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    आंगनबाड़ी केंद्रों में नल-जल और चापाकल ठप, दूसरे जगह से पानी लाकर बनता है पोषाहार , शौच के लिए बच्चे जाते हैं घर

    बांका जिले के कई आंगनबाड़ी केंद्रों पर पेयजल की गंभीर समस्या है। चापाकल खराब होने और नल-जल योजना के अभाव में सेविकाओं को गांव से पानी ढोना पड़ता है। बच्चों के लिए भोजन बनाने और सफाई करने में परेशानी होती है। पीएचईडी विभाग ने जल्द ही मरम्मत कराने का आश्वासन दिया है।

    By Bodhnarayan Tiwari Edited By: Nishant Bharti Updated: Sat, 23 Aug 2025 01:50 PM (IST)
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    नल-जल और चापाकल ठप गांव से पानी ढोकर चल रहे आंगनबाड़ी केंद्र

    संवाद सूत्र,धोरैया (बांका)। प्रखंड क्षेत्र के अधिकांश आंगनबाड़ी केंद्रों पर पेयजल की गंभीर समस्या बनी हुई है। कहीं चापाकल महीनों से खराब पड़ा है तो कहीं नल-जल का पानी केंद्र तक नहीं पहुंच पा रहा। नतीजा यह है कि बच्चों के लिए पोषाहार बनाने से लेकर बर्तनों की सफाई और प्यास बुझाने तक की जिम्मेदारी सहायिकाओं और सेविकाओं को गांव से पानी ढोकर पूरी करनी पड़ रही है।

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    दैनिक जागरण के पड़ताल में शुक्रवार को कई केंद्रों पर स्थिति इतनी बदतर मिली कि सहायिका नहीं रहने पर सेविकाओं को खुद ही पानी लाकर बच्चों का पोषण भोजन बनाना पड़ता है। साथ ही पढ़ाई भी करानी पड़ती है। पानी की कमी के कारण बच्चों को शौच के लिए भी परेशानी होती है और उन्हें अक्सर घर भेजना पड़ता है।

    केंद्र संख्या 69, खगड़ा गांव

    छह महीने से चापाकल खराब पड़ा है। मरम्मत न होने से स्थानीय लोग इसमें बकरी तक बांध रहे हैं। सहायिका नजदीकी घरों से पानी लाकर भोजन और साफ-सफाई का काम करती हैं।

    केंद्र संख्या 15, कुशमाहा

    सेविका प्रमिला देवी ने बताया कि पीएचईडी विभाग को आवेदन देने के बावजूद चापाकल की मरम्मत नहीं हुई। सहायिका नहीं रहने पर उन्हें खुद गांव से पानी लाना पड़ता है।

    केंद्र संख्या 112, बंदरचूहा

    सेविका सविता कुमारी को विद्यालय के चापाकल से पानी लाकर बच्चों की जरूरत पूरी करनी पड़ती है।

    केंद्र संख्या 133, भगवानपुर

    सेविका सरिता कुमारी अकेले ही बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ पानी ढोकर पोषाहार तैयार करती हैं। केंद्र पर चापाकल नहीं है। बच्चों की प्यास बुझाने के लिए विद्यालय से पानी लाना पड़ता है। नल-जल की आपूर्ति भी केंद्र तक नहीं है।

    केंद्र संख्या 184, मड़पा मकेशर

    बच्चों के लिए गांव से पानी लाना पड़ता है। इससे पोषाहार बनाने में काफी दिक्कत होती है। प्रशासन को ध्यान देने की जरूरत है।

    केंद्र संख्या 42, झखिया गोड़ा

    पानी की कोई व्यवस्था नहीं है। सहायिका अपने घर से पानी मंगवाकर बच्चों का भोजन बनाती हैं। सफाई कार्य भी प्रभावित होता है।

    केंद्र संख्या 171, छोटी जगतपुर

    चापाकल खराब है और नल-जल का पानी भी केंद्र तक नहीं पहुँचता। गांव से पानी ढोकर ही काम चलाना पड़ता है।

    पीएचईडी विभाग के सहायक अभियंता नीतीश कुमार ने कहा कि खराब पड़े चापाकलों की मरम्मत कराई जा रही है। विभाग के पास संसाधन उपलब्ध हैं। जल्द ही मिस्त्री भेजकर जांच कराई जाएगी और सभी बंद पड़े चापाकलों को चालू किया जाएगा।