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नहाय-खाय के साथ चार दिवसयी छठ प्रारंभ

औरंगाबाद। छठ मेला को लेकर देव में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा है। बुधवार को नहाय खाय के साथ चार दिवसीय छठ

By JagranEdited By: Published: Wed, 21 Mar 2018 07:02 PM (IST)Updated: Wed, 21 Mar 2018 07:02 PM (IST)
नहाय-खाय के साथ चार दिवसयी छठ प्रारंभ

औरंगाबाद। छठ मेला को लेकर देव में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा है। बुधवार को नहाय खाय के साथ चार दिवसीय छठ पर्व प्रारंभ हो गया है। देव सूर्यकुंड तालाब में स्नान करने को लेकर श्रद्धालुओं की भीड़ रही। भक्तों की भीड़ से माहौल भक्तिमय हो गया है। छठ गीत से वातावरण गुंजायमान है। देव सूर्यकुंड तालाब में बुधवार को लाखों व्रतियों ने डुबकी लगाई। स्नान करने को लेकर तालाब में भीड़ रही। आस्था का प्रतीक सूर्यकुंड तालाब में स्नान करने के बाद व्रतियों ने चावल, चना का दाल एवं कदू का सब्जी बना प्रसाद ग्रहण किया। मान्यता है कि देव सूर्यकुंड तालाब में स्नान कर ऐतिहासिक सूर्य मंदिर में भगवान सूर्य के दर्शन करने से शरीर स्वस्थ होता है। तालाब में स्नान करने से कुष्ठ ठीक हो जाता है। कई श्रद्धालु इसका गवाह बने हैं। छठ करने पटना से पहुंची माधुरी देवी, गोह से पूनम ¨सह एवं झारखंड के गढ़वा से कमला देवी ने बताया कि देव में छठ करने का अलग महत्व है। छठ मेला के दौरान छोटा सा यह कस्बा श्रद्धालुओं की भीड़ से पट जाता है। देव सूर्य के आस्था का केंद्र है। मेला के दौरान जाति संप्रदाय का भेद मिट जाता है। सभी धर्म के लोग एक दूसरे का सहायता करते हैं। सूर्यकुंड तालाब में स्नान कर देव सूर्य मंदिर में दर्शन करने का अलग महत्व है। यहां भगवान सूर्य ब्रह्मा, विष्णु, महेश के रुप में विराजमान हैं। देव एक ऐसा जगह है जहां ¨हदू के साथ मुस्लिम भी छठ करते हैं। देव पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को अपने घरों में आवासन देते हैं। छठ व्रतियों की सेवा करते हैं। अ‌र्घ्य की सामग्री बेचते हैं। सामाजिक समरसता का अनूठा मिसाल देश के शायद कहीं अन्य स्थल पर देखने को नहीं मिलता है। यहां सभी जाति एवं संप्रदाय की भावना को खत्म कर छठ व्रत करते हैं। देव छठ मेला का उद्घाटन आज गुरुवार को जिले के प्रभारी मंत्री बृजकिशोर ¨वद करेंगे। प्रभारी मंत्री की अध्यक्षता में यह कार्यक्रम होगा।

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व्रत के दौरान शुद्धता का रखें ख्याल

औरंगाबाद : छठ व्रतियों ने बुधवार को कदू की सब्जी व अरवा चावल ग्रहण कर चार दिवसीय छठ का अनुष्ठान शुरू किया। सुबह होते ही व्रती पोखरा, तालाब, कुआं व सोन नदी में स्नान कर प्रसाद ग्रहण किया। सुबह छह बजे से स्नान का सिलसिला प्रारंभ हुआ। वे पूरी तरह शुद्ध होकर लौकी की सब्जी, चना के दाल व अरवा चावल बनाकर प्रसाद के रूप में ग्रहण किया। रात्रि में भोजन के बाद व्रती बुधवार की शाम खरना का आयोजन करेंगे। दूध और गुड़ की खीर तथा घी लगी हुई रोटी का प्रसाद ग्रहण करेंगे। सूर्य मंदिर के मुख्य पुजारी सच्चिदानंद पाठक ने बताया कि कहीं-कहीं व्रती रोटी खीर के साथ केला का प्रसाद ग्रहण करते हैं। बताया कि चांद की रोशनी रहने तक व्रती पानी पी सकते हैं। बताया कि अनुष्ठान के दौरान पूरी शुद्धता का ख्याल रखना चाहिए, इससे भगवान सूर्य प्रसन्न रहते हैं।


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