आस्था का प्रतिक है बिहार का शक्तिपीठ तिलडीहा दुर्गा मंदिर,40 से 45 हजार पाठा की दी जाती है बलि
बांका जिले के छत्रहार पंचायत में स्थित तिलडीहा दुर्गा मंदिर एक प्रसिद्ध शक्तिपीठ है। यहाँ भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होने की मान्यता है। मंदिर की स्थापना 1603 में हरबल्लव दास ने की थी। यहाँ कृष्ण काली दुर्गा समेत 13 मूर्तियां हैं। दशहरा में विशेष पूजा होती है जिसमें बिहार बंगाल झारखंड से श्रद्धालु आते हैं।

संवाद सहयोगी, शंभुगंज (बांका)। बांका जिले के छत्रहार पंचायत में स्थित तिलडीहा दुर्गा मंदिर अपने आप में एक प्रमुख शक्तिपीठ के रूप में जाना जाता है। प्रखंड मुख्यालय से छह किलोमीटर और तारापुर से दो किलोमीटर दूर, बदुआ नदी के पूर्वी तट पर स्थित यह मंदिर श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है। यहां आने वाले भक्तों की मुरादें पूरी होने का विश्वास है, जिसके कारण प्रतिदिन मंदिर में भक्तों की भीड़ रहती है।
मंदिर का इतिहास
मंदिर की विशेषता
मां की महिमा अपरंपार है। मंदिर आने वाले भक्तों की मुरादें पूर्ण होती है। यह कारण है कि दिन-प्रतिदिन श्रद्धालुओ की भीड़ होता है। - श्याम आचार्य, प्रधान पुजारी
स्थापना काल से ही बंग्ला रीति रिवाज से पूजा होती है। दशहरा मेला शांतिपूर्ण संपन्न कराने में हरिवंशपुर के अलावा तिलडीहा ,छत्रहार,रामचुआ सहित क्षेत्रवासियों का भरपुर सहयोग रहता है। विधि व्यवस्था में जिला प्रशासन सक्रिय रहते हैं। - शंभुनाथ दास, सचिव
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