बांका में मछली उत्पादन में भारी उछाल, निजी और सरकारी तालाबों की संख्या में भी बढ़ोतरी
बांका जिले में मछली उत्पादन में पिछले कुछ वर्षों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। सरकारी योजनाओं और जल संसाधनों के बेहतर उपयोग से उत्पादन लगातार बढ़ रहा है। वर्ष 2024-25 में उत्पादन 17 हजार टन तक पहुंच गया है जो खपत के बराबर है। जिले में निजी और सरकारी तालाबों की संख्या में भी वृद्धि हुई है और किसानों को मछली पालन के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

जागरण संवाददाता, बांका। पिछले कुछ वर्षों में जिले में मछली उत्पादन के क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। आज स्थिति यह है कि जिला न केवल अपनी मछली की खपत को पूरा कर रहा है, बल्कि अतिरिक्त उत्पादन को आसपास के जिलों के बाजारों में भेजा जा रहा है।
मत्स्य विभाग के अधिकारी के अनुसार सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं और जिले में उपलब्ध जल संसाधनों के बेहतर उपयोग के कारण मछली उत्पादन में लगातार वृद्धि हो रही है।
मत्स्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2021 में बांका में मछली का कुल उत्पादन 13.5 हजार टन था। निरंतर प्रयास और नई तकनीकों के उपयोग से यह उत्पादन 2024-25 में बढ़कर 17 हजार टन हो गया। यानी तीन वर्षों में साढ़े तीन हजार टन की वृद्धि दर्ज की गई।
वर्ष 2024 में जिले की मछली की खपत भी 17 हजार टन तक पहुंच गई, यानी उत्पादन और खपत अब बराबर हो गई है। मत्स्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार जिले में बड़ी संख्या में लोग व्यवसायिक मछली पालन से जुड़ रहे हैं। निजी तालाबों की संख्या पांच हजार के करीब पहुंच गई है। जबकि सरकारी तालाबों की संख्या भी 849 से बढ़कर 853 हो गई है।
हाल ही में अमरपुर में दो, शंभूगंज व बेलहर प्रखंड में एक-एक नए सरकारी तालाब का निर्माण कराया गया है।
केज कल्चर से हो रहा मछली पालन जिले में 10 डैम हैं, जिसमें सभी जगहों पर मछली पालन किया जा रहा है। खासकर ओढ़नी डैम में केज कल्चर तकनीक से मछली पालन किया जा रहा है। आकांक्षी जिला योजना के तहत यहां 72 लाख रुपये की लागत से केज लगाए गए हैं।
इसके साथ ही मछली पालन करने के इच्छुक किसानों को सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं का लाभ तो दिया ही जा रहा है, साथ ही मछली पालन के लिए प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।
मछली उत्पादन में बांका जिला आत्मनिर्भर हो गया है। यहां हर साल 17 हजार टन मछली का उत्पादन हो रहा है। इसके लिए किसानों को कई प्रकार की योजनाओं का लाभ भी दिया जा रहा है।
- मनोज कुमार, जिला मत्स्य पदाधिकारी।

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