Banka Assembly Seat 2025: बांका को हाईटेक अस्पताल-आईटीआई की सौगात, सिरामिक फैक्ट्री और उद्योग की जरूरत
बांका विधानसभा का इतिहास पुराना है जहा चंद्रशेखर सिंह मुख्यमंत्री बने। यहां भाजपा और राजद के बीच मुकाबला रहा है। रामनारायण मंडल लगातार चुनाव जीत रहे हैं पर विपक्ष रोजगार और शिक्षा पर सवाल उठा रहा है। जनता विकास और रोजगार के मुद्दों पर ध्यान देने की उम्मीद कर रही है। पिछले पांच सालों में सड़कें बनी हैं पर सिंचाई और उद्योग की कमी है।

राहुल कुमार, बांका। बांका विधानसभा (Bihar Assembly Seat) का इतिहास पुराना है। यहां से विधायक रहते चंद्रशेखर सिंह 1985 में बिहार के मुख्यमंत्री बने थे। इसके अलावा पहली विधानसभा चुनाव में जीते कांग्रेस के दिग्गज नेता राघवेंद्र सिंह भी पहले मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह के मंत्रिमंडल में मंत्री रह चुके हैं। पिछले तीन दशकों से इस सीट पर भाजपा के रामनारायण मंडल और राजद नेता डॉ. जावेद इकबाल अंसारी के बीच सीधा मुकाबला चलता रहा है।
1990 से 2014 तक बारी-बारी से दोनों नेताओं ने मंत्री पद दो-दो बार संभाला है, लेकिन 2014 के बाद से रामनारायण मंडल लगातार तीन चुनाव जीत रहे हैं और हर बार अपनी जीत का अंतर बढ़ाते रहे हैं। 2020 के चुनाव में रामनारायण मंडल ने राजद के डॉ. जावेद इकबाल अंसारी को 16,828 मतों के अंतर से पराजित किया है। रामनारायण को कुल 69,762 वोट मिले थे, जबकि डॉ. जावेद को 52,934 वोट प्राप्त हुए।
भौगोलिक रूप से, बांका विधानसभा क्षेत्र का उत्तरी और पूर्वी हिस्सा कृषि भूमि वाला है, जबकि दक्षिण-पश्चिम का इलाका पठारी है। इस कारण ग्रामीण जनता रोजी-रोटी के लिए संघर्ष कर रही है। यहां अधिकांश लोगों को परिवार चलाने के लिए बाहर जाना पड़ता है। जिला मुख्यालय होने के बावजूद आसपास रोजगार या स्वरोजगार के पर्याप्त अवसर नहीं बने। किसानों के लिए सिंचाई की समस्या सालों से बनी हुई है।
आगामी विधानसभा चुनाव में दोनों दलों की मजबूत दावेदारी दिखाई दे रही है। जनता उम्मीद कर रही है कि विधायक क्षेत्र के विकास और रोजी-रोटी से जुड़े मुद्दों पर ध्यान देंगे, ताकि रोजगार, सिंचाई और आधारभूत सुविधाओं की कमी को दूर किया जा सके। जिला मुख्यालय होने के बावजूद आसपास रोजी रोजगार या स्वरोजगार का कोई बड़ा काम नहीं हो सका है। किसानों के लिए सिंचाई की समस्या है। वैसे राज्य सरकार की योजनाएं गिनाने के लिए कई नाम हैं।
विधायक की उपलब्धियां-
- बाईपास से खुलेगी विकास की राह
- पंजवारा- कटोरिया एनएच की स्वीकृति
- चांदन नदी में जितारपुर के पास बाईपास पुल का निर्माण
- लकड़ीकोला में महिला आईटीआई का निर्माण
- सदर अस्पताल बांका में हाइटेक भवन का निर्माण
- एक दर्जन नया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की स्वीकृति
- 250 करोड़ रुपये की ग्रामीण सड़कों का निर्माण
- शहर में नए ऑडिटेरियम निर्माण को स्वीकृति
