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    शंकराचार्य ने भगवान बुद्ध व गौतम बुद्ध को बता दिया अलग-अलग व्यक्ति..जानिए

    By Kajal KumariEdited By: Kajal Kumari
    Updated: Sat, 18 Jun 2016 12:15 AM (IST)

    श्रीगोवर्धन मठ पुरी के पीठाधीश्वर जगद्गुरू शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने कहा है कि भगवान बुद्ध और गौतम बुद्ध अलग-अलग व्यक्ति थे। दोनों का जन्म अलग-अलग काल में हुआ था। कर्मकांड में जिस बुद्ध की चर्चा होती है वे अलग हैं। भगवान के ये अंशावतार हैं।

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    औरंगाबाद [जेएनएन]। श्रीगोवर्धन मठ पुरी के पीठाधीश्वर जगद्गुरू शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती का कहना है कि भगवान बुद्ध और गौतम बुद्ध दोनों अलग-अलग काल में जन्मे अलग-अलग व्यक्ति थे। जिस गौतम बुद्ध को भगवान विष्णु का अंशावतार घोषित किया गया था, उनका जन्म कीकट प्रदेश (मगध) में ब्राह्मण कुल में हुआ था। उनके सैकड़ों साल बाद कपिलवस्तु में जन्मे गौतम बुद्ध क्षत्रिय राजकुमार थे।

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    ब्राह्मण काल के थे भगवान बुद्ध

    यज्ञ के सिलसिले में औरंगाबाद के खैरा आए शंकराचार्य से जब यह पूछा गया कि ब्राह्मणों ने ही बुद्ध को भगवान का अवतार घोषित कर पूजन प्रारंभ कराया था तो उन्होंने कहा कि कर्मकांड में जिस बुद्ध की चर्चा होती है वे अलग हैं। इनकी चर्चा वेदों में भी हुई है। भगवान के ये अंशावतार हैं। इनकी चर्चा श्रीमद्भागवत में है। इनका जन्म ब्राह्मण कुल में हुआ था।

    इस कारण हुआ भ्रम

    शंकराचार्य ने कहा कि प्राचीन काल में जब अमर सिंह ने अमर कोश की रचना की तो काफी सूक्ष्म तरीके से शब्दों का प्रयोग किया। गोवर्धन पीठ के बिहार-झारखंड का काम देखने वाले प्रो. जितेंद्र दुबे के अनुसार भगवान बुद्ध के 10 और गौतम बुद्ध के पांच पर्यायवाची नामों को एक क्रम में लिख दिया गया। इस कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई।

    दोनों का गोत्र था 'गौतम'

    शंकराचार्य ने कहा कि दोनों का गोत्र गौतम था। यह भी एक कारण था कि इस ओर किसी का ध्यान नहीं गया। अग्निपुराण में लंब कर्ण कहकर भगवान बुद्ध की चर्चा की गई है। गौतम बुद्ध के लंबे कान प्रतिमाओं में बनाए जाने लगे। बौद्ध स्वयं को वैदिक नहीं मानते।

    दलाई लामा कहते हैं कि हम हिंदू नहीं हैं। दोनों के अनुयायियों में विभेद है। तथापि जैन, बौद्ध एवं सिख जन्म, पुनर्जन्म, दाह संस्कार, वेद, बीज ओम या प्रणव, गाय एवं गंगा पर आस्था रखते हैं। वट को मानें और उसके बीज को न मानें यह तो अद्भुत है।

    खुद को हिंदू नहीं मानते बौद्ध

    उन्होंने कहा कि संविधान की धारा 25 के तहत जैन, बौद्ध और सिख सभी हिंदू परिभाषित किए गए हैं। बौद्ध तो खुद को हिंदू नहीं मानते हैं। अब जैन, सिख भी खुद को हिंदू नहीं बताने लगे हैं।