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    Gokula Durga Temple : गोकुला दुर्गा मंदिर में 123 सालों से हो रही है पूजा-अर्चना, कभी यहां हुआ करता था जंगल

    By Shekhar Kumar SinghEdited By: Yogesh Sahu
    Updated: Wed, 04 Oct 2023 04:30 PM (IST)

    Gokula Durga Temple बिहार के बांका जिले में स्थित गोकुला दुर्गा मंदिर 123 साल पुराना है। बांस की टटिया लगाकर शुरू हुई पूजा-अर्चना का सिलसिला यहां लगातार सालों से चला आ रहा है। यहां के आसपास के गांवों के ग्रामीण और महानगरों में रहने वाले यहां के लोग इस मंदिर में अपनी मानोकामना लेकर हर साल मत्था टेकने आते हैं।

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    Gokula Durga Temple : गोकुला दुर्गा मंदिर में 123 सालों से हो रही है पूजा-अर्चना

    संवाद सहयोगी, बौंसी (बांका)। बिहार के बांका जिले में प्रखंड मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूरी पर स्थित गोकुला दुर्गा मंदिर श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है। मुख्य रूप से शारदीय नवरात्र में मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर यहां दस दिनों तक विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है।

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    इस दौरान पूजा के अंतिम तीन दिनों तक सांस्कृतिक कार्यक्रम में महाआरती, भजन-कीर्तन सहित अन्य कार्यक्रम का आयोजन हर साल होता है।

    2014 से हो रहा मंदिर का पुनर्निर्माण

    गजल गायक कुमार सत्यम इसी गांव से आते हैं। साल 2014 से मंदिर का पुनर्निर्माण किया जा रहा है। ग्रामीणों के द्वारा मंदिर को भव्य स्वरूप बनाने का काम आज भी जारी है।

    गांव के काफी संख्या में लोग मुंबई सहित अन्य शहरों में व्यापार करते हैं। जो दुर्गा पूजा के दौरान गांव पहुंचकर मां दुर्गा की आराधना करते हैं।

    123 साल पुराना इतिहास

    गोकुला दुर्गा मंदिर का इतिहास 123 वर्ष पुराना है। दुर्गा पूजा समिति के कोषाध्यक्ष कमलेश्वरी चौधरी ने बताया कि मंदिर की स्थापना 1901 में संत मूढ़ा बाबा के द्वारा की गई थी।

    बताया कि गांव में जिस जगह मंदिर की स्थापना हुई है, उस जगह काफी जंगल था, जिसे संत ने भक्तों के सहयोग से मिट्टी भरवा कर साफ सफाई करवाया।

    बांस की टटिया बनाकर शुरू की थी पूजा

    इसके बाद बांस का टटिया बनाकर पूजा की शुरुआत की गई। उसी साल मूर्ति विसर्जन के बाद संत मूढ़ा बाबा अंतर ध्यान हो गए। संत के अंतर्ध्यान के बाद ग्रामीण मां दुर्गा के साथ संत की भी पूजा करने लगे।

    हाल के दिनों में संत की पत्थर की प्रतिमा भी मंगाई गई है, जिसे मंदिर परिसर में स्थापना की जाएगी। इसके बाद पुजारी प्यारे मरिक के द्वारा पूजा की जाने लगी।

    समय के साथ-साथ बाद में पक्की दुर्गा मंदिर का निर्माण हुआ और धूमधाम से पूजा अर्चना होने लगी। वर्तमान में पुजारी महादेव शर्मा के द्वारा पूजा अर्चना की जाती है।

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    मां दुर्गा की आराधना करने से गांव में सुख शांति बनी हुई रहती है। मंदिर की विशेषता मंदिर में दूर-दूर से लोग अपनी मनोकामना को लेकर मंदिर पहुंचने हैं।

    ऐसी मान्यता है कि श्रद्धा भाव से जो भी भक्त माता का दरबार पहुंचते हैं। उनकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है। दुर्गा पूजा के समय हर साल भव्य रूप से सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन होता है।

    पिछले वर्ष महा आरती का भी आयोजन आयोजन समिति के द्वारा किया गया था। आयोजन समिति के अध्यक्ष श्रीकांत चौधरी एवं सचिव डब्लू चौधरी, सदस्य सूरज चौधरी ने बताया कि हाल के सालों में मंदिर का भव्य निर्माण कराया जा रहा है।

    दुर्गा पूजा में समिति द्वारा दसों दिन तक मां दुर्गा की विशेष रूप से पूजा अर्चना की जाती है। पूजा के दौरान ग्रामीण भक्ति भाव में डूबे रहते हैं।

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