विरासत की राजनीति कर रहे जिले के तीन विधायक
औरंगाबाद। राजनीति में कई दिग्गज जनता के बीच सियासत के हस्ताक्षर के रूप में जाने जाते हैं। दिग्गजों की वर्तमान पीढि़यां पारिवारिक विरासत को सहेजते हुए राजनीति के मैदान में हैं।
औरंगाबाद। राजनीति में कई दिग्गज जनता के बीच सियासत के हस्ताक्षर के रूप में जाने जाते हैं। दिग्गजों की वर्तमान पीढि़यां पारिवारिक विरासत को सहेजते हुए राजनीति के मैदान में हैं।
पूर्व स्वास्थ्य मंत्री के पुत्र हैं कुटुंबा विधायक
फोटो - 14 एयूआर 01
कुटुंबा विधानसभा से वर्तमान विधायक राजेश कुमार को राजनीति विरासत में मिली है। पिता दिलकेश्वर राम चार बार विधायक रहे। 1980 में देव विधानसभा आरक्षित क्षेत्र से दिलकेश्वर राम विधायक बने। 1985 में वे दोबारा चुनाव जीते और बिहार सरकार के स्वास्थ्य मंत्री रहे। राजेश कुमार ने वर्ष 2015 में हम के संतोष मांझी को 10 हजार वोटों से हराया था। राजेश 2010 में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में हार गए थे। अशोक को मिली विरासत में राजनीति
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रफीगंज विधायक अशोक कुमार सिंह के पिता रामाधार सिंह वर्ष 1990 से 1995 तक गुरुआ से निर्दलीय विधायक रहे थे। अशोक ने अपनी राजनीति की शुरुआत वर्ष 2005 में की थी। तब लोजपा के टिकट पर चुनाव लड़े, लेकिन हार गए। राजद के प्रत्याशी मो. नेहालुद्दीन ने करीब 13 हजार वोट से अशोक को हराया था। 2010 के चुनाव में जदयू की टिकट से चुनाव लड़े अशोक ने नेहालुद्दीन को करीब 23 हजार वोट से हराया था। 2015 में 9 हजार वोटों से जीते। मनोज शर्मा के पिता रह चुके हैं दो बार विधायक
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विधायक मनोज शर्मा के पिता देवकुमार शर्मा दो बार विधायक रहे थे। गोह विधानसभा से 1985 में कांग्रेस एवं 2000 में समता पार्टी के टिकट पर विधायक रहे। पिता की विरासत को संभालते हुए मनोज 2015 में विधानसभा का चुनाव भाजपा की टिकट पर लड़े। मनोज ने जदयू के टिकट से चुनाव लड़ रहे रणविजय सिंह को करीब सात हजार मतों से हराया।