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    धरातल पर दफन है नक्शे का अधिकांश तालाब

    By JagranEdited By:
    Updated: Wed, 30 Mar 2022 10:35 PM (IST)

    जागरण संवाददाता बांका आदिकाल से जलस्रोत मानव सभ्यता का साथी रहा है। मानव जीवन और उसकी संस्कृति इससे जुड़ी रही है। बांका जिला भी नदी और तालाबों के लिए काफी प्रसिद्ध रहा है। इसकी शहरी आबादी में भी कई तालाब कभी लोगों का सहारा होता था। मगर आज अधिकांश तालाब अतिक्रमण का शिकार हो गया है।

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    धरातल पर दफन है नक्शे का अधिकांश तालाब

    जागरण विशेष.....

    फोटो- 30 बीएएन 11

    - 14 लाख खर्च के बाद भी दुर्गा तालाब बना खुले में शौच का केंद्र

    - जिला नदी और तालाब के लिए रहा है प्रसिद्ध

    जागरण संवाददाता, बांका : आदिकाल से जलस्रोत मानव सभ्यता का साथी रहा है। मानव जीवन और उसकी संस्कृति इससे जुड़ी रही है। बांका जिला भी नदी और तालाबों के लिए काफी प्रसिद्ध रहा है। इसकी शहरी आबादी में भी कई तालाब कभी लोगों का सहारा होता था। मगर आज अधिकांश तालाब अतिक्रमण का शिकार हो गया है। जिला के सरकारी नक्शा में तालाब की अब भी भरमार दिखती है। मगर धरातल पर इसका कहीं नामोनिशान नहीं दिख रहा है। नतीजा, भूगर्भ जल का स्तर लगातार हमसे दूर जा रहा है।

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    दो दशक पूर्व शहर के बीचोंबीच शिवाजी चौक और जमुआ जोर के बीच काली पोखर था। चौक की काली प्रतिमा विसर्जन के लिए यह तालाब था। मगर डेढ़ दशक से किसी ने इस तालाब में एक बूंद पानी नहीं देखा है। पिछले साल डीएम सुहर्ष भगत के पहल पर इसका अतिक्रमण हटाकर इसकी घेराबंदी कर सुरक्षित किया है।

    एसडीओ कार्यालय परिसर का तालाब भी डेढ़ दशक पूर्व तक गुलजार रहता था। अब एक बूंद पानी को तरसता है। प्रशासन इसका अस्तित्व खत्म करने की तैयारी में है। समाहरणालय के पीछे का तालाब भर कर उसमें डीआरसीसी का भवन बना दिया। विजयनगर दलित बस्ती में कभी बड़ा तालाब था। अभी यह चारों तरफ से अतिक्रमण का शिकार है। इस तालाब में दर्जनों घर बन गया है। इसका अतिक्रमण हटाने का कई प्रयास अब तक बेकार है। विजयनगर में ही परिसदन के समीप का तालाब काफी बढ़ा है। जल जीवन हरियाली योजना से इस तालाब को 14 लाख रुपया जीर्णोद्धार के लिए दिया गया। मगर इतनी राशि खर्च के बाद भी दुर्गा तालाब झाड़-झंखाड़ से भरा है। यह आसपास के लोगों के खुले में शौच का केंद्र बन कर रह गया है। मत्स्य विभाग की सक्रियता के बाद भी करहरिया तालाब पर संकट है। जगतपुर इलाके में भी पहले कई तालाब था। अब सब संकट का शिकार है। जिला जज आवास के सामने का तालाब बस नाली का पानी जमा के लिए बचा रह गया है। इधर, नप अध्यक्ष संतोष कुमार सिंह ने बताया कि प्रशासन अतिक्रमित तालाब की खोज कर रहा है।