा असंतोष : कारण और समाधान
हमारे देश भारत एक मजबूत केंद्रीय शासन के अंदर प्रशांत और प्रसन्न है, किंतु थोड़ा भी गौर करने पर ऐसी ब
हमारे देश भारत एक मजबूत केंद्रीय शासन के अंदर प्रशांत और प्रसन्न है, किंतु थोड़ा भी गौर करने पर ऐसी बात दिखाई नहीं पड़ती। सारा देश असंतोष-विशेषन: युवा असंतोष के ज्वालामुखी पर बैठा है। और इसके परिणाम के कारण दिन-रात आंदोलन के तप्त लावे उठ रहे हैं। यह एक युवा पीढ़ी आजादी के पश्चात एक नई पीढ़ी है। यह पीढ़ी विश्वविद्यालयों में हैं, कल-कारखानों में है, विभिन्न नौकरियों तथा व्यवसायों में है। यह पीढ़ी देश में बढ़ रही भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, महंगाई, गरीबी, पक्षपात इत्यादि के बाद ही अपना शेष और व्यक्त करती है।
इस रोष के कारण ही विभिन्न कार्यालयों, कारखानों में हड़ताल की जा रही है। सिर्फ इस रोष के कारण बस जलाए जा रहें है, विश्वविद्यालय का बहिष्कार किया जा रहा है। युवा असंतोष का एक ही कारण नहीं है। इसका कारण यह भी है कि प्रतियोगिताओं में कुछ लोगों को पैरवी, पैसा, जाति और गुट के नाम पर भले ही नौकरी मिल जाए पर सारे युवाओं का भविष्य अंधकारात्मक होता जा रहा है। युवाओं का सरकार के प्रति जो विश्वास है वह छिन्न-भिन्न हो गया है। भ्रष्ट राजनीतिज्ञों ने नई प्रतिभाओं के लिए राजनीति का भी फाटक बंद सा कर दिया है।
युवा पीढ़ी के सामने देश की विकराल समस्या समाधान मांग रही है। बड़े-बड़े अधिकारी रिश्वत के बल पर मौज-मजे में अपनी जिंदगी बिता रहे हैं। इसलिए असंतोष के कारणों को समाप्त किए बिना देश में शांति स्थायी नहीं हो सकती। अत: शिक्षा की ऐस व्यवस्था करनी पड़ेगी जिससे कोई भी बेरोजगार न रहे। सरकार को युवा शक्ति का प्रयोग ध्वंसलीला के लिए नहीं, वरन निर्माण के लिए करना पड़ेगा।
अपुर्वा मिश्रा
वर्ग : 9
'जीवन गीत हो तो'
यदि जीवन प्रश्न है तो हल करो।
यदि जीवन पवित्र है तो पूजा करो।।
यदि जीवन चुनौती है तो स्वीकार करो।
यदि जीवन स्वप्न है तो साकार करो।।
यदि जीवन अवसर है तो लाभ-उठाओ।
यदि जीवन नाव है तो पार लगाओ।।
यदि जीवन गुत्थी है तो सुलझाओ।
यदि जीवन खेल हे तो मजकर खेलो।।
यदि जीवन कष्ट है तो साहस से झेलो।
यदि जीवन गीत है तो जमकर प्रेम से गाओ।
यदि जीवन पुस्तक है तो पढ़ो मनोयोग ससे।।
यदि जीवन विष है तो अमृत बनाओ।
यदि जीवन संदेश है तो फैलाओ वेग से।।
रवि चन्द चन्द्रा
वर्ग : 9
होली क्रॉस इंटरनेशनल स्कूल, पटना
कविता
आज का स्टूडेंट
दिमाग में भेकेंट, वर्ग में अबसेंट
कपड़ों में होना चाहिए चार्ली सेंट,
पहनेगा रंग उड़ा हुआ जिंस पैंट
उनको अवश्य होना चाहिए एक .......
यही है आज का स्टूडेंट
होना चाहिए रंगीन इंभारमेंट
लड़की हो या मैडम सब पर करेगा कामेंट
मौका मिलते ही कर देगा एक्सीडेंट
यही है आज का स्टूडेंट
खा-पीकर बना लेगा अपना शरीर सक्सेसफुल
परीक्षा का नाम पर लग जाता है बुखार 5 मिनट पढ़ते-पढ़ते ही लेगा 440 वोल्ट का करेंट
इसलिए तो उसका दिमाग होता है भेकेंट
30 फिल्में पर मंथ देखकर
बढ़ा लेगा एकनोलोजमेंट
शाहरुख खान का स्टाईल मारेगी हर मोमेंट
दीपिका पादोकोन का न जाएगा लव फ्रेंड
अपने दिमाग में हर दम रखेगा लड़की प्रसेंट बिना पढे़ ह खोजेगा इम्पलाईमेंट
यही है आज का स्टूडेंट..
