Bihar Chunav: दो दशकों से पुराने चेहरों के इर्द-गिर्द घूम रही बांका की राजनीति, NDA और महागठबंधन में कड़ा मुकाबला
बांका जिले में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं, और राजनीतिक दलों में उम्मीदवारों को लेकर गहमागहमी है। पिछले दो दशकों से जिले की राजनीति कुछ पुराने चेहरों के इर्द-गिर्द घूम रही है। इस बार भी एनडीए और महागठबंधन के बीच मुकाबला होने की संभावना है, जिसमें कई पुराने नेता मैदान में हैं। बांका, अमरपुर, बेलहर और कटोरिया विधानसभा क्षेत्रों में संभावित उम्मीदवारों को लेकर चर्चा जारी है।
-1760078709020.webp)
प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई फाइल फोटो। (जागरण )
बिजेन्द्र कुमार राजबंधु, बांका। विधानसभा चुनाव जिला में दूसरे चरण में चुनाव 11 नवंबर को है। इसको लेकर विभिन्न दलाें में दावेदारों को लेकर सरगर्मी तेज है। खासकर जिले की राजनीति पिछले दो दशकों से कई पुराने चेहरों के इर्द-गिर्द घूम रही है।
राजनीतिक दल चाहे बदले हों, लेकिन मैदान में उतरने वाले चेहरे लगभग वही रहे हैं। इस बार भी एनडीए और महागठबंधन के बीच मुकाबला तय माना जा रहा है, मगर दिलचस्प यह है कि दोनों गठबंधनों में कुछ को छोड़कर लगभग संभावित प्रत्याशी वही पुराने नेता हैं जो वर्षों से जिले की राजनीति पर हावी हैं।
बात करें
बांका विधानसभा क्षेत्र की तो 2014 के उपचुनाव से लगातार तीन बार वर्तमान भाजपा विधायक रामनारायण मंडल विजयी रहे हैं। 1990 से यहां के राजनीतिक समीकरण मुख्य रूप से भाजपा और राजद के बीच ही रहे हैं।
राजद के डॉ. जावेद इकबाल अंसारी 2010 में विधायक बने थे, लेकिन उसके बाद भाजपा ने लगातार बढ़त बनाए रखी। इस बार के चुनाव में भी विधायक रामनारायण मंडल के साथ इसी दल से रामानंद चौधरी, अनुपम गर्ग, कौशल सिंह, डॉ. उदय प्रजापति व दिगंबर मंडल दावेदार माने जा रहे हैं। जबकि महागठबंधन से फिर डॉ. जावेद अंसारी या भाकपा से संजय यादव जैसे पुराने चेहरे मैदान में उतरने की चर्चा है।
अमरपुर विधानसभा क्षेत्र
अमरपुर की राजनीति भी परंपरागत परिवारों के इर्द-गिर्द घूमती रही है। 2010 में जेडीयू के जर्नादन मांझी विधायक रहे, जबकि 2020 में उनके पुत्र जयंत राज ने एनडीए प्रत्याशी के रूप में जीत दर्ज की। अब 2025 में उनके दोबारा उम्मीदवार बनने की संभावना है।
महागठबंधन की ओर से कांग्रेस के जितेंद्र सिंह, राजद के संजय चौहान ,राजीव कुशवाहा जैसे नाम चर्चा में हैं। पूर्व लोजपा उम्मीदवार डॉ. मृणाल के भी उम्मीदवार बनने की चर्चा है।
बेलहर विधानसभा क्षेत्र
यह सीट यादव समाज के प्रभाव वाली मानी जाती है। यहां से राजद के रामदेव यादव व जदयू के गिरिधारी यादव लगातार विधायक रहे, जबकि 2020 में जेडीयू के मनोज यादव ने सीट पर कब्जा जमाया।
अब 2025 में रामदेव यादव फिर सक्रिय हैं और जदयू से मनोज यादव के साथ ओंकार यादव भी टिकट की दौड़ में हैं। मुकाबला फिर से उन्हीं पुराने चेहरों के बीच दिख रहा है, जिन्होंने वर्षों से बेलहर की राजनीति पर पकड़ बनाए रखी है।
कटोरिया (एसटी) विधानसभा क्षेत्र
कटोरिया अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीट है। 2015 में राजद की स्वीटी सीमा हेंब्रम विजयी रहीं। साल 2020 में भाजपा प्रत्याशी बनकर डॉ. निक्की हेंब्रम विधायक बनीं। इसी बार डा निक्की के अलावा इसी दल से पूरनलाल टुडू, रेखा सोरेन और रेजिना हेंब्रम जैसे नाम पार्टी में चर्चा में हैं।
धोरैया (एससी) विधानसभा क्षेत्र से भूदेव चौधरी समता पार्टी से लेकर जदयू के विधायक बने। जमुई के सांसद बनने के बाद 2009 के उपचुनाव के बाद लगातार मनीष कुमार जदयू के विधायक बनते रहे।
2010 के चुनाव में भूदेव पुन: राजद में शामिल होकर जदयू से यह सीट अपने नाम कर लिया। इस बार पुन: भूदेव व मनीष कुमार के बीच लड़ाई होने की संभावना है। इसके अलावा अन्य दलों में कुछ नये चेहरे के आने की संभावना है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।