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    विधानसभा चुनाव में 31 बार की कोशिश, 2005 में खुला खाता; औरंगाबाद में महिला नेताओं के संघर्ष की कहानी

    Updated: Wed, 08 Oct 2025 02:59 PM (IST)

    औरंगाबाद जिले में आजादी के बाद से 2020 तक विधानसभा चुनावों में महिलाओं की भागीदारी कम रही है। 31 प्रयासों में केवल एक महिला रेणु देवी 2005 में विधायक बनीं। 1951-52 1962-1972 और 2000 में कोई महिला प्रत्याशी नहीं थी। अन्य चुनावों में कुछ महिलाओं ने भाग लिया लेकिन सफलता सीमित रही।

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    विस चुनाव में 31 बार की कोशिश में 2005 में मिली सफलता

    उपेंद्र कश्यप, दाउदनगर (औरंगाबाद)। आजादी के बाद से लेकर वर्ष 2020 तक बिहार विधानसभा के चुनावों में महिलाओं की भागीदारी का आंकड़ा बेहद दिलचस्प है।

    इस दौरान औरंगाबाद के सभी छह विधानसभा क्षेत्रों में कुल 31 बार महिला प्रत्याशियों ने विधायक बनने की कोशिश की, लेकिन सफलता केवल एक बार मिली। 2005 में, देव सुरक्षित सीट से रेणु देवी ने जदयू के टिकट पर जीत हासिल की और जिले की पहली महिला विधायक बनीं।

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    बिहार में विधानसभा चुनावों का इतिहास 1951-52 से शुरू होता है, जब पहले चुनाव में जिले के किसी विधानसभा क्षेत्र से कोई महिला प्रत्याशी नहीं थी।

    1957 में, नबीनगर विधानसभा क्षेत्र से शांति देवी ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा, लेकिन वे छठे स्थान पर रहीं। उन्हें केवल 3.12 प्रतिशत वोट मिले, जो कि उस समय तक किसी भी महिला प्रत्याशी द्वारा प्राप्त किए गए मतों में सबसे कम थे।

    इसके बाद, 1962 से 1972 तक चार चुनावों में कोई महिला प्रत्याशी मैदान में नहीं उतरी। 1977 में, नबीनगर में अवंतिका शास्त्री और रफीगंज में राधा रानी ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा, लेकिन दोनों को अपेक्षित सफलता नहीं मिली।

    1980 में राधा रानी सिंह ने बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन वे भी आठवें स्थान पर रहीं। 1985 में, चंपा देवी और कुसुम देवी ने चुनावी मैदान में कदम रखा।

    कुसुम देवी ने ओबरा से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और 15.10 प्रतिशत वोट प्राप्त किए, जो उस समय तक किसी महिला प्रत्याशी द्वारा प्राप्त किए गए मतों में सबसे अधिक थे। हालांकि, 1995 में कुसुम देवी को केवल 2645 वोट मिले।

    2000 और 2005 के चुनावों में भी कोई महिला प्रत्याशी चुनावी मैदान में नहीं उतरी, लेकिन अक्टूबर 2005 में, रेणु देवी ने देव सुरक्षित सीट से जीत हासिल की और 36.24 प्रतिशत वोट प्राप्त किए।

    यह जीत महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुई। 2010 में, चार विधानसभा क्षेत्रों से कुल पांच महिला प्रत्याशी चुनावी मैदान में थीं।

    2015 में, छह महिला प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा, और 2020 में नबीनगर से दो और औरंगाबाद से एक महिला प्रत्याशी ने चुनाव में भाग लिया।

    बिहार विधानसभा चुनावों में महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी का विश्लेषण कुछ इस प्रकार है

    वर्ष विस क्षेत्र प्रत्याशी पार्टी प्राप्त मत
    1957 नबीनगर शांति देवी निर्दलीय 2965
    1977 नबीनगर अवंतिका शास्त्री निर्दलीय 1478
    1977 रफीगंज राधा रानी सिंह निर्दलीय 1303
    1980 औरंगाबाद राधा रानी सिंह बीजेपी 820
    1980 रफीगंज राधा रानी सिंह बीजेपी 181
    1985 देव चंपा देवी निर्दलीय 582
    1985 ओबरा कुसुम देवी कांग्रेस 13395
    1990 नबीनगर विशेश्वरी देवी निर्दलीय 48
    1990 औरंगाबाद उषा कुमारी आईपीएफ 8859
    1995 देव सुमित्रा देवी बीजेपी 3934
    1995 देव फुलवा देवी निर्दलीय 120
    1995 रफीगंज लीला सिंह बीपीपी 1708
    1995 ओबरा कुसुम कुमारी यादव कांग्रेस 2645
    1995 ओबरा सावित्री देवी निर्दलीय 157
    2005 देव रेणु देवी जदयू 32417
    2005 देव कुसुम देवी लोजपा 11113
    2005 गोह उर्मिला देवी सीपीआईएमएल 2878
    2010 नबीनगर अर्चना चंद्र बीएसपी 11850
    2010 गोह निर्मला देवी एनसीपी 777
    2010 गोह कुमारी अनुपम सिंह जेएमबीपी 1508
    2010 कुटुंबा मनोरमा देवी बीएसपी 3535
    2010 रफीगंज माधवी सिंह कांग्रेस 6273
    2015 गोह रीता देवी निर्दलीय 956
    2015 ओबरा नीलम कुमारी एसपी 1798
    2015 ओबरा रिचा सिंह निर्दलीय 1868
    2015 नबीनगर श्वेता देवी एएचएफबीके 569
    2015 नबीनगर मंजू देवी बीएसपी 17106
    2015 रफीगंज उषा देवी एसएसडी 1260
    2020 नबीनगर मालती देवी एसपीएल 556
    2020 नबीनगर संजू देवी निर्दलीय 1589
    2020 औरंगाबाद अर्चना देवी पीएमएस 1614

    इन वर्षों में एक भी महिला प्रत्याशी नहीं

    वर्ष 1951-52 में हुए प्रथम चुनाव में एक भी महिला प्रत्याशी जिले के किसी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव नहीं लड़ी। ऐसी ही स्थिति वर्ष 1962, 1967, 1969 और 1972 के लगातार चार चुनाव में एक भी महिला किसी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव नहीं लड़ी।

    इसके अलावा, वर्ष 2000 में हुए चुनाव में एक भी महिला प्रत्याशी जिले के किसी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में नहीं उतरीं।