हनुमना डैम सूखने से तीन जिला के किसानों की बढ़ी परेशानी
बांका। क्षेत्र का सबसे बड़ा जल भंडार माना जानेवाला बदुआ हनुमाना डैम के सूख कर तालाब हो जाने से इस बार
बांका। क्षेत्र का सबसे बड़ा जल भंडार माना जानेवाला बदुआ हनुमाना डैम के सूख कर तालाब हो जाने से इस बार किसानों की परेशानी बढ़ गयी है। इस बार बेलहर, शंभूगंज, फुल्लीडुमर के साथ साथ मुंगेर जिले के संग्रामपुर एवं तारापुर एवं भागलपुर के शाहकुंड और सुल्तानगंज प्रखंड तक के किसानों इससे काफी परेशानी का सामना करना पड़ेगा। कारण इन सभी प्रखंडों के किसानों की खेतों की ¨सचाई का बदुआ डैम इकलौता साधन है। लेकिन अब इसके मिट रहे अस्तित्व और दशकों से भरे मलबे के कारण यह डैम तालाब के आकार में आ गया है। जिस कारण पूर्वी केनाल के साथ-साथ इस बार पश्चिमी केनाल भी सूख चुका है। जिसके चलते औसत बारिश नहीं होने की स्थिति में किसानों के खेतों तक पानी पहुंचना काफी मुश्किल है।
किसानों के लिए वरदान है बदुआ
1962 में इस डैम का निर्माण कार्य पूरा हुआ था। कहा जाता है कि किसानों के खेतों में जब पहली बार डैम का पानी गिरा तो खुशी के मारे किसान उछल पड़े थे। कारण कई पीढि़यों से बंजर पड़ी भूमि के उपजाऊ होने का सपना पूरा हुआ था। लेकिन किसानों का वह सपना अब टूटता नजर आ रहा है। महज साढ़े पांच दशक में ही डैम मे इतना मलबा भर गया कि अब डैम पानी संचय करने की अपनी क्षमता लगभग खो चुकी है।
तीन जिला की खेती होगी चौपट
मलबा भरने के कारण डैम उथला हो गया है। इस कारण डैम में पानी भंडारण की क्षमता कम हो गयी है। नतीजा, बांका के बेलहर, शंभूगंज, फुल्लीडुमर, मुंगेर का संग्रामपुर एवं तारापुर और भागलपुर का सुल्तानगंज एवं शाहकुंड प्रखंड के एक बड़े हिस्से की जमीन पर खेती मुश्किल हो जाएगी।
क्या कहते हैं किसान
किसानों ने बताया की सरकार को किसानों के हित में इस डैम को बचाना जरूरी है। डैम की खुदाई कर मलवे को हटाने के साथ पूर्वी और पश्चिमी केनाल को बराबर करना होगा। ताकि दोनों केनाल में पानी बराबर जा सके।
क्या कहते हैं अभियंता
कार्यपालक अभियंता उमेश कुमार ने बताया कि डैम की खुदाई के लिये सरकार को डीपीआर तैयार कर भेजा गया है। उम्मीद है कि जल्द ही इसकी खुदाई शुरू हो जाय। डैम को अभी पानी संचय की क्षमता है। किसान ¨चतित न हों।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।