औरंगाबाद में NDA की महागठबंधन के किले में सेंध की कोशिश, एकजुटता बनेगी जीत की चाबी
औरंगाबाद में, एनडीए महागठबंधन के गढ़ में सेंध लगाने की कोशिश कर रहा है। उनकी रणनीति का मुख्य आधार एकजुटता है। एनडीए नेताओं का मानना है कि महागठबंधन में आंतरिक कलह है, जिसका फायदा वे उठा सकते हैं। महागठबंधन के लिए चुनौती अपनी एकजुटता बनाए रखना है, क्योंकि यही उनकी ताकत है। अंततः, चुनाव में जीत की कुंजी एकजुटता में ही निहित है।

औरंगाबाद में NDA की महागठबंधन को घेरने की तैयारी। फोटो जागरण
सनोज पांडेय, औरंगाबाद। महागठबंधन की स्थिति इस समय काफी मजबूत नजर आ रही है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में आपसी खींचतान का लाभ महागठबंधन के नेताओं को मिल रहा है।
वर्तमान में, औरंगाबाद की सभी छह विधानसभा सीटों पर महागठबंधन का कब्जा है, साथ ही औरंगाबाद और काराकाट लोकसभा भी महागठबंधन के अधीन है। आगामी विधानसभा चुनाव में राजग का केंद्रीय और राज्य नेतृत्व महागठबंधन को घेरने की रणनीति बना रहा है।
सभी सीटों पर जीत के दावे के साथ नेताओं ने अपनी रणनीति तैयार की है। यदि एनडीए एकजुट रहता है, तो इस बार परिणाम बदलते हुए नजर आ सकते हैं।
महागठबंधन के सांसद और विधायकों के कारण उनका विरोध भी बढ़ रहा है। कई विधायकों के खिलाफ मतदाता खुलकर अपनी राय व्यक्त कर रहे हैं।
औरंगाबाद और कुटुंबा सुरक्षित विधानसभा सीट पर कांग्रेस का कब्जा है। रफीगंज, गोह, ओबरा और नबीनगर से राजद के विधायक हैं।
यहां सीटों में कोई परिवर्तन नहीं होने की संभावना है। कांग्रेस दो सीटों पर और राजद चार सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े करेगी।
कुटुंबा सुरक्षित विधानसभा सीट इस बार विशेष महत्व रखती है, क्योंकि यहां से विधायक राजेश कुमार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हैं और वे दो बार से विधायक रहे हैं। लोकसभा चुनाव में महागठबंधन के प्रत्याशी अभय कुशवाहा को 22 हजार से अधिक मतों से बढ़त दिलाई थी।
औरंगाबाद से कांग्रेस के आनंद शंकर सिंह विधायक हैं। उनके बारे में कहा जाता है कि भाजपा नेताओं के सहयोग से वे दो बार विधायक बने हैं।
अंदरखाने की राजनीति में भाजपा के प्रत्याशी रामाधार सिंह के खिलाफ उनकी मदद की गई, जिसके कारण वे विधायक बने।
वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में कड़ी टक्कर के बीच मात्र 2,243 मतों से चुनाव जीते थे। इस बार उनके लिए परीक्षा की घड़ी है, क्योंकि भाजपा नेता उनसे नाराज चल रहे हैं।
वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में गोह से राजग प्रत्याशी मनोज शर्मा की हार का कारण राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के उम्मीदवार डॉ. रणविजय कुमार रहे थे।
इस चुनाव में मनोज को 45,792 और रणविजय को 44,050 मत मिले थे। इसी प्रकार, नबीनगर विधानसभा क्षेत्र में राजग प्रत्याशी वीरेंद्र कुमार सिंह राजद के विजय कुमार सिंह उर्फ डब्लू से हार गए थे। रालोसपा के धर्मेंद्र कुमार को 23,490 मत मिले थे, जबकि उनकी हार 20,121 मतों से हुई थी।
रफीगंज में निर्दलीय प्रत्याशी रहे थे उपविजेता
रफीगंज विधानसभा क्षेत्र में राजद के मो. नेहालुद्दीन ने जीत हासिल की थी। यहां निर्दलीय प्रत्याशी प्रमोद कुमार सिंह उपविजेता रहे थे। जदयू के अशोक कुमार सिंह तीसरे स्थान पर रहे थे।
रालोसपा गठबंधन में बसपा से चुनाव लड़ रहे रंजीत कुमार को 14,597 मत मिले थे। राजद प्रत्याशी को यहां 63,325, निर्दलीय प्रमोद को 53,896 और एनडीए प्रत्याशी को 26,833 मत मिले थे। लोोजपा के मनोज कुमार सिंह को 8,491 मत मिले थे।
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