धीरे-धीरे चलने वाला ग्रह है शनि
औरंगाबाद । जिस शनि ग्रह से आम लोग परेशान होते हैं, उस शनि देव की आज (रविवार) जयंती है। पू
औरंगाबाद । जिस शनि ग्रह से आम लोग परेशान होते हैं, उस शनि देव की आज (रविवार) जयंती है। पूर्व में निराकार शनिशचर का आह्वान ग्रह शाति एवं यज्ञादि के लिए वैदिक तात्रिक मंत्रों से किया जाता था उसे अब एक रुप भी मिल गया है। शनि शिग्णापुर में काला पत्थर शनि रुप में पूजा जाता है। इसकी देखा देखी कई जगह इनकी प्रतिमा लग गई है और पूजने वालों की संख्या बढ़ने लगी है। दाउदनगर के चावल बाजार में कुछ साल पहले ही इनकी प्रतिमा मंदिर बनकर स्थापित की गई है। यहा शनिवार को दिन में तेल से अभिषेक होता है और संध्या में दीपदान किया जाता है। विश्वास किया जाता है कि भक्तों की इससे मनोकामना पूर्ण होती है। आचार्य पं. लालमोहन शास्त्री ने बताया कि सूर्य की परिक्रमा करने वाला शनि आकाश का छठा ग्रह है। यह सूर्य से 88 करोड़ 60 लाख मील और पृथ्वी से 79 करोड़ 10 लाख मील दूर अपनी कक्षा में स्थापित है। यह सबसे धीमी गति से सूर्य की परिक्रमा 30 वर्षो में करता है। वृहस्पति के बाद सबसे मंदगति से। इसीलिए इसे शनैश्चर, शनै:चर अर्थात धीरे-धीरे चलने वाला कहा जाता है। कुछ नीले रंग के तारे की आकृति में यह दृष्टिगोचर होता है। जिसके चारों ओर तीन वलय कंकण जैसे चंद्रमा बड़ी तीव्रता से घूमता है। बताया कि सूर्य की दूसरी पत्नी छाया का पुत्र है शनि। सूर्य ने छाया पर आरोप लगाया था कि शनि उसका संतान नहीं है इसी कारण दोनों पिता-पुत्र में शत्रुता रहती है।
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