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    बदुआ नदी में बना गुडबाल बांध का मिट रहा अस्तित्व

    By JagranEdited By:
    Updated: Mon, 12 Jul 2021 09:20 PM (IST)

    बांका। अंग्रेज जमाने में बना बदुआ नदी किनारे गुडबाल बांध का अस्तित्व मिटने के कगार पर पहुंच गया है। प्रखंड के वैदपुर एवं गुलनी पंचायत के सीमा पर बदुआ नदी किनारे उक्त बांध कभी किसानों के लिए वरदान साबित होता था। प

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    बदुआ नदी में बना गुडबाल बांध का मिट रहा अस्तित्व

    बांका। अंग्रेज जमाने में बना बदुआ नदी किनारे गुडबाल बांध का अस्तित्व मिटने के कगार पर पहुंच गया है। प्रखंड के वैदपुर एवं गुलनी पंचायत के सीमा पर बदुआ नदी किनारे उक्त बांध कभी किसानों के लिए वरदान साबित होता था। पर प्रशासनिक उदासीनता के कारण बांध की स्थिति खराब हो रही है।

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    किसानों की सिचाई सुविधा के लिए 1926 में अंग्रेजों ने बदुआ नदी किनारे गुडबाल बांध का निर्माण कराया था। उस समय हजारों एकड़ भूमि सिचाई होती थी। बदुआ नदी के पानी से गुलनी-कुशाहा, वैदपुर, रामचुआ, कुर्माडीह के अलावा भागलपुर जिले के दर्जनों गांव की खेती होती थी। इससे किसान खुशहाल थे। सालोंभर खेतों में हरियाली रहती थी। पर जब से बांध टूटी है सिचाई संरचना समाप्त हो गई। जिससे खेती-किसानी पर असर पड़ा है।

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    बालू खनन से सिचाई संरचना चौपट

    वैदपुर एवं गुलनी कुशाहा गांव के बीच गुडबाल बांध के समीप बालू माफिया ने बदुआ नदी से अंधाधूंध बालू का खन्न किया। यहां तक कि बांध किनारे भी खोदाई कर बालू निकाल ली। जिसके चलते बांध का कुछ भाग नदी में समा गया। नदी तल गहरी होने के कारण अब तो खेतों तक पानी पहुंचाने का सपना समाप्त हो गया है। बीडीओ प्रभात रंजन ने बताया कि गुडबाल बांध का नाम उन्होंने सुना है। इसके जीर्णोद्धार का प्रयास किया जाएगा।

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    क्या कहते हैं किसान

    गुडबाल बांध क्षेत्र वासियों के लिए धरोहर के रूप में है। इससे तीन दशक पूर्व हजारों एकड़ भूमि सिचित होती थी। मरम्मत के बगैर बांध का अस्तिव मिटने लगा है। जबकि करीब सौ फीट लंबा एवं 30 फीट चौड़ा बांध अभी भी मौजूद है।

    राजनीति प्रसाद सिह, गुलनी कुशाहा

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    क्षेत्र के लोग खेती-किसानी पर आश्रित हैं। इसमें सबसे बड़ी समस्या पटवन की है। यदि गुडबाल बांध की मरम्मत हो जाए तो किसानों के लिए काफी लाभ होगा।

    शंभु प्रसाद, रामचुआ

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    चार दशक पहले गुडबाल बांध से बांका जिले के अलावा भागलपुर जिले के कई गांव लाभांवित होते थे। जब से बदुआ नदी से अवैध बालू का खनन हुआ, इसके बाद बांध का स्वरूप बिगड़ गया। सरकार को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है।

    ललन पंजिकार, कैथा

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    सरकार को खेती-किसानी की कोई चिता नहीं है। गुडबाल बांध मरम्मत के लिए सांसद और विधायक ने कई बार आश्वासन दिए, लेकिन आज तक मरम्मत के दिशा में कोई पहल नहीं किया गया। यदि बांध की मरम्मत की जाए तो किसानों के सिचाई की समस्या स्वत: समाप्त हो जाएगी।

    संतोष कुमार

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