जान हथेली पर लेकर ऑटो में यात्रा करने को मजबूर सवारी, ओवरलोडिंग से बाज नहीं आ रहे चालक
औरंगाबाद जिले में ओवरलोड टेम्पो यात्रियों के लिए खतरनाक बने हुए हैं। क्षमता से अधिक यात्रियों को बैठाने और लापरवाही से चलाने के कारण दुर्घटनाएं हो रही हैं जिनमें जानें जा रही हैं। हाल ही में बारुण थाना क्षेत्र में टेम्पो दुर्घटना में तीन लोगों की मौत हो गई। जिला परिवहन पदाधिकारी के अनुसार कार्रवाई के बावजूद समस्या का समाधान नहीं हो पाया है।

जागरण संवाददाता, औरंगाबाद। जिले में ओवरलोड टेंपो (आटो) यात्रियों के लिए एक खतरनाक सवारी बन चुके हैं। क्षमता से अधिक यात्रियों को बैठाने और लापरवाही से गाड़ी चलाने के कारण लगातार टेंपो दुर्घटनाओं में यात्रियों की जान जा रही है।
इसके बावजूद, संबंधित विभाग और अधिकारी इस गंभीर मुद्दे पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। यात्रियों का कहना है कि अधिकांश टेंपो चालक अपनी और दूसरों की जान की परवाह किए बिना अपने वाहनों में क्षमता से अधिक लोगों को बैठाते हैं।
चालक की सीट के दोनों ओर एक-एक यात्री बैठाने से, अचानक आपात स्थिति में चालक वाहन को नियंत्रित नहीं कर पाते, जिससे हादसे होते हैं।
अधिक यात्रियों को बैठाकर दौड़ाते हैं वाहन
ग्रामीण सड़कों से लेकर जीटी रोड, औरंगाबाद–पटना मुख्य पथ, औरंगाबाद–डाल्टेनगंज एनएच-139, दाउदनगर–गया राष्ट्रीय उच्च पथ और अन्य स्टेट हाइवे पर टेंपो चालक बेखौफ होकर क्षमता से अधिक यात्रियों को बैठाकर वाहन दौड़ाते हैं।
हालिया घटना मंगलवार शाम बारुण थाना क्षेत्र के मुंशी बिगहा गांव के पास हुई, जहां एक ट्रक और टेंपो की टक्कर में तीन यात्रियों की मौत हो गई और छह घायल हुए, जिनमें से तीन की हालत गंभीर बताई जा रही है। इस टेंपो में क्षमता से अधिक यात्री बैठे थे।
ट्रक और टेंपो की टक्कर में तीन लोगों की मौत
इससे पहले भी कई दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। तीन सितंबर को औरंगाबाद–पटना मुख्य पथ पर सदीपुर डिहरी गांव के पास एक ट्रक और टेंपो की टक्कर में तीन लोगों की मौत और छह लोग घायल हुए थे।
23 जुलाई को मुफस्सिल थाना क्षेत्र के खैरी गांव के पास हाइवा और टेंपो की टक्कर में दो लोगों की मौत और तीन लोग घायल हुए थे। इन घटनाओं के बावजूद ओवरलोड टेंपो पर अंकुश नहीं लग पाया है।
जिला परिवहन पदाधिकारी सुनंदा कुमारी ने बताया कि पहले टेंपो केवल नगर पालिका क्षेत्र में चलते थे, लेकिन अब पूरे जिले में संचालन का परमिट दिया जाता है।
जांच के दौरान क्षमता से अधिक सवारी ढोने वाले टेंपो को पकड़ा जाता है और उन पर कार्रवाई की जाती है। फिर भी, यह स्पष्ट है कि इस समस्या का समाधान अभी तक नहीं हो पाया है।
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