आवारा पशुओं का अड्डा बना सरकारी बस स्टैंड
औरंगाबाद। बसों की भीड़ से कभी सरकारी बस स्टैंड गुलजार रहता था। अब सन्नाटा पसरा है। न
औरंगाबाद। बसों की भीड़ से कभी सरकारी बस स्टैंड गुलजार रहता था। अब सन्नाटा पसरा है। न तो बसे हैं न कर्मी और न ही स्टैंड की स्थिति ठीक है। ये हाल है शहर के वार्ड 29 के गांधी मैदान परिसर स्थित सरकारी बस स्टैंड का। पहले हमेशा वाहनों की भीड़ से गुलजार रहने वाला बस स्टैंड अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। स्टैंड का निर्माण 1953 में हुआ था। स्टैंड में वाहनों की भीड़ लगती थी परंतु आज यहां सन्नाटा पसरा है। 60 वर्षीय रामनंदन साव, बृजमोहन राम एवं राधेश्याम राम ने बताया कि यहां पहले 10 बड़े होटल थे। लाइट की पूरी व्यवस्था थी। भीड़ से स्टैंड गुलजार रहता था अब यहां अंधेरा है। स्टैंड का प्रतीक्षालय जुआरियों का अड्डा बन गया है। सुबह 9 बजे से लेकर देर शाम तक जुआरी जुआ खेलते हैं। अधिकारियों द्वारा माना किए जाने पर मारपीट की धमकी देते हैं। परिसर में रखरखाव के अभाव में कई बसें सड़ रही है। अब इस स्टैंड से मात्र आठ बसें ही खुलती है। प्रतिष्ठान अधीक्षक कमर इमाम ने बताया कि वर्ष 1992-1993 से लेकर 1999 तक स्टैंड से 140 बसें रांची, टाटा, बोकारो, पटना, डाल्टेनगंज, वाराणसी, सीतामढ़ी, छतीसगढ़, रायगढ़ समेत अन्य जगहों के लिए खुलती है। 15 नवंबर 2000 को बिहार-झारखंड का बंटवारा हुआ। उसी समय अधिक बसें झारखंड के कोटे में चली गई। उस वक्त से इस स्टैंड की स्थिति अत्यंत दयनीय हो गई। 22 फरवरी 2017 से इस स्टैंड से गया, रांची एवं पटना के लिए आठ बसें खुल रही है। अधीक्षक ने बताया कि यहां जुआरियों का अड्डा लगा रहता है। इससे संबंधित शिकायत कई बार पुलिस को पत्र एवं मौखिक रूप से बताया गया है परंतु आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। 12 वर्षों से बंद पड़ा है पेट्रोल पंप
बिहार बंटवारे के बाद से स्टैंड एवं उसके कर्मी रो रहे हैं। स्टैंड में खुद का पेट्रोल पंप है जो पिछले करीब 12 वर्षों से बंद है। यह पंप अब पूरी तरह कबाड़खाना में तब्दील हो गया है। अधीक्षक ने बताया कि बिहार-झारखंड बंटवारा के बाद स्टैंड की स्थिति बद्तर होती गई जिस कारण पंप की मरम्मत पर भी अधिकारियों ने नजर नहीं डाला। कुछ दिनों तक विभाग के डीजल आया। बस कमी के कारण धीरे-धीरे डीजल आना बंद हो गया। पेट्रोल पंप चालू करने को विभाग को पत्र लिखा गया परंतु कोई कार्रवाई नहीं हुई। स्वच्छता का मुंह चिढ़ा रहा स्टैंड
केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा स्वच्छता अभियान चलाया जा रहा है परंतु अधिकारियों की उदासीन रवैया के कारण यह अभियान यहां फ्लाप साबित हो रहा है। शहर के गांधी मैदान के पास स्थित पुराना बस स्टैंड स्वच्छता को मुंह चिढ़ा रहा है। कभी गुलजार रहने वाला यह स्टैंड आज गंदगी के लिए मशहूर हो गया है। स्थिति यह है कि बदबू के कारण कर्मियों को कार्य करने में परेशानी हो रही है। प्रतिष्ठान अधीक्षक ने बताया कि हमलोग परिषद की रवैया के कारण परेशान हैं। नगर परिषद के कर्मचारी शहर के कचड़ों को स्टैंड परिसर के अंदर फेंक देते हैं। विभाग का ध्यान नहीं है। स्टैंड की चारदीवारी टूट चुका है। आवारा पशु का यह स्टैंड आशियाना बन गया है। कहा कि पूर्व में कई बार नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी, पशुपालन विभाग को पत्र लिखा जा चुका है परंतु कोई कार्रवाई नहीं हुई। कार्यवाई नहीं होने पर हम सभी ने भी पत्र लिखना बंद रक दिया। एनएच बना बस स्टैंड
जिला मुख्यालय से लेकर प्रखंड मुख्यालय तक के सभी बस स्टैंडों का हालत बद्तर है। स्थिति यह है कि बस स्टैंड नहीं रहने के कारण नेशनल हाइवे एवं स्टेट हाइवे पर बस खड़ा रहता है। बस खड़ा कर सह चालक सवारी को बुलाते रहते हैं। बता दें कि रामाबांध बस स्टैंड की स्थिति अत्यंत दयनीय है। यहां एनएच-139 के दोनों तरफ बस खड़ी रहती है। प्रतिदिन अधिकारी इसी सड़क से आवागमन करते हैं परंतु उन्हें दिखाई नहीं देती। यहां ही नहीं बल्कि मदनपुर, शिवगंज, रफीगंज, बारुण, ओबरा, दाउदनगर समेत अन्य जगहों की स्थिति यही है। सभी जगह सड़क पर ही वाहन को खड़ा कर सवारी बैठाया जाता है। जल्दी वाहन पकड़ने की चक्कर में यात्री दुर्घटनाग्रसत भी हो जाते हैं। बता दें कि अगर ससमय अधिकारियों द्वारा कड़ी कार्रवाई नहीं की गई तो यह लापरवाही बड़े हादसे का कारण बनेगा। सरकारी बस स्टैंड का पानी टंकी पिछले 18 वर्षों से बेकार पड़ा है। टंकी के पास एक कुआं है जिससे 15 वर्ष पहले मोटर से टंकी में पानी भरा जाता था। कुआं का पानी इतना गंदा हो गया है कि ये पानी जानवर भी नहीं पी पाएंगे। पहले इसी पानी टंकी से स्टैंड में आने वाले यात्री प्यास बुझाते थे परंतु अब कर्मियों को पानी नसीब नहीं हो रहा है। स्टैंड में एक चापाकल नहीं है। कर्मियों को पानी के लिए पुरानी जीटी रोड के तरफ जाना पड़ता है।
कमर इमाम, प्रतिष्ठान अधीक्षक, औरंगाबाद।
फोटो फाइल - 26 एयूआर 14
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