Bihar Chunav: बांका की सियासत में माननीयों के पुत्रों की दस्तक, किसका होगा दबदबा?
बांका में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर सियासत गरमा गई है। कई नेता अपने पुत्र-पुत्रियों को राजनीति में आगे बढ़ा रहे हैं। पूर्व सांसद दिग्विजय सिंह की पुत्री श्रेयसी सिंह विधायक हैं तो वहीं जर्नादन मांझी के पुत्र जयंत राज मंत्री हैं। संजय प्रसाद यादव और गिरिधारी यादव भी अपने पुत्रों को चुनावी मैदान में उतारने की तैयारी में हैं। युवाओं की एंट्री से चुनावी माहौल दिलचस्प हो गया है।
बिजेन्द्र कुमार राजबंधु, बांका। आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर बांका की सियासत में अब नई पीढ़ी की एंट्री तेजी से हो रही है।
कई माननीयों ने अपने पुत्र–पुत्रियों को राजनीति की राह पर आगे कर रहे हैं। इनमें से कुछ पहले ही सफलता पा चुके हैं, जबकि कुछ अभी तैयारी और जनसंपर्क में जुटे हैं।
बांका के पूर्व सांसद दिग्विजय सिंह और पूर्व सांसद पुतुल कुमारी की पुत्री श्रेयसी सिंह जमुई से भाजपा की विधायक हैं। इस बार उनके चुनावी सफर की दूसरी पारी होगी।
अमरपुर विधानसभा के पूर्व विधायक जर्नादन मांझी ने पिछली बार खुद चुनाव न लड़कर अपने पुत्र जयंत राज को मैदान में उतारा था। वर्ष 2020 के चुनाव में जयंत की जीत हुई और वे फिलहाल बिहार सरकार में भवन निर्माण मंत्री हैं। पुन: चुनाव मैदान में उतर रहे हैं।
इसी तरह झारखंड सरकार में मंत्री और बांका के ढ़ाकामोड़ गांव निवासी संजय प्रसाद यादव अपने पुत्र रजनीश को राजनीति में उतारने की तैयारी में हैं। लंदन से पढ़ाई कर लौटे रजनीश इन दिनों कहलगांव विधानसभा क्षेत्र में लगातार जनसंपर्क कर रहे हैं।
वहीं, बांका के जदयू सांसद गिरिधारी यादव अपने छोटे बेटे चाणक्य प्रकाश को बेलहर से चुनाव लड़ाने की तैयारी में हैं।
विदेश में पढ़ाई के बाद भी राजनीति की राह चुनी
चाणक्य की भी पढ़ाई लंदन में हुई है। इन दिनों चाणक्य भी स्थानीय स्तर पर बेलहर विधान सभा क्षेत्र में जनसंपर्क अभियान शुरू कर दिया है।
जिला परिषद अध्यक्ष राजेन्द्र यादव भी कभी बहुजन समाज पार्टी से चुनाव लड़े थे। सफलता नहीं मिलने पर इस बार अपने पुत्र शरद यादव को चुनाव मैदान में उतारने को लेकर तैयारी में है। इसको लेकर फुल्लीडुमर से लेकर कई क्षेत्रों में सांस्कृतिक कार्यक्रम से लेकर होली मिलन समारोह की परंपरा निभाते रहे।
बांका जिला में पांच विधानसभा सीट
दरअसल, बांका जिला में पांच विधानसभा क्षेत्रों की संख्या है। इनमें में दो पर भाजपा, दो पर जदयू और एक सीट पर राजद का कब्जा है।
वर्ष 2020 के चुनाव में उम्र का हवाला देकर अमरपुर से जदयू विधायक जर्नादन मांझी चुनाव नहीं लड़े थे। उन्होंने अपने एकलौते पुत्र जयंज राज को लड़ाया था। चुनाव में जयंत की जीत हुई थी और बिहार सरकार में वर्तमान में भवन निर्माण मंत्री हैं। वैसे चुनाव के एक साल बाद जर्नादन मांझी का निधन हो गया था।
बांका के पूर्व सांसद दिग्विजय सिंह की पत्नी पुतुल कुमारी लोक सभा क्षेत्र से चुनाव की तैयारी में थी। लोक सभा में यह सीट जदयू के कोटे में जाने पर निर्दलीय लड़ी थी। इसमें सफलता नहीं मिलने पर उन्होंने अपनी छोटी पुत्री श्रेयसी सिंह को जमुई से भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ाया। वे जीतकर विधानसभा चली भी गई।
जर्नादन यादव ने भी अपने छोटे पुत्र को मैदान में उतारा
पूर्व राज्य सभा सदस्य जर्नादन यादव ने भी अपने छोटे पुत्र मनोज यादव को चुनाव मैदान में उतारा। बेलहर, कटोरिया विधान सभा से मनोज लड़ते रहे, पर सफल नहीं हुए। सीट जदयू में जाने के कारण फिलहाल उनकी सक्रियता पार्टी में बनी हुई है।
बेलहर से तीन बार के विधायक रहे गिरिधारी यादव फिलहाल सांसद हैं। वे भी अपने पुत्र चाणक्य प्रकाश को बेलहर से चुनाव लड़ाना चाहते हैं। फिलहाल बेलहर से जदयू विधायक मनोज यादव हैं। ऐसी स्थिति में चाणक्य किसी दूसरे दल से लड़ सकते हैं।
कटोरिया के पूर्व विधायक भोला यादव, धोरैया के पूर्व विधायक नरेश दास के पुत्र भी पंचायत चुनाव की राजनीति में सक्रिय रहे हैं। अब बांका की राजनीति में इन युवाओं की एंट्री को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। अब देखना होगा कि अगला चुनाव इन युवाओं के लिए कितना मुफीद साबित होता है।
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