Move to Jagran APP

'कुशवाहा लैंड' पर बड़े सियासी खेल की तैयारी, उपेंद्र ने काट दिया JDU के दिग्गज नेता का पत्ता; समझें इसके मायने

लगातार कुशवाहा जाति के व्यक्ति के सांसद बनने से काराकाट को कुशवाहा लैंड कहा जाने लगा है। ऐसी स्थिति बनते ही दो बार के सांसद रह चुके जदयू के नेता महाबली सिंह बेटिकट हो गए हैं। वह लगातार परिश्रम कर रहे थे और चुनाव जीतने की रणनीति पर काम कर रहे थे। सूत्रों के अनुसार महाबली सिंह ने अपने खास कार्यकर्ताओं को सक्रिय भी कर दिया था।

By UPENDRA KASHYAP Edited By: Rajat Mourya Published: Wed, 20 Mar 2024 05:27 PM (IST)Updated: Wed, 20 Mar 2024 05:27 PM (IST)
'कुशवाहा लैंड' पर बड़े सियासी खेल की तैयारी, उपेंद्र ने काट दिया JDU के दिग्गज नेता का पत्ता

उपेंद्र कश्यप, दाउदनगर (औरंगाबाद)। भाजपा ने सीट शेयरिंग फॉर्मूले के तहत काराकाट की सीट राष्ट्रीय लोक मोर्चा को दी है। पार्टी से अधिक चर्चा इस बात की है कि भाजपा ने उपेंद्र कुशवाहा को ये सीट दी है। इससे यह साफ संदेश जा रहा है कि काराकाट लोकसभा सीट से एनडीए के प्रत्याशी उपेंद्र कुशवाहा होंगे।

loksabha election banner

लगातार कुशवाहा जाति के व्यक्ति के सांसद बनने से काराकाट को 'कुशवाहा लैंड' कहा जाने लगा है। ऐसी स्थिति बनते ही दो बार के सांसद रह चुके जदयू के नेता महाबली सिंह बेटिकट हो गए हैं। वह लगातार परिश्रम कर रहे थे और चुनाव जीतने की रणनीति पर काम कर रहे थे।

सूत्रों के अनुसार, महाबली सिंह ने अपने खास कार्यकर्ताओं को सक्रिय भी कर दिया था और चुनावी मैनेजमेंट के सभी आयामों पर काम करने का निर्देश दे रखा था। लगातार इलाके का दौरा कर रहे थे। सबकुछ उस वक्त धराशायी हो गया जब एनडीए में उपेंद्र कुशवाहा के लिए काराकाट सीट देने के लिए जदयू ने अपने सीटिंग सीट से समझौता कर लिया।

2014 में पहली बार सांसद बने थे उपेंद्र कुशवाहा

महत्वपूर्ण है कि उपेंद्र कुशवाहा पहली बार सांसद बने तो काराकाट के मतदाताओं के कारण। वर्ष 2008 में अस्तित्व में आई इस सीट पर जब 2009 में चुनाव हुआ तो राजग गठबंधन से जदयू के प्रत्याशी महाबली सिंह सांसद बने और राजद के कांति सिंह को यहां हार मिली थी। वर्ष 2014 में जब नरेंद्र मोदी भाजपा के प्रधानमंत्री चेहरा घोषित किए गए तो जदयू अलग हो गई और तब यहां से राजग का सहयोगी बनकर राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के उपेंद्र कुशवाहा चुनाव लड़े थे।

महाबली जदयू से प्रत्याशी थे और राजद से डॉ. कांति सिंह। पहली बार इस चुनाव में उपेंद्र कुशवाहा को जीत मिली और लोकसभा पहुंचे। फिर 2019 के चुनाव में रालोसपा राजद के साथ जुड़ गई और दो बार हार के कारण राजद ने डॉ. कांति सिंह की जगह उपेंद्र कुशवाहा को टिकट दिया।

अब महाबली के हाथ खाली

राष्ट्रीय लोक समता पार्टी से चुनाव लड़े और हार गए। जदयू की टिकट पर चुनाव लड़े महाबली सिंह की जीत हुई। अब जब फिर से उपेंद्र सामने आ गए हैं तो महाबली सिंह का टिकट कट गया है। उनकी सारी रणनीति फेल गई और विश्वास टूट गया।

ये भी पढ़ें- Bihar Politics: '...बड़ी हिस्सेदारी चाहते हैं', सीट शेयरिंग पर कुशवाहा का बड़ा बयान; नीतीश के लिए कह दी ये बात

ये भी पढ़ें- Chirag Paswan: चिराग पासवान किस पर खेलेंगे दांव? महागठबंधन से भी पिक्चर क्लियर नहीं, इस सीट पर सियासी हलचल तेज


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.