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    Banka News: बांका में निजी क्लीनिक की मनमानी, फीस नहीं देने पर प्रसूता को 6 घंटे बनाया बंधक

    बांका के शंभुगंज में एक निजी क्लीनिक ने प्रसूता को पैसे के लिए बंधक बना लिया। प्रसूता को जुड़वां बच्चे होने के बाद भी क्लीनिक ने बकाया राशि के लिए उसे जाने नहीं दिया। परिजनों की शिकायत पर पुलिस ने प्रसूता को मुक्त कराया। स्वास्थ्य केंद्र ने मामले की जांच की बात कही है।

    By Amarkant Mishra Edited By: Piyush Pandey Updated: Sat, 24 May 2025 11:18 PM (IST)
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    फीस नहीं देने पर प्रसूता और स्वजन को छह घंटे तक बनाया बंधक। (जागरण)

    संवाद सहयोगी, शंभुगंज ( बांका )। क्षेत्र में निजी क्लीनिक के संचालकों का मनोबल दिन-प्रतिदिन बढ़ते जा रहा है। जहां इलाज और ऑपरेशन के नाम पर गरीब और सीधे-साधे मरीजों को आसानी से जाल में फंसाते हैं। फिर मोटी रकम की वसूली करते हैं।

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    ऐसा ही एक मामला शंभूगंज बाजार के एक निजी क्लीनिक में सामने आया है। पैसे के लिए क्लीनिक के संचालक ने प्रसूता को छह घंटे तक बंधक बना दिया। स्वजन द्वारा थाने में शनिवार को शिकायत पर पुलिस ने प्रसूता को मुक्त कराया है।

    प्रसूता कुंथा निवासी नीतिश दास की 24 वर्षीया पत्नी रेशमा देवी सहित अन्य ने बताया कि शुक्रवार की दोपहर प्रसव पीड़ा पर आशा कार्यकर्ता के साथ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र शंभूगंज पहुंचे।

    अस्पताल में चिकित्सक द्वारा प्रसव में कुछ घंटे विलंब होने की बात कह इलाज शुरू कर दिया। जब अंधेरा छा गया तो चिकित्सक ने जच्चा-बच्चा पर खतरा मंडराने की बात कह रेफर कर दिया। फिर उक्त आशा के कहने पर प्रसव कराने के लिए शंभूगंज बाजार के मंजू देवी सेवा सदन में पहुंची।

    सेवा सदन में मौजूद चिकित्सक ने सुरक्षित प्रसव कराने के नाम पर 25 हजार की मांग की। जिसमें 20 हजार जमा कराया। करीब तीन घंटे के बाद रेशमा देवी को जुड़वां पुत्र हुए। स्थिति गंभीर देख चिकित्सक ने सिर्फ नवजात को रेफर कर दिया। आशा के कहने पर उक्त क्लीनिक से एंबुलेंस द्वारा बांका सदर अस्पताल पहुंचे।

    नवजात की हालत गंभीर देख चिकित्सक ने मायागंज भागलपुर भेज दिया। शनिवार सुबह मंजू सेवा सदन द्वारा पहले का बकाया और एंबुलेंस भाड़ा का हवाला देते हुए आठ हजार जमा करने पर जोर दिया।

    प्रसूता सहित अन्य स्वजन ने संचालक को रुपये बाद में जमा करने की बात कही। इस पर संचालक भड़क गए और कहने लगे कि जब तक पैसा जमा नहीं होता है तब तक क्लीनिक से बाहर जाने पर सख्त पाबंदी है।

    प्रसूता ने सूचना अपने मायका फुल्लीडुमर के घुटिया गांव में दी। सूचना पर रेशमा के पिता रामविलास दास, भाई सिंदू दास क्लीनिक पहुंचे। संचालक से कई बार कहा कि अभी नवजात का इलाज मायागंज में चल रहा है, कुछ दिन बाद बकाया देंगे। इस पर संचालक पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा।

    अंततः रामविलास ने इसकी सूचना थाना को दी। थानाध्यक्ष मंटू कुमार ने मामले को गंभीरता से लेते हुए पुलिस पदाधिकारी को भेजकर प्रसूता एवं स्वजन को मुक्त कराया। इस घटना में मंजू सेवा सदन के चिकित्सक डॉ. अमन कुमार ने स्वीकार किया कि रेशमा देवी का जुड़वा प्रसव हुआ है।

    प्री प्रसव और नवजात का वजन कम होने से रेफर किया गया। उन्होंने पैसे के लिए बंधक बनाने के आरोप को निराधार बताया है। सीएचसी प्रबंधक अमित कुमार ने बताया कि आशा कार्यकर्ता द्वारा प्रसव महिला को निजी क्लीनिक पहुंचाना गंभीर बात है। इसकी जांच की जाएगी।