अतीत के आईने से: सादगी और जन-संवाद के साथ चुनाव प्रचार की अनूठी मिसाल, पुआल पर सोते थे जॉर्ज फर्नांडीस
अमरपुर में पुराने समय में चुनाव प्रचार सादगी और सीधे संवाद पर आधारित था। मधु लिमये चाय की दुकान पर लोगों से मिलते थे जबकि जॉर्ज फर्नांडिस गांव-गांव पैदल घूमते थे और ग्रामीणों के साथ सोते थे। वे खुद अपने कपड़े धोते थे। आज के हाईटेक चुनाव प्रचार में सादगी की कमी लोकतंत्र के लिए खतरा है।

शंभू दूबे, अमरपुर (बांका)। लोकतंत्र में चुनाव प्रचार का स्वरूप समय के साथ काफी बदल गया है। आधुनिक दौर में इंटरनेट मीडिया और डिजिटल तकनीक ने चुनावी परिदृश्य पूरी तरह हाईटेक बना दिया है।
लेकिन यह माहौल उन दिनों की याद ताजा कर देता है जब चुनाव प्रचार में न संसाधनों की भरमार थी और न ही कटुता का माहौल। उस समय सादगी, सहजता और जनता से सीधा संवाद ही चुनाव प्रचार का आधार था।
समाजसेवी श्रीनारायण शर्मा सलील बताते हैं कि उन्होंने बांका से समाजवादी नेता मधु लिमये और जॉर्ज फर्नांडिस के चुनाव प्रचार में सक्रिय भूमिका निभाई थी। मधु लिमिये इतने सरल स्वभाव के थे कि अमरपुर प्रवास के दौरान बस स्टैंड चौक की साधारण चाय दुकान पर बैठकर आम लोगों से बातचीत करते और उनकी समस्याएं सुनते। वहां मौजूद कई लोगों को यह एहसास तक नहीं होता था कि उनके बीच कोई बड़ा नेता है।
पुआल पर चादर बिछाकर सोते थे
जॉर्ज फर्नांडिस भी चुनाव प्रचार के दौरान गांव-गांव पैदल घूमते और रात होने पर ग्रामीणों के बीच ही रुक जाते। अमरपुर बाजार में उनका ठिकाना कसेरा धर्मशाला था, लेकिन वे पुआल पर चादर बिछाकर सोते और स्वयं अपने कुर्ता-पायजामा धोते।
एक प्रसंग में फर्नांडिस ने महिलाओं के बीच जाकर कहा-मैं आपका बेटा और भाई बनकर आया हूं, आशीर्वाद दीजिए, जिससे सभी ग्रामीण भावविभोर हो गए।
आज के परिदृश्य में प्रचार पूरी तरह हाईटेक और प्रतिस्पर्धात्मक हो गया है, जहां उम्मीदवार एक-दूसरे को कट्टर विरोधी मान बैठते हैं। सादगी और विनम्रता की कमी लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए खतरा बन रही है।
पुराने नेताओं की सरलता और जनता के प्रति संवेदनशील दृष्टिकोण आज भी कई लोगों के लिए प्रेरणास्पद उदाहरण है।
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