शंकर के मानस पुत्र बाबा गणिनाथ का वर्ष 1007 में हुआ था जन्म
शंकर के मानस पुत्र बाबा गणिनाथ का हुआ था वर्ष 1007 में जन्म

शंकर के मानस पुत्र बाबा गणिनाथ का वर्ष 1007 में हुआ था जन्म
संवाद सहयोगी, दाउदनगर (औरंगाबाद) : आज शनिवार को भगवान गणिनाथ की जयंती है। बाबा को भगवान शंकर का मानस पुत्र माना जाता है। विक्रम संवत् 1007 में श्री मनसा राम तथा उनकी पत्नी शिवादेवी के गर्भ से गणीनाथ का उद्भव गुरलामान्धता पर्वत पर भाद्रपद बदी अष्टमी शनिवार की सुबह हुआ। शिशु गणी जी का लालन–पालन व शिक्षा–दीक्षा का दायित्व कांदू (मध्यदेशीय) वैश्य परिवार के मनसा राम को धर्मपिता के रूप में निर्वहन करना पड़ा। योग्य होने पर गणि की प्रारंभिक शिक्षा गुरुकुल में हुई जहां अल्पकाल में वेद वेदांग में दक्षता प्राप्त की। चतुर्दिक ज्ञान प्राप्ति के लिए गुरु गोरखनाथ को गुरु ग्रहण करते हुए उनके सानिध्य में वर्षों तप किए। सिद्धियों पर अधिकार प्राप्त कर पलवैया (बिहार) की पवित्र धरती पर पहुंचे जहां आपने गणराज्य की स्थापना कर समताम राज्य स्थापित किया। हिंदू समाज जब पतन की ओर जा रहा था तो गणीनाथ ने हिंदुओं में स्वाभिमान भरा और हिंदू या सनातन संस्कृति की रक्षा की। पलवैया में गणीनाथ मंदिर और उस मंदिर की ओर से संरक्षित संस्कृत पाठशाला, कुआं, पोखरा है। उन्होंने शांति के साथ अहिंसा का पाठ पढाया तथा वेदाध्ययन को ब्राह्मणों के चंगुल से मुक्त किया। वंशवृक्ष स्मारिका के अनुसार कालांतर में गणीनाथ का विवाह झोटी साब की पुत्री क्षेमा सती से हुआ। उन्हें शिव का अवतार माना गया। विक्रम संवत 1112 (आश्विन महिना) नवरात्री के अवसर पर आयोजित श्री रामजन्मोत्सव एवं शक्ति आराधना कार्यक्रम को संबोधन करने के उपरांत उन्होंने अपना देहत्याग किया।
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