बांका में किसानों की आय बढ़ाने के लिए मूंगफली की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है जिसके लिए चांदन प्रखंड को चुना गया है। पिछले साल 50 हेक्टेयर में खेती हुई थी जिसे इस साल 100 हेक्टेयर तक बढ़ाने का लक्ष्य है। कृषि विज्ञान केंद्र की देखरेख में किसान खेती कर रहे हैं जिससे अच्छी पैदावार की उम्मीद है। कम लागत में किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं।
संवाद सूत्र, बांका। किसानों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करने के लिए मूंगफली की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके लिए पहले चरण में चांदन प्रखंड का चयन किया गया है।
पिछले साल सातो, बंगलगढ़ सहित आसपास के गांव में करीब 50 हेक्टेयर भूमि पर मूंगफली की खेती कराई गई थी। अच्छी पैदावार होने के बाद इस साल मूंगफली की खेती का रकबा 100 हेक्टेयर से अधिक करने का लक्ष्य है।
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कृषि विज्ञान केंद्र के विज्ञानी की देखरेख में किसान यहां पर मूंगफली की खेती कर रहे हैं। कृषि विज्ञान केंद्र के विज्ञानी संजय मंडल ने बताया कि मूंगफली की खेती की यहां पर भरपूर संभावना है।
पिछले साल जिन गांवों में मूंगफली की खेती कराई गई थी, उसके अलावे इस साल चांदन प्रखंड के ही दूसरे गांव में खेती करने का लक्ष्य है।
एक हेक्टेयर में मूंगफली की खेती करने के लिए 80 से 100 किलो बीज की जरूरत होती है। किसानों को बीज नेशनल सीड कॉरपोरेशन पूर्णिया से मांगकर उपलब्ध कराया जाएगा।
चांदन प्रखंड के अलावा कटोरिया और बौंसी का दक्षिणी इलाका मूंगफली की खेती के लिए उपयुक्त है। पठारी इलाका होने के कारण बारिश होते ही खेतों से पानी निकल जाता है। खेतों में पानी जमा नहीं होता है, जो सबसे ज्यादा जरूरी है। किसान कम लागत में मूंगफली की खेती कर अच्छी कमाई कर सकते हैं।
और बढ़ेगा मूंगफली का रकबा
आने वाले समय में जिले में मूंगफली की खेती का रकबा और बढ़ेगा। पठारी क्षेत्र की वजह से चांदन कटोरिया और बौंसी के दक्षिणी क्षेत्र की मिट्टी हल्की एवं बलुआही है, जो मूंगफली की फसल के लिए उपयुक्त है।
कृषि विज्ञान केंद्र के विज्ञानियों ने बताया कि 15 जून से 15 जुलाई तक मूंगफली की बोआई के लिए बेहतर समय माना जाता है। प्रति हेक्टेयर इसका उत्पादन 25 से 30 क्विंटल तक होता है।
चांदन प्रखंड में मूंगफली की खेती पिछले साल कराई गई थी। इस साल भी वहां पर मूंगफली की खेती कराई जाएगी। जिले में मूंगफली की खेती की भरपूर संभावना है। किसान इससे अच्छी आय प्राप्त कर सकते हैं। - डॉ. ब्रजेंदु कुमार, वरीय विज्ञानी, कृषि विज्ञान केंद्र
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