बांका की तीन रेल परियोजना अब भी ठंडे बस्ते में
बांका। बांका-नवादा रेल परियोजना के सर्वे का काम पूरा होने से इसके निर्माण का रास्ता साफ हो गया है।
बांका। बांका-नवादा रेल परियोजना के सर्वे का काम पूरा होने से इसके निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। बांका से नवादा-झाझा व जमुई 165 किलोमीटर तक बनने वाली इस रेल परियोजना से बांका के अलावा कई जिलों के जुड़ने से यहां के भी विकास का नया द्वार खुलेगा। जिसके सर्वे की स्वीकृति 2013-14 में दी गई थी । लेकिन इसके साथ ही पूर्व रेल राज्य मंत्री दिग्विजय ¨सह के प्रयास से यहां बांका-भितिया, बांका-पश्चिम चंपारण एवं बांका-सुल्तानगंज रेल परियोजना का भी प्रस्ताव दिया गया था। लेकिन आज तक ये रेल परियोजना ठंडे बस्ते में बंद है। जबकि इस रेल परियोजना के शुरु होने से विकास के क्षेत्र में बांका जिला नया मुकाम हासिल करेगा। जिसकी शुरुआत दिग्विजय ¨सह ने की थी। लेकिन उनके देहांत के बाद इस दिशा में कोई पहल नहीं हुआ।
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बांका-भितिया रेल परियोजना को मिली थी मंजूरी :
25 किलोमीटर लंबी बनने वाली बांका-भितिया रेल परियोजना का प्रस्ताव पूर्व रेल राज्य मंत्री दिग्विजय ¨सह ने देते हुए 2003 में इसकी आधारशीला भी रखी थी। इसमें कई मंत्री भी शामिल हुए थे। जिसके सर्वे की स्वीकृति भी दे दी गई थी। इसे पूरा भी कर लिया गया। यहां तक रेलवे के नक्शे पर भी यह परियोजना दर्ज है। जिसमें बांका के अलावा भितिया को जंक्शन बनाते हुए इसे गोड़ा एवं पोखरिया स्टेशन से होकर गुजरना था। रेलवे ने इसका बुकलेट भी प्रकाशित किया था। जिसमें रेल परियोजना के भूमि अधिग्रहण से पुल-पुलिया के निर्माण का खाका अंकित है।
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अधर में बांका-सुल्तानगंज रेल परियोजना :
सुल्तानगंज से बाबा नगरी की दूरी कम करने के लिए बांका-सुल्तानगंज वाया अमरपुर रेल परियोजना का भी प्रस्ताव दिया था। यह परियोजना भी अधर में लटक गई है। जबकि इस रेल परियोजना के निर्माण से बिहार व झारखंड सहित अन्य कई प्रांतों व जिले के लोगों को सुल्तानगंज से बाबाधाम की दूरी तय करने में काफी सुविधा होगी। स्थानीय लोगों की माने तो पूर्व से प्रस्तावित रेल परियोजना को धरातल पर उतारने को क्षेत्र के किसी मंत्री, सांसद व विधायक ने पहल नहीं की।