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    पराली में आग लगाई तो तीन साल तक न योजना का लाभ, न पैक्स में धान बिकेगा, सैटेलाइट हो रही निगरानी

    Updated: Tue, 18 Nov 2025 12:35 PM (IST)

    बांका में पराली प्रबंधन को लेकर कृषि विभाग सख्त है। सेटेलाइट से खेतों पर नजर रखी जा रही है। पराली जलाने वाले किसानों को ब्लैक लिस्ट किया जाएगा और वे तीन साल तक योजनाओं का लाभ नहीं ले पाएंगे। जिला कृषि पदाधिकारी ने बताया कि पराली जलाने वाले खेतों की जानकारी सेटेलाइट से भेजी जा रही है, जिसके बाद जांच कर कार्रवाई की जाएगी। किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए जागरूक किया जा रहा है।

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    पराली जलाने पर कार्रवाई

    संवाद सूत्र, बांका। पराली प्रबंधन को लेकर कृषि विभाग और जिला प्रशासन काफी गंभीर है। अगर किसान छिप-छिपाकर पराली जलाने की सोच रहे हैं‎ तो सावधान हो जाएं। क्योंकि कृषि विभाग सेटेलाइट से खेतों पर सीधी नजर‎ रख रहा है। पिछले साल कुछ किसानों को ब्लैक लिस्टेड किया गया था। वैसे किसान कृषि विभाग की योजनाओं का लाभ तीन साल तक नहीं ले सकते हैं। साथ ही पैक्स में भी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान नहीं बेच पाएंगे।

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    जिला कृषि पदाधिकारी त्रिपुरारी शर्मा ने बताया कि पराली जलाने वाले खेत की तस्वीर अक्षांश और देशांतर के साथ कार्यालय को भेजा जाता है। इसके बाद अनुमंडल कृषि पदाधिकारी के स्तर से खेत की जांच पर मामला सही पाए जाने पर कार्रवाई की जाती है।

    दूसरी फसल उगाने के लिए पराली में आग

    दरअसल, पराली में आग लगाने का सीधा उद्देश्य यह माना जाता है कि इसके बाद जल्दी दूसरी फसल उगाई जा सके। अक्सर धान की कटाई के बाद किसान गेहूं या अन्य रबी फसल की बुआई के लिए खेतों की जुताई करते हैं। 

    पराली के कारण जुताई और बुआई में परेशानी होती है। ऐसे में कुछ किसान पराली में आग लगा देते हैं। इससे सीधे तौर पर पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है। पिछले साल इस मामले में कुछ किसानों पर कार्रवाई की गई थी।

    कई स्तर पर हो रही निगरानी

    पराली जलाने से रोकने के लिए किसानों को विभाग की ओर से जागरूक किया जा रहा है। साथ ही इसकी मानीटिरिंग भी कई स्तर पर की जा रही है। स्थानीय स्तर पर किसान सलाहकार और कृषि समन्वयक को इसकी रिपोर्ट करने की जिम्मेदारी दी गई है। 

    इसके अलावा सेटेलाइट से नजर रखी जा रही है। इसमें पराली जलाने वाले स्थल की तस्वीर सेटेलाइट के माध्यम से अक्षांश और देशांतर के साथ उस तस्वीर को जिला कृषि कार्यालय भेजा जाता है। इसके बाद चिन्हित जगह पर अनुमंडल कृषि पदाधिकारी जाकर जांच करते हैं। जांच में मामला सही पाए जाने पर कार्रवाई की जाती है।

    कंबाइंड हार्वेस्टर की मांगी गई सूची

    जिला कृषि पदाधिकारी ने बताया कि कंबाइंड हार्वेस्टर के लिए लाइसेंस जरूरी है। इसके लिए सभी प्रखंड के कृषि पदाधिकारी से कंबाइंड हार्वेस्टर की सूची मांगी गई है। इसको लेकर अगले एक से दो दिनों के अंदर बैठक भी बुलाई जाएगी। 

    बता दें कि कुछ दिन पूर्व बारिश होने के कारण खेतों में अभी बहुत अधिक नमी है। ऐसे में कंबाइंड हार्वेस्ट से कटाई नहीं हो पा रही है। किसान मजदूर से धान की कटाई अभी करा रहे हैं।

    धान की कटाई के बाद पराली प्रबंधन को लेकर किसानों को जागरूक किया जा रहा है। खेतों में पराली जलाने वाले किसानों पर सेटेलाइट के माध्यम से नजर रखी जा रही है। ऐसे किसानों पर विभाग की ओर से कार्रवाई की जाएगी। -त्रिपुरारी शर्मा, जिला कृषि पदाधिकारी।