कुपोषण मिटाने वाला आंगनबाड़ी केंद्र ही हुआ ‘कुपोषित’, घर से पानी लाकर खाना बनाती है सेविका
बांका जिले के शंभुगंज में आंगनबाड़ी केंद्रों की हालत खराब है। 211 केंद्रों में से 100 से अधिक के पास भवन नहीं हैं। पेयजल और शौचालय की समस्या है। कई केंद्र जर्जर हालत में हैं। बरसात में कुछ केंद्र टापू बन जाते हैं। अधिकारी भवन उपलब्ध कराने की बात कह रहे हैं लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि बुनियादी सुविधाओं के बिना पोषण सप्ताह का कोई लाभ नहीं है।

संवाद सहयोगी, शंभुगंज (बांका)। कुपोषण मिटाने का दावा करने वाले आंगनबाड़ी केंद्र खुद अव्यवस्था और कुपोषण के शिकार हैं। सात सितंबर से जिले में पोषण सप्ताह की शुरुआत हुई है, जिसके तहत बच्चों को कुपोषण से बचाने का पाठ पढ़ाया जा रहा है।
मगर जमीनी हकीकत इसके बिल्कुल विपरीत है। शंभुगंज प्रखंड में कुल 211 आंगनबाड़ी केंद्र हैं, जिनमें से सौ से अधिक भवन विहीन हैं। कई केंद्र विद्यालय, पुस्तकालय या पंचायत भवन में संचालित होते हैं, जबकि कुछ सेविका के घर पर ही चल रहे हैं।
पेयजल और शौचालय की भारी समस्या
आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 20, धरमपुर गांव में बच्चों की संख्या तो अधिक है, लेकिन व्यवस्था शून्य है। यहां पेयजल की सुविधा नहीं है। सहायिका घर से चापानल का आयरन युक्त पानी ढोकर लाती हैं और उसी से बच्चों को पिलाने तथा भोजन बनाने का काम होता है।
शौचालय की स्थिति बेहद खराब है। घेराबंदी न होने से आसपास का कूड़ा केंद्र के पास जमा रहता है। केंद्र के सामने बने गड्ढे में सड़क और घरों का गंदा पानी भरने से संक्रमण का खतरा हमेशा बना रहता है।
बरसात में टापू बन जाता केंद्र
आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 87 का भवन तो नया है, लेकिन यह सड़क से चार फीट नीचे बना है। बरसात के दिनों में यहां जलजमाव हो जाता है और केंद्र टापू की तरह अलग-थलग पड़ जाता है। सेविका सिंधू सिंह ने बताया कि जलजमाव की समस्या की शिकायत कई बार की गई, मगर आज तक कोई समाधान नहीं हुआ। नतीजतन, कई बार केंद्र को बंद करना पड़ता है।
जुगाड़ से संचालित हो रहे केंद्र
केशोपुर दलित बस्ती का केंद्र संख्या 70 भवन विहीन है। यहां सेविका के घर में केंद्र संचालित होता है। गली के सामने खुले नाले से मच्छरों का अड्डा बन गया है। वहीं, केंद्र संख्या 21 रंगमंच में और 22 पुस्तकालय भवन में चल रहा है। पूरे प्रखंड में 108 आंगनबाड़ी केंद्र इसी तरह जुगाड़ से चल रहे हैं।
हाल ही में पदभार संभाला है। भवन विहीन आंगनबाड़ी केंद्रों को भवन उपलब्ध कराने का प्रयास किया जाएगा। ग्रामीणों और सेविकाओं का कहना है कि जब तक बुनियादी सुविधाएं नहीं मिलेंगी, तब तक पोषण सप्ताह जैसे आयोजन केवल कागजों पर सिमटे रहेंगे।- मीना कुमारी, सीडीपीओ
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।