- ओढ़नी व सुखनिया नदी में नए जगह पर पुल
- दस नया हाईटेक इंटर स्कूल भवन बनकर तैयार
इन योजनाओं की उम्मीद
- बंद सिरामिक फैक्ट्री चालू करने की कवायद
- जिला मुख्यालय में रोजगार के लिए उद्योग धंधे की जरूरत
- किसानों को सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराना
- जिला मुख्यालय में एमए की पढ़ाई की सुविधा
- जिला मुख्यालय में हाईटेक पार्क की सुविधा
पिछले पांच साल बांका विधानसभा के लिए स्वर्णिम रहे हैं। इस दौरान 250 करोड़ से अधिक की सड़कें बनवाई गई हैं। चांदन और ओढ़नी नदी पर नया पुल निर्माणाधीन है और बांका शहर में जिला का पहला बाईपास बनना शुरू हो गया है। बांका से राष्ट्रीय उच्च पथ गुजरेगा। अस्पताल और विद्यालय भवन तैयार हुए हैं, जिससे सदर अस्पताल राज्य के श्रेष्ठ अस्पतालों में शामिल हो गया है। इंजीनियरिंग कालेज के बाद महिला आईटीआई भी शुरू किया गया। जनता इन विकास कार्यों को देख रही है और अब वे बचे हुए काम पूरे करने के लिए विधायक से एक और अवसर चाहती है। - रामनारायण मंडल, भाजपा विधायक सह पूर्व मंत्री
रामनारायण मंडल पिछले 11 साल से लगातार विधायक हैं और दो बार मंत्री भी बने। बांका की जनता ने उन्हें छह बार चुना है, लेकिन इस कार्यकाल में उनके नाम कोई बड़ा विकास कार्य नहीं दिखाई देता। नाली, सड़क और चबूतरे जैसे काम बड़े नेता की उपलब्धि नहीं माने जाते। राष्ट्रीय स्तर पर नीतिन गडकरी के नेतृत्व में सड़क निर्माण के रिकार्ड काम हुए हैं, जिनमें बांका बाईपास और एनएच भी शामिल हैं। स्थानीय लोग मानते हैं कि विधायक के प्रयास से कोई बड़ा काम नहीं हुआ और भ्रष्टाचार बढ़ा है। अधिकांश मतदाता भाजपा के नाम पर वोट देते हैं। हालांकि, मंदार और ओढ़नी को राष्ट्रीय पहचान दिलाने में मेरा योगदान है। - डॉ. जावेद इकबाल अंसारी, राजद प्रत्याशी सह पूर्व मंत्री
बांका में सड़क और पुल बड़ी संख्या में बने हैं। रोजगार की दिशा में कुछ नहीं हुआ है। उच्च शिक्षा के लिए पहल की जरूरत है। - संजय सिंह सेवानिवृत शिक्षक
इंजीनियरिंग, महिला आईटीआई कॉलेज बने हैं। सिंचाई के क्षेत्र में काम नहीं हुआ है। इस पर पहल करने की जरूरत है। - परमानंद सिंह
20 साल में बांका काफी तेजी से बदला है। नागरिकों की कई सुविधाएं बढ़ी हैं। आप 2005 के पहले के बांका को देखेंगे तो शायद कुछ याद नहीं होगा। विधायक बांका के विकास को हर संभव प्रयास कर रहे हैं। - श्रीप्रसाद यादव अधिवक्ता
बांका शहर में विकास के कई काम लगातार हो रहे हैं। शहरीकरण पर हर शहर में एक बड़ा पार्क या लोगों के बैठने की जगह का इंतजाम अब जरूरी था। आगे इस दिशा में काम करने की जरूरत है। - दीपक कुमार
बांका विधान सभा एक नजर में
- मतदान केंद्र की संख्या- 246
- कुल वोटर की संख्या- 2,54,480
- पुरुष वोटर की संख्या-131,407
- महिला वोटर की संख्या-116,928
- थर्ड जेंडर- 02
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