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    आजादी से पहले बने स्कूल की छत से टपकता है पानी, 5 कमरे में पढ़ने को मजबूर 315 बच्चे

    Updated: Wed, 19 Nov 2025 02:54 PM (IST)

    औरंगाबाद जिले के ओबरा प्रखंड स्थित मध्य विद्यालय मनोरा में जर्जर भवन में छात्रों को शिक्षा दी जा रही है। विद्यालय में पांच कमरे हैं, जिनमें से तीन जर्जर हैं। छात्रों की संख्या बढ़ रही है, लेकिन भवन का निर्माण नहीं हो रहा है, जिससे छात्र बरामदे में बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं। ग्रामीणों ने अधिकारियों से भवन निर्माण की गुहार लगाई है।

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    आजादी से पहले बने स्कूल की छत से टपकता है पानी

    संवाद सूत्र, ओबरा (औरंगाबाद)। प्रखंड के मध्य विद्यालय मनोरा में जर्जर भवन में छात्रों को शिक्षण कार्य संचालन हो रहा है । ऐसे तो विद्यालय में पांच कमरे है। परंतु तीन भवन जर्जर है।  जिसमें भवन के अभाव में छात्रों को शिक्षण संचालन किया जा रहा है। 

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    विद्यालय में छात्रों की संख्या बढ़ रही है। परंतु भवन का निर्माण नहीं हो सका है। भवनों के अभाव में छात्र छात्राएं बरामदा में बैठकर पढ़ने को मजबूर है । स्थानीय निवासी कुंदन शर्मा विभूति नारायण सिंह के माने तो,यह विद्यालय आजादी के पूर्व का बना हुआ है। परंतु तीन जर्जर भवन को नहीं बनाया जा सका है। 

    आजादी से पहले बना था स्कूल

    इस विद्यालय में छात्रों की संख्या बढ़ते जा रही है। यहां इस क्षेत्र के अन्य विद्यालयों से नामांकित छात्र अधिक है । लेकिन पढ़ाने के लिए मात्र पांच कमरे है। ऐसी स्थिति में छात्र कैसे पढ़ेंगे सोचा जा सकता है। विद्यालय की स्थापना 1934 में आजादी के पूर्व की गई थी। तब से मात्र अभी तक दो भवन का निर्माण हो सका है। 

    यह विद्यालय पहले सुर्खियों में रहा करता था । परंतु भवन नहीं रहने से छात्र के साथ अभिभावक भी सोचते है। ग्रामीणों ने यह भी बताया कि,रतनपुर पंचायत के पूर्व मुखिया सिद्धेश्वर सिंह के द्वारा अपने कार्यकाल में विद्यालय को सजाया संवारा जिसके फलस्वरूप विद्यालय ठीक रहा । परंतु अब तीन भवन जर्जर मे छात्रों को पढ़ते देख ग्रामीण कमी महसूस करते है। आखिर भवन का कायाकल्प कब होगा। 

    विद्यालय के पांच कमरे में शिक्षण कार्य

    एक तरफ सरकार गुणवत्ता शिक्षा को लेकर प्रतिदिन नए नए निर्देश पारित करती है। परंतु कमरे नहीं रहेंगे तो छात्र कैसे पढ़ेंगे। शिक्षकों के अनुसार विद्यालय के पांच कमरे में शिक्षण कार्य होता है और अन्य कमरे में कार्यालय के साथ मध्यान भोजन की सामग्रियां रखे जाते है। 

    विद्यालय में नामांकित छात्रों की संख्या 315 छात्र है और 260 बच्चे करीब विद्यालय आते भी है। बताया गया कि,प्रथम दूसरे एवम तीसरे एक कमरे में चौथे पांचवे के छात्र एक कमरे में और छठे सातवें आठवें क्लास के छात्र अलग अलग कमरे में दिक्कत होती है तो,बरामदे में बैठाकर पढ़ाया जाता है। 

    बारिश में होती है परेशानी

    बताया कि,पहले में 25 छात्र ,दूसरे में 38 ,तीसरे में 43 ,चौथे में 45 , पांचवें में 38 ,छठे में 38 , सातवें में 61 आठवें में 27 कुल मिलाकर 315 छात्र की संख्या है। बरामदे में बैठकर छात्र छात्राएं पढ़ते है। परंतु वर्षा एवम लू एवम ठंड के दिनों में काफी कठिनाई होती है। 

    जर्जर भवन होने से कभी भी अनहोनी घटना घट सकती है। शिक्षा के विभाग के अधिकारियों को जानकारी है। परंतु जांच करने आते है और जाने के बाद भूल जाते है। बरसात के दिनों में खपड़ैल से पानी टपकता है। 

    विभाग के अधिकारियों को दी गई सूचना

    प्रधानाध्यापक मणिभूषण कुमार ने बताया कि,संबंधित पदाधिकारियों को सूचना दी गई है। वर्तमान में पांच कमरे में शिक्षण कार्य हो रहा है । जिसमे तीन जर्जर भवन है । जिसके कारण शिक्षण कार्य प्रभावित है । यहां शिक्षक बारह पदस्थापित है । 

    प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी जूही कुमारी से पूछने पर बताया कि,हमें जानकारी नहीं है । देख लेने के बाद आगे की करवाई कराने का निर्णय लिया जाएगा । बताया कि भवन निर्माण कराने के लिए वरीय पदाधिकारी को सूचना दी जाएगी ।