कला आधारित शिक्षा प्रणाली पर प्रशिक्षण
प्रखंड मुख्यालय कुटुंबा में आयोजित निष्ठा प्रशिक्षण के पहले बैच के चौथे दिन रविवार को प्रशिक्षक जितेंद्र कुमार सिन्हा ने कला समेकित शिक्षा पर प्रकाश डाला।
प्रखंड मुख्यालय कुटुंबा में आयोजित 'निष्ठा' प्रशिक्षण के पहले बैच के चौथे दिन रविवार को प्रशिक्षक जितेंद्र कुमार सिन्हा ने कला समेकित शिक्षा पर प्रकाश डाला। कहा कि यदि सिखाने की प्रक्रिया में ²श्य कला, प्रदर्शन कला, चित्रकला, साहित्य कला का संयोजन किया जाए तो बच्चों को अवधारणा समझने में आसानी होती है।
कला के माध्यम से गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान एवं भाषा में उनकी अमूर्त अवधारणाओं के बीच संबंध स्थापित कर प्रभावी ढंग से अधिगम कराया जा सकता है। अधिगम में कला का समावेश बच्चों के सीखने और उनके समग्र विकास पर सीधा प्रभाव डालता है। शिक्षण में कला के समावेश से बच्चों की रचनात्मक अभिव्यक्ति का पता लगता है। उन्होंने कला शिक्षा और कला समेकित शिक्षा में अंतर पर भी चर्चा किया। कला से जुड़ने के बाद विद्यार्थी अवलोकन, कल्पना, खोज, प्रयोग, तर्क, सृजन सहित गतिविधियों से गुजरता है। प्रशिक्षक सुमंत कुमार ने विद्यालय में स्वास्थ्य और कल्याण के बारे में चर्चा किया। स्वास्थ्य केवल रोगों से मुक्ति नहीं है बल्कि यह शारीरिक, सामाजिक, भावनात्मक एवं मानसिक लक्षण की स्थिति को प्रकट करता है। यह सभी तत्व निरंतरता में एक दूसरे को प्रभावित करते हैं। पीपीटी एवं वीडियो क्लिप के माध्यम से इस सत्र में चर्चा किया गया। संतुलित भोजन के लिए संतुलित पिरामिड पर चर्चा की गई। अच्छी आदतों का विकास किस तरह से बच्चों के खानपान को प्रभावित करता है इस पर चर्चा किया गया। प्रशिक्षक नंदलाल राम एवं उज्जवल रंजन ने विद्यालय आधारित आकलन पर चर्चा किया। बच्चों के अंदर सभी प्रकार की उपलब्धियों का समग्रता में अनुमान करना विद्यालय आधारित आकलन है। आकलन सभी क्षेत्रों में करना आवश्यक है। एसआरपी चंद्रशेखर प्रसाद साहू ने विद्यालय प्रधान की विशेषताओं पर चर्चा किया। उन्होंने कहा कि शिक्षक को सुगम कर्ता होना चाहिए। जो अवधारणा बच्चों को स्पष्ट नहीं है उसे सही करना शिक्षक का दायित्व है। बच्चे कभी-कभी स्वयं के ज्ञानार्जन में गलत अवधारणा बना लेते हैं, शिक्षक इन गलत अवधारणाओं को दूर करते हैं।