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    Kutumba Assembly Election: कांग्रेस के सेनापति को तेजस्वी का इंतजार, NDA के प्रत्याशी से मिल रही कड़ी टक्कर

    By Sanoj pandayEdited By: Krishna Bahadur Singh Parihar
    Updated: Tue, 04 Nov 2025 03:27 PM (IST)

    बिहार चुनाव 2025 में कुटुंबा सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार को जीत हासिल करने के लिए तेजस्वी यादव के समर्थन का इंतजार है। राहुल गांधी के समर्थक इस उम्मीदवार को कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है। सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या तेजस्वी का साथ कांग्रेस उम्मीदवार की नैया पार लगा पाएगा।

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    सनोज पांडेय, औरंगाबाद। Bihar Vidhan sabha Chunav 2025। औरंगाबाद-हरिहरगंज पथ (एनएच-139) पर रफ्तार से दौड़ते ट्रकों और कारों के बीच से गुजरना आसान नहीं। जब हम रिसियप बाजार पहुंचे तो चुनावी चर्चा का ताप तेज था। सिंह लाइन होटल के पास सीता साव और शिवन बिगहा के जितेंद्र सिंह सियासी गपशप में मशगूल थे।

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    जितेंद्र ने जैसे ही कहा कि यहां असली लड़ाई 10 साल की सत्ता बनाम प्रभारी मंत्री के नुमाइंदे के बीच है, वैसे ही माहौल समझ आ गया कि कुटुंबा में मुकाबला सीधा है। हालांकि, मैदान में 11 प्रत्याशी हैं। दो बार से अपराजेय कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम को इस बार एनडीए प्रत्याशी ललन राम से कड़ी चुनौती मिल रही है।

    जितेंद्र की बातों में एक बात खास थी, राहुल गांधी के राजेश राम की नैया इस बार तेजस्वी यादव ही पार लगा सकते हैं, पर सुनने में आया है कि कांग्रेस-राजद के बीच तकरार में तेजस्वी कुछ खफा हैं। यही चिंता कांग्रेस खेमे को भीतर से परेशान कर रही है।

    रामपुर के रामाकांत पांडेय का मानना है कि कांग्रेस को इस बार महागठबंधन के पारंपरिक वोट के साथ कुछ अन्य जातीय समूहों का समर्थन भी मिल सकता है। राजेश राम को अपनी बिरादरी का भी भरपूर साथ है, वे जोड़ते हैं।

    कुटुंबा के शशि ओझा और 70 वर्षीय शिवशंकर पांडेय का आक्रोश झलकता है, न सिंचाई की समस्या सुलझी, न एनएच-139 चौड़ी हुआ, न ही विधायक कभी फोन उठाते हैं।

    जनता से दूरी ही उनकी सबसे बड़ी कमजोरी है। कुटुंबा की सियासी लड़ाई का ताना-बाना पुराना है। सत्ता के दस साल बनाम प्रभारी मंत्री की पार्टी का प्रत्याशी। 2010 में जदयू से विधायक बने ललन राम (भुइयां) इस बार एनडीए के उम्मीदवार हैं।

    2020 में वे निर्दलीय लड़े और 20,433 मत पाकर एनडीए का खेल बिगाड़ दिया था, जिससे राजेश राम की नैया पार लग गई थी। इस बार वही ललन राम फिर मैदान में हैं और एनडीए की उम्मीद उन पर टिकी है।

    बिराज बिगहा के 62 वर्षीय विजय पांडेय कहते हैं, यहां नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार के नाम पर वोट पड़ रहा है। प्रत्याशी कौन है, यह अब मुद्दा नहीं है। वहीं नरहर अंबा गांव के ललन सिंह और रतिखाप के सत्यनारायण शर्मा विकास का तर्क देते हैं, पिछले दस साल में ऐसे इलाकों में भी काम हुए, जहां कभी सरकारी पैठ नहीं थी।

    सड़क हादसा और सिंचाई की समस्या यहां बड़ा चुनावी मुद्दा बन चुके हैं। ग्रामीण कहते हैं कि सड़क चौड़ीकरण और नहर मरम्मत की योजनाएं फाइलों से बाहर नहीं निकलीं। राहुल गांधी के नाम का असर अब भी बना है।

    जब वे ‘वोट अधिकार यात्रा’ पर आए थे, तो यहीं रात बिताई थी। यह बात गांव-गांव तक याद है। मौजूदा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के प्रकाश कुमार और जन सुराज पार्टी के श्यामबली राम भी ताल ठोक रहे हैं, जो मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश में हैं।