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    Bihar Road Accident: बिहार की इस सड़क पर दौड़ती है ‘मौत’, 9 महीने में 125 लोगों ने गंवाई जान

    Updated: Fri, 19 Sep 2025 12:11 PM (IST)

    बांका जिले में सड़क दुर्घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। पिछले नौ महीनों में 125 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। दुर्घटनाओं का मुख्य कारण यातायात नियमों का उल्लंघन और लापरवाही है। राजद विधायक ने ट्रामा सेंटर की स्वीकृति दिलाई पर वह अभी तक शुरू नहीं हो पाया है। प्रशासन जागरूकता अभियान चलाने और नियमों का पालन कराने पर जोर दे रहा है।

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    बांका की सड़कों पर खून ही खून

    बिजेन्द्र कुमार राजबंधु, बांका। जिले की सड़कों पर मौत की रफ्तार थमने का नाम नहीं ले रही है। महज नौ महीने में ही सवा सौ से अधिक लोगों की मौत सड़क हादसों में हो चुकी है, जबकि पांच दर्जन से अधिक लोग घायल होकर दिव्यांग की जिंदगी जी रहे हैं।

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    हालात इतने गंभीर हैं कि विधानसभा चुनाव से पहले जनता जनप्रतिनिधियों से सवाल पूछ रही है कि आखिर सड़क सुरक्षा पर कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाया जा रहा।

    धोरैया के राजद विधायक भूदेव चौधरी ने भागलपुर-हंसडीहा मुख्य मार्ग रजौन में ट्रामा सेंटर स्थापना की स्वीकृति दिलाई थी। पर यह सेंटर अभी तक फाइलों में घूम रही है। परिणाम यह है कि हर दिन इस सड़क पर सड़क हादसे के शिकार लोग हो रहे हैं।

    वैसे, प्रशासनिक रिपोर्ट के अनुसार जिले में करीब तीन दर्जन ब्लैक स्पॉट चिन्हित किए गए हैं। हादसों का मुख्य कारण अनुभवहीन चालक, यातायात नियमों की जानकारी का अभाव और बाइक सवारों की लापरवाही बताई जा रही है।

    यातायात डीएसपी नीरज कुमार ने बताया कि अब तक 170 मौतों के मामलों में मुआवजे का प्रस्ताव भेजा गया है। इनमें से 59 मृतकों के स्वजन को राशि उपलब्ध कराई जा चुकी है, शेष मामलों की प्रक्रिया जारी है। लेकिन दो से चार लाख रुपये का मुआवजा स्वजन के दुख को कितना कम कर पाएगा, यह बड़ा सवाल है।

    जागरुकता के लिए अभियान चलाने पर बल

    दरअसल, सबसे अधिक हादसे भागलपुर-हंसडीहा मुख्य मार्ग पर होते हैं। इसके अलावा भागलपुर-अमरपुर-कटोरिया मार्ग और कांवरिया पथ देवघर-बेलहर मार्ग शामिल हैं। तीन दिन पहले बांका-बेलहर मार्ग पर पिकअप ने दो बाइक सवार युवकों को टक्कर मारी थी।

    बेलहर से लौट रहे जदयू विधायक ने दोनों को अस्पताल पहुंचाया था, जहां एक की मौत चुकी। इस संबंध में व्यवसायी रितेश चौधरी का कहना है कि परिवहन विभाग को नियमित रूप से जागरूकता अभियान चलाना चाहिए और ड्राइविंग लाइसेंस की जांच की व्यवस्था भी सख्ती से होनी चाहिए।

    सामाजिक कार्यकर्ता विपिन सिंह ने कहा कि चालान काटना ही समाधान नहीं है। जब तक आम लोग यातायात नियमों को गंभीरता से नहीं लेंगे, हादसों की रफ्तार कम नहीं होगी।

    अब तक 30 लाख रुपये से अधिक के चालान काटे गए हैं। ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से निगरानी बढ़ाई गई है। सड़क दुर्घटनाएं रोकने के लिए प्रशासन लगातार प्रयासरत है, लेकिन इसमें लोगों की सजगता और अनुशासन सबसे अहम है। इसके अलावा 22 चालकों का लाइसेंस रद करने के लिए प्रस्ताव दिया गया है।- नीरज कुमार, डीएसपी, यातायात, बांका

    माह मौत की संख्या
    जनवरी 9
    फरवरी 11
    मार्च 10
    अप्रैल 16
    मई 23
    जून 15
    जुलाई 17
    अगस्त 17
    सितंबर 5 (अभी तक)