11 बजे तक ताले में रहे सरकारी दफ्तर, नई सरकार में भी नहीं बदली पुरानी 'लेटलतीफी' की आदतें
बांका जिले के धोरैया प्रखंड में नई सरकार बनने के बाद भी सरकारी कार्यालयों में पुरानी कार्यशैली बरकरार है। दैनिक जागरण की टीम ने निरीक्षण किया तो पाया ...और पढ़ें

नहीं बदली पुरानी लेटलतीफी की आदतें
बोध नारायण तिवारी, धोरैया (बांका)। राज्य में नई सरकार के गठन के बावजूद प्रखंड के अधिकांश सरकारी कार्यालयों की कार्य संस्कृति नहीं बदली है। निर्धारित समय 10:30 बजे कार्यालय खोलने का है, लेकिन बुधवार को दैनिक जागरण टीम द्वारा निरीक्षण करने पर आधा दर्जन से अधिक कार्यालय 11 बजे तक बंद मिले।
इससे अपनी समस्याओं के समाधान के लिए दूर-दराज से आने वाले लोगों को प्रखंड मुख्यालय में घंटों इंतजार करना पड़ा। स्थिति यह है कि नई सरकार में पुरानी आदतें हैं।
कार्यालय खुला पर पदाधिकारी मौजूद नहीं
अंचलाधिकारी कार्यालय का ताला भले ही समय पर खुला था, लेकिन सीओ साहब मौजूद नहीं थे। कर्मियों ने बताया कि वे पटना उच्च न्यायालय के कार्य से बाहर गए हैं। वहीं राजस्व पदाधिकारी का कार्यालय भी खुला था, पर पदाधिकारी मौजूद नहीं थे।
लगभग 11:12 बजे राजस्व पदाधिकारी काजल कुमारी कार्यालय पहुंचीं, जिसके बाद लंबित कार्यों को लेकर आए लोग उनसे मिल पाए।
सीन एक
आपूर्ति कार्यालय का ताला 11 बजे तक लटका पाया गया। राशन कार्ड, नाम हटाने और अन्य समस्याओं को लेकर आए ग्रामीण धूप में घंटों इंतजार करते रहे। बाद में आपूर्ति पदाधिकारी मदन मोहन और डाटा ऑपरेटर पहुंचे। पूछने पर उन्होंने बताया कि लौगाय और भेलाय पंचायत में आयोजित शिविर के कारण देरी हुई।
सीन दो
सहकारिता कार्यालय में भी 10:40 बजे तक ताला लटका रहा। धान बिक्री से जुड़ी जानकारी लेने आए किसान निराश होकर लौट गए। कल्याण कार्यालय में विकास मित्र की अनुपस्थिति के कारण 11:30 बजे तक ताला बंद रहा, जिससे लोगों को इधर-उधर भटकना पड़ा।
सीन तीन
सांख्यिकी कक्ष में पदाधिकारी और डाटा आरेटर दोनों उपस्थित नहीं थे। बताया जाता है कि संबंधित अधिकारी को तीन प्रखंडों का कार्यभार है, जिससे समय पर उपस्थिति नहीं हो पाती। जन्म एवं मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए आए लोग परेशान होते रहे।
प्रधानमंत्री आवास कक्ष 11 बजे तक बंद पाया गया, जिससे अस्सी गांव के लखन प्रसाद साह आवास योजना की जानकारी लिए बिना लौट गए।
लोहिया स्वच्छ बिहार सहायता केंद्र में भी 11:05 बजे तक ताला लगा रहा, जिससे शौचालय की राशि नहीं मिलने की शिकायत लेकर आए लोगों को वापस जाना पड़ा।
अपनी बेटी जूली देवी का नाम राशन कार्ड से हटवाने के लिए महीनों से चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन अभी तक समाधान नहीं हुआ।- दीपक हरिजन, पैर गांव
छह महीने से खाद्यान्न नहीं मिल रहा है। जबकि वे अंत्योदय योजना की लाभुक हैं। शिकायत करने पर सुनवाई नहीं होती है।- कविता देवी, मथुरापुर गांव
जमीन विवाद को लेकर सीओ से मिलने आए थे, लेकिन कार्यालय बंद मिलने से लौट गए। समय और पैसा सभी बर्बाद हुए।- मु. जैनुल, सगुनिया गांव
दाखिल-खारिज आवेदन के छह महीने बाद भी समाधान न मिलने से निराश हैं। वे सीओ से मिलना चाहते थे, पर वे मौजूद नहीं थे।- अब्दुल जब्बार, जोगिया

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