Bihar Chunav: 3 दशक से बांका में एक सीट जीतने को तरस रही कांग्रेस, क्या इस बार खत्म होगा 'वनवास'?
बांका जिले में कांग्रेस पार्टी तीन दशकों से विधानसभा चुनाव जीतने के लिए संघर्ष कर रही है। 1985 में आखिरी बड़ी जीत के बाद पार्टी लगातार हार का सामना कर रही है। 2020 के चुनाव में अमरपुर सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी 50 हजार वोट लाकर भी हार गए। अब 2025 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की नजरें अमरपुर सीट पर टिकी हैं।

राहुल कुमार, बांका। कांग्रेस देश की सबसे पुरानी बड़ी पार्टी है। देश के साथ अधिकांश राज्यों में अधिकांश समय तक उसका शासन रहा है।
मगर बांका की सभी पांच विधानसभा सीटों पर वह तीन दशक के अधिक समय से एक सीट जीतने को तरस रही है। यानी लालू यादव के मुख्यमंत्री बनने के साथ ही बांका में कांग्रेस की जड़ें उखड़ गई। इसके बाद विधानसभा के आठ चुनाव हो गए, मगर कांग्रेस प्रत्याशी किसी सीट से खोई जमीन वापस लाने में सफल नहीं हो सके।
कांग्रेस को बांका में आखिरी बड़ी जीत 1985 के विधानसभा चुनाव में मिली थी। उस समय बांका जिला भी नहीं बना था। वह भागलपुर जिला का पुराना अनुमंडल था।
1985 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बांका की सभी पांच सीटों पर अपना कब्जा जमाया था। इसके पहले के सभी चुनावों में केवल 1977 के इमरजेंसी वाले साल को छोड़कर हर चुनाव बांका की सीटों पर कांग्रेस का ही दबदबा रहा। वह एक से पांच तक सीटें जीतती रही।
1952 से लेकर 1985 तक के बिहार विधानसभा चुनाव में कई बार ऐसा अवसर आया, जब कांग्रेस ने बांका की सभी पांच सीटें जीतकर अपना लोहा मनवाया। लेकिन, 1990 विधानसभा चुनाव में ही कांग्रेस की जमीन दरकने लगी। उसके तीन प्रत्याशी चुनाव हार गए।
अमरपुर, धोरैया और बांका सीट इसी चुनाव में उसके हाथ से फिसल गई। इसके बाद हार से पड़ा पला गला छोड़ने का नाम ही नहीं ले रहा है। ऐसा नहीं कि इस दौरान उसने प्रत्याशी नहीं उतारे।
2010 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सभी पांच सीटों पर प्रत्याशी उतारा। लेकिन सभी सीटों पर उसकी जमानत जब्त हो गई। इसके पहले और बाद में कांग्रेस प्रत्याशी का प्रदर्शन निराशाजनक ही रहा।
पिछले चुनाव में अमरपुर में 50 हजार वोट
पिछले यानी 2020 के विधानसभा चुनाव में राजद से गठबंधन के बाद कांग्रेस ने अमरपुर से प्रत्याशी उतारा। इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी बने जितेंद्र सिंह 50 हजार वोट लाकर चुनाव हार गए। इस चुनाव में जदयू प्रत्याशी जयंत राज 53 हजार वोट लाकर चुनाव जीतने में सफल रहे।
इसी चुनाव में लोजपा प्रत्याशी डॉ. मृणाल शेखर 40 हजार वोट लाने में सफल रहे थे। निश्चित रूप से 2025 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस का दावा अमरपुर सीट पर ही है।
जिला में अगर कांग्रेस को एक भी सीट मिली तो वह अमरपुर ही होगा। ऐसे में कांग्रेस प्रत्याशी के लिए 35 साल बाद जिला में जीत का स्वाद चखाना निश्चित रूप से बड़ी चुनौती होगी।
1985 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के विधायक
- नीलमोहन सिंह-अमरपुर
- रामरूप हरिजन-धोरैया
- चंद्रशेखर सिंह-बांका
- सुरेश यादव- कटोरिया
- सियाराम राय-बेलहर
1990 में आखिरी बार जीते कांग्रेस के विधायक
- चंद्रमौलेश्वर सिंह ललन-बेलहर
- सुरेश यादव- कटोरिया
कांग्रेस निश्चित रूप से 1990 के बाद बांका में कोई सीट नहीं जीत सकी है। इसकी कई वजहें रही हैं। वह संगठन को नए सिरे से तैयार कर रही हैं। 2025 के विधानसभा के लिए कांग्रेस अपने सभी गठबंधन साथियों के साथ एकजुट है। अमरपुर में पिछला चुनाव हम केवल तीन हजार वोट से हारे थे, निश्चित रूप से पहला दावा अमरपुर का ही है। इसके बाद हम जिला की सभी पांच सीटों पर मजबूती से चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। - कंचना कुमारी सिंह, जिलाध्यक्ष, कांग्रेस
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