बालू खनन से सोन नदी के डिला वाले इलाके में सब्जी किसानों की खेती पर संकट, पलायन को हुए मजबूर
बारुण, औरंगाबाद में सोन नदी के किनारे की जमीन पर सब्जी की खेती करने वाले किसान बालू खनन के कारण संकट में हैं। लगभग 100 एकड़ भूमि पर खेती होती है, जिसस ...और पढ़ें

बालू खनन से सब्जी किसानों की खेती पर संकट
आचार्य मयंक शास्त्री, बारुण (औरंगाबाद)। सोन नदी के डिला वाली जमीन पर किसान खेती करते हैं। 15 किलोमीटर की परिधि में करीब 100 एकड़ भूमि पर किसान सब्जी के अलावा अन्य फसल लगाते हैं। सोन की सब्जी बाजारों में धूम मचाती है।
सैकड़ों किसान यहां हो रही खेती से अपना जीवन निर्वहन करते हैं। बालू खनन से खेती की स्थिति डगमगाने लगी है। किसान खेती छोड़ दूसरे प्रदेशों में जाने लगे हैं। बंजर जमीन पर सब्जी की खेती कर किसान अपनी किस्मत चमका रहे हैं। अधिकांश बारुण के भूमिहीन किसान हैं जो यहां खेती करते हैं।
ग्रामीण सह किसान रंजीत कुमार चौधरी ने बताया कि बारुण प्रखंड के मेह-इंद्रपुरी से लेकर जानपुर तक करीब 15 किलोमीटर में खेती कर किसान अपना जीवन-यापन कर रहे हैं। सोन नदी से बालू का नियमित खनन होने से उपजाऊ खेत बड़े-बड़े गड्ढों में तब्दील हो गया है।
खनन में लगे बड़ा गड्ढा खोद चल जाते हैं। इससे कभी-कभी घटना भी हो रही है। कई किसान यहां की खेती कर पलायन कर चुके हैं। इलाके में बेरोजगारी बढ़ गई है।
सब्जी के अलावा चना, मसूर, सरसों की खेती
सोन डिला पर किसान अभिषेक चौधरी, सुदामा चौधरी, माला चौधरी, जयप्रकाश चौधरी, उमेश, जितेंद्र, जोखन एवं विनोद चौधरी ने बताया कि सोन में हम लोग सब्जी के अलावा चना, मसूर, सरसों एवं मटर की खेती करते हैं। सोननदी में हर तरह के फसल लगाते हैं। धान, गेहूं, आलू, के साथ साग सब्जी खूब होता हैं।
वर्तमान समय में खेतों में आलू, मटर, सेम, मूली, लहसुन, टमाटर, बैंगन निकल रहा है। स्थानीय बाजार बारुण और केशव मार्केट में सब्जी बेचते हैं परंतु जाती है। यहां की सब्जी दिल्ली तक जाती है। सोन का देसीला परवल एवं करैला का डिमांड अधिक है। नेनुआ एवं भिंडी का स्वाद अलग होता है।
देशभर के व्यापारी ले जाते हैं सब्जी
डेहरी के सब्जी बाजार से देशभर के व्यापारी सब्जी ले जाते हैं। मेहनत-मजदूरी कर परिवार का भरण पोषण करते हैं। खेती से अच्छी आमदनी हो रही थी परंतु अभी कम हो गया है। खेतों की सिंचाई के लिए बिजली विभाग के द्वारा आदेशानुसार मीटर लगाया गया है।
किसानों ने बताया कि जब से सोन की जमीन पर साग-सब्जी की खेती कर रहे हैं तबसे रोजगार के लिए कहीं बाहर जाने की जरूरत नहीं है परंतु अब खनन से मंडरा रहे खतरा के कारण बाहर जाना पड़ सकता है।

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