Chhath 2025: छठ पूजा में नागालैंड के बांस का सूप, 300-350 रुपये जोड़े में हो रही बिक्री
बिहार में छठ पूजा के दौरान नागालैंड के बांस से बने सूपों की मांग बढ़ गई है। ये सूप जोड़े में 300 से 350 रुपये में बिक रहे हैं। छठ पूजा 2025 में पूर्वोत्तर संस्कृति का रंग देखने को मिल रहा है, क्योंकि लोग इन बांस के सूपों को खरीदकर पूजा में इस्तेमाल कर रहे हैं। यह दर्शाता है कि लोग नई परंपराओं को अपनाने के लिए उत्सुक हैं।
-1761382224570.webp)
नागालैंड के बांस से बने सूप से होगा इस बार छठ। फोटो जागरण
बोध नारायण तिवारी, धोरैया (बांका)। लोकआस्था के चार दिवसीय महापर्व छठ में बांस से बने सूप का विशेष महत्व है। इस बार नागालैंड के बांस से कुरमा गांव के कारीगर सूप तैयार कर 300 से 350 रुपये प्रति जोड़ा बेच रहे हैं।
व्रतियों ने कहा कि इस नागालैंड के बांस से बने सूप से छठ होगा। ज्ञात हो कि एक समय था, जब कुरमा गांव का सूप बांका, भागलपुर, नवगछिया और झारखंड के गोड्डा, दुमका तक जाता था।
इस संबंध में कारीगर सुभाष महौली, संजय महौली, कैलाश, रंजीत और बिनोद बताते हैं कि डोमी बांस की कीमत एक साल पहले 125-150 रुपये थी। अब यह ढाई सौ रुपये तक पहुंच गई है।
पहले झारखंड से बांस लाना पड़ता था। अब धोरैया के व्यापारी इसे नागालैंड से मंगाकर बेच रहे हैं। एक बास से 12-13 सूप बनते हैं, जिन्हें बनाने में दो कारीगरों को दो दिन लग जाते हैं।
गाढ़ी कमाई मार रहे व्यापारी
व्यापारी 170 रुपये प्रति जोड़ा खरीदते हैं, जबकि छठ के दौरान खुदरा मूल्य 300 रुपये तक पहुंच जाता है। मेहनत के अनुसार कमाई न होने के कारण कई कारीगर इस धंधे से हटने लगे हैं।
छठ पूजा के बाद जब धान की तैयारी शुरू होती है, तब सूप की मांग बढ़ती है, लेकिन त्योहार के बाद बाजार सुस्त हो जाता है। सरकारी स्तर पर भी धंधे को बढ़ावा देने के लिए कोई सहायता नहीं मिल रही है।
पूंजी के अभाव में कारीगर समय पर तैयारी नहीं कर पाते, जिससे व्यापारियों को त्योहार के पहले ही सूप की खरीदारी के लिए आना पड़ता है। इस स्थिति से सूप बनाने वाले परिवारों की आमदनी प्रभावित हो रही है और पुश्तैनी व्यवसाय धीरे-धीरे कम होता जा रहा है।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।