कोई बन जाएगा सीलर ऑफ कामेंट
तो कोई कर देगा पान दुकान का डिभलोपमेंट
तो कुछ बन जाएगा सोसल एलिमेंट
इसलिए तो रुक गया है, देश का डेभलोपमेंट।
मानसी
वर्ग : 8
होली क्रास इंटरनेशनल स्कूल
(14 नवम्बर 'बाल दिवस' बच्चों का दिन)
1. वत्सल कुमार, वर्ग : 4 एफ, रेडिएंट इंटरनेशनल स्कूल : 14 नवम्बर के दिन स्कूल में हम बच्चों को चॉकलेट मिलता है। केक खाने को मिलता है और पार्टी होती है। हम बच्चे क्लास रूम को बैलून से सजाते हैं। लंच के बाद एम.पी. थियेटर में बच्चे एवं टीचर मिलकर डांस करते हैं। पिछले 'बाल दिवस' पर मैंने मम्मी-पापा से खिलौना गाड़ी, बी.एम.डब्ल्यू खरीदवाया था। इस बार प्लानिंग है फरारी खरीदवाने की।
2. दर्श दिपेश, वर्ग : 2 बी, पटना सेंट कैरेंस प्राइमरी स्कूल : 14 नवम्बर को 'बाल दिवस' मनाया जाता है क्योंकि इस दिन नेहरू जी का जन्म दिन है। और वे बच्चों से बहुत प्यार करते थे। मम्मी ने बताया कि वो हमारे देश के प्रथम प्रधानमंत्री थे। मैंने भी सुना है सभी उन्हें चाचा कहते हैं। वो कुर्ता पाजामा, सिर पर टोपी पहनते थे। वे अपनी ऊपर की जेब में गुलाब लगाते थे। इस दिन स्कूल में हम बच्चे पढ़ाई कम और मस्ती ज्यादा करते हैं।
3. आदर्श नाथ, वर्ग : 1 सी, संत पॉल्स स्कूल : मेरे स्कूल में 'बाल दिवस' के दिन फैन्सी ड्रेस कंप्टीशन होगा। जिसमें लड़के शेर, क्रिश व स्पाइडर मैन बनेंगे और लड़कियां प्रिंसेज व एंजल बनेंगी। मैं इस दिन स्कूल नहीं जाऊंगा क्योंकि मुझे अपने कॉलोनी फ्रेंड के साथ छत पर पार्टी मनानी है। इस दिन हम नए कपड़े पहनेंगे, खाना-पीना करेंगे फिर गेम खेलेंगे। बाद में अपनी गली में साइकिल रेस करेंगे जिसमें अपना स्टंट दिखाना है। शाम में कार्ड बनाकर अपने-अपने फ्रेंड्स को देंगे।
4. अंशु कुमारी, यू.के.जी., संत जेवियर्स स्कूल : इस दिन हम बच्चे सिर्फ मस्ती करते हैं। घर में भी और स्कूल में भी। फिर भी टीचर हमें नहीं डांटती। इस दिन मेरे स्कूल में खेल-कूद प्रतियोगिता होने वाली है। वैसे मुझे खेलने से ज्यादा झूला-झूलना पसंद है।
5. कुंदन कुमार, वर्ग : 8, राजकीय मध्य विद्यालय, नवीन अरक्षी केंद्र : मैं देखता हूं कि इस दिन अंग्रेजी मीडियम स्कूल के बच्चों और अमीर घरों के बच्चों के सपने पूरे होते हैं। वे मिठाई-चॉकलेट, केक खाते हैं। खूब मजा करते हैं। लेकिन हमारी ही उम्र के कई बच्चे इस दिन भी स्कूल जाने की बजाए मेहनत-मजदूरी करते हैं। दूसरे बच्चों को देखकर तरसते हैं। मुझे यह अच्छा नहीं लगता। मैं चाहता हूं कि गरीब बच्चों को भी स्कूल में पढ़ाया जाए, उन्हें अच्छी बातें सिखाई जाएं। हमारे मंत्री पुलिस ऐसा करा सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो 'बाल दिवस' मनाने में खुशी महसूस होगी।
प्रस्तुति : राकेश सिंह 'सोनू'
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