Updated: Sun, 21 Sep 2025 10:30 AM (IST)
बांका जिले के बेलहर प्रखंड में यूरिया खाद की भारी किल्लत है। कृषि विभाग के आवंटन के बाद भी किसानों को खाद नहीं मिल पा रही है जिससे वे परेशान हैं। कालाबाजारी चरम पर है और किसानों को अधिक दाम पर खाद खरीदने को मजबूर होना पड़ रहा है। महिला किसानों को सबसे ज्यादा परेशानी हो रही है। विभाग ने जांच का आश्वासन दिया है।
संवाद सूत्र, बेलहर (बांका)। कृषि विभाग और जिला प्रशासन की लचर व्यवस्था तथा चरम पर पहुंचे भ्रष्टाचार के कारण बेलहर प्रखंड में यूरिया की किल्लत और कालाबाजारी थमने का नाम नहीं ले रही है। हालात इतने गंभीर हैं कि किसान खाद के लिए दर-दर भटक रहे हैं।
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दुकानदारों द्वारा हाथ खड़े कर दिए जाने से किसान बैरंग लौटने को मजबूर हैं। खासकर महिला किसानों को अधिक परेशानी उठानी पड़ रही है, जो एक बोरी यूरिया लेने के लिए 100-150 रुपये किराया खर्च करने के बाद भी खाली हाथ लौट रही हैं।
विभागीय आंकड़ों के अनुसार, बुधवार को ही डीएओ कार्यालय से बेलहर प्रखंड के लिए 3435 बोरी यानी 155 एमटी यूरिया खाद आवंटन का पत्र जारी किया गया। इसमें यारा कंपनी का 120 एमटी और एचयूआरएल का 35 एमटी शामिल था।
बावजूद इसके दुकानों में यूरिया नदारद है। बताया जाता है कि मुश्किल से 800 बोरी ही उपलब्ध कराई गई है, शेष खाद कहां गया, यह जांच का विषय बना हुआ है। कटोरिया प्रखंड के एक दुकानदार ने भी आवंटन के बावजूद खाद नहीं मिलने की शिकायत वायरल कर दी है।
चर्चा है कि विभाग में भ्रष्टाचार चरम पर है और किसानों को प्रति बोरी 266 रुपये की जगह 350 रुपये तक में यूरिया बेचा जा रहा है। कई बार नकली खाद भी थमाई जाती है, जिसमें पाउडर पैकेट डालकर 400 रुपये तक वसूले जाते हैं।
इस किल्लत के कारण किसानों की फसल पर संकट गहराने लगा है। बीज, जुताई और मजदूरी पर भारी खर्च के बाद भी यूरिया न मिलने से पैदावार प्रभावित होती है। नतीजा यह होता है कि उपज और लागत लगभग बराबर हो जाती है।
ऐसे में किसानों की आय दोगुनी करने का सरकार का दावा खोखला साबित हो रहा है। किसानों का कहना है कि स्थानीय स्तर पर भी कई कर्मी इस गोरखधंधे में संलिप्त हैं। वहीं बीएओ ऋचा सिंह ने कहा कि मामले की जांच कर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी और इसकी जानकारी वरीय अधिकारियों को भी दी जाएगी।
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