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    Banka News: सदर अस्पताल में इलाज के लिए घंटों इंतजार करते रहे मरीज, पूछते रहे कब आएंगे डॉक्टर

    बांका सदर अस्पताल में शुक्रवार को ओपीडी बंद होने से मरीजों को परेशानी हुई। डॉक्टर अमृता प्रीतम को शिविर में भेजने और डॉक्टर रश्मि सीमा के ऑपरेशन के बाद चले जाने से ओपीडी खाली हो गया। आयुष चिकित्सक ममता ने भी मरीजों को देखने से इनकार कर दिया। इससे नाराज मरीजों ने हंगामा किया। सिविल सर्जन ने लापरवाही पर कार्रवाई की बात कही।

    By Sonam Kumar Singh Edited By: Ashish Mishra Updated: Sat, 05 Jul 2025 03:34 PM (IST)
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    बांका सदर अस्पताल में ओपीडी के बाहर इलाज के लिए इंतजार करते मरीज। जागरण फोटो

    जागरण संवाददाता, बांका। शुक्रवार को सदर अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गईं। जब दोपहर एक बजे के बाद ओपीडी पूरी तरह से बंद हो गया। मरीजों को कई तरह की परेशानियों का भी सामना करना पड़ा।

    चिकित्सकों की गैरमौजूदगी से परेशान मरीजों को घंटों अस्पताल परिसर में बैठकर इंतजार करना पड़ा। शाम होते-होते जब कोई डॉक्टर उपलब्ध नहीं हुए तो मरीजों और उनके परिजनों में आक्रोश फूट पड़ा। अस्पताल परिसर में हंगामा शुरू कर दिया।

    जानकारी के अनुसार, शुक्रवार को ओपीडी में डॉक्टर अमृता प्रीतम की ड्यूटी तय थी, लेकिन उन्हें स्वास्थ्य विभाग के एक विशेष शिविर में भेज दिया गया। इसके बाद डॉक्टर रश्मि सीमा को ओपीडी में प्रति नियुक्त किया गया।

    उन्होंने एक बजे तक मरीजों को देखा, लेकिन फिर गर्भवती महिलाओं के सिजेरियन ऑपरेशन के लिए ऑपरेशन थिएटर चली गईं। ऑपरेशन के बाद वे सीधे अस्पताल से बाहर निकल गईं।

    उनके जाने के बाद ओपीडी में कोई चिकित्सक उपस्थित नहीं थे। ओपीडी में ड्यूटी पर तैनात आयुष चिकित्सक डॉक्टर ममता अस्पताल में उपस्थित थीं, लेकिन उन्होंने भी मरीजों को देखने से इंकार कर दिया। इससे मरीजों को गहरी निराशा हुई।

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    ओपीडी में पांच दर्जन से अधिक मरीज इलाज के लिए सुबह से कतार में लगे थे। सबसे चिंताजनक बात यह रही कि ओपीडी में ड्यूटी पर तैनात चिकित्सकों की 24 घंटे की जिम्मेदारी तय है।

    उन्हें न सिर्फ ओपीडी के दौरान बल्कि शाम तक अस्पताल परिसर में उपस्थित रहना होता है। इसके बावजूद चिकित्सकों का डेढ़ बजे के बाद अस्पताल छोड़ देना प्रशासनिक उदासीनता और लापरवाही को दर्शाता है।

    शाम करीब पांच बजे जब मरीजों का सब्र जवाब देने लगा तो अस्पताल परिसर में नाराज स्वजन ने हंगामा शुरू कर दिया। सूचना मिलते ही तत्काल आपातकालीन सेवा में डॉक्टर उष्मान अली ने मरीजों का इलाज किया।

    ज्ञात हो कि गुरुवार को भी इमरजेंसी ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर महेंद्र कुमार पूरे दिन अस्पताल से गायब रहे। ओपीडी में मरीजों का देखने का समयसुबह नौ बजे से दो बजे दोपहर तक शाम चार बजे से शाम छह बजे तक होता है।

    मरीजों ने बताई आपबीती

    पीड़ाकटोरिया के राधानगर निवासी नेहा कुमारी ने बताया कि वे पिछले नौ बजे से लाइन में लगी हुई हैं। नौ बजे के बदले चिकित्सक साढ़े 10 बजे अस्पताल पहुंचे। इसके बाद लंच की बात कहकर निकल गए।

    गोड्डा निवासी दुर्गी देवी ने बताया कि वे अपनी गर्भवती बहू का इलाज करवाने के लिए अस्पताल आई हैं। सुबह के समय तो दिखवा लिया, लेकिन अब जब रिपोर्ट दिखाने की बारी आई तो डाक्टर ही नहीं है।

    मंझियारा गांव निवासी ललिता कुमारी ने बताया कि सुबह आठ बजे से लाइन में हैं। बारी का इंतजार करते-करते डॉक्टर ही ओपीडी से उठ गए हैं।

    बाराहाट निवासी सुलेखा देवी ने बताया कि वे अपने किसी रिश्तेदार गर्भवती महिला के इलाज के लिए पहुंची थीं। लेकिन पर चिकित्सक ही नहीं मिले।

    ओपीडी से महिला चिकित्सक की लापारवाही की बात सामने आई है। जिसके बाद उन्होंने तुरंत एक्शन लेकर सभी मरीजों का इलाज इमरजेंसी में करवाया है। चिकित्सकों की इस तरह की लापरवाही बर्दास्त नहीं की जाएगी। चिकित्सकों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। -डॉक्टर अनिता कुमारी, सिविल सर्जन, बांका।