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    Aurangabad: आस्था का केंद्र है हसपुरा का प्राचीन दुर्गा मंदिर, 1918 में स्थापना बाद से हो रही दुर्गा पूजा

    By Jagran NewsEdited By: Prashant Kumar pandey
    Updated: Tue, 04 Oct 2022 02:58 PM (IST)

    हसपुरा बाजार स्थित प्राचीन दुर्गा मंदिर आस्था का केंद्र है। मां दुर्गा का पट खुलते ही भक्तों की कतार लग गई है। भक्तिमय वातावरण से बाजार गुंजायमान है। ...और पढ़ें

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    औरंगाबाद के हसपुरा बाजार स्थित प्राचीन दुर्गा मंदिर

    संवाद सूत्र, हसपुरा (औरंगाबाद) : हसपुरा बाजार स्थित प्राचीन दुर्गा मंदिर आस्था का केंद्र है। मां दुर्गा का पट खुलते ही भक्तों की कतार लग गई है। भक्तिमय वातावरण से बाजार गुंजायमान है। मगध क्षेत्र में हसपुरा धार्मिक व ऐतिहासिक क्षेत्र के लिए प्रसिद्ध है। जिस प्रकार च्यवन ऋषि, भृगु ऋषि, कवि बाणभट्ट, संत सैयदना दादा की साधना स्थल रही है, उसी प्रकार दुर्गा मंदिर प्रख्यात है। यह मंदिर हसपुरा चौराहीं मोड़ पर स्थापित है। धार्मिक व ऐतिहासिक रूप से प्रसिद्ध है। 

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    मंदिर में कलाकार प्रतिमा निर्माण करते हैं। मंदिर में मां के सप्तमी से भीड़ उमड़ने लगती है। सौ वर्षों से मां दुर्गा की आराधना होती आ रही है। अष्टमी से लेकर नवमी की रात्रि तक यहां सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन होता है। मंदिर भक्तों के आस्था का प्रतीक है। 

    मनोकामनाएं पूर्ण करती है मां

    जो भी श्रद्धालु इस मंदिर में मां दुर्गा की आराधना करते हैं उनकी मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होती है। पुजारी आशुतोष मिश्र ने बताया कि मंदिर छोटा था तब भी भक्तों की लंबी कतार लगती थी। मंदिर में सुबह से शाम तक श्रद्धालु पहुंचते हैं।

    सप्तमी से दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की उमड़ती है भीड़ :

    अध्यक्ष समिति के अध्यक्ष पिंटू चौधरी ने बताया कि सप्तमी से यहां दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ आनी शुरू हो जाती है। प्रसाद वितरण व भीड़ को नियंत्रित के लिए समिति ने तैयारी कर ली है।

    शांति व्यवस्था के लिए सुरक्षा पुख्ता प्रबंध : 

    थानाध्यक्ष नरेंद्र प्रसाद ने बताया कि पर्व में शांति व्यवस्था रहे, इसके लिए मंदिरों समेत विभिन्न जगहों पर पुलिस की व्यवस्था की गई है। असामाजिक तत्वों पर पुलिस की नजर रखी जाएगी और पकड़े जाने पर उसे जेल भेज दिया जाएगा। यहां शांतिमय वातावरण व धूमधाम से पूजन कार्यक्रम चल रहा है।

    1918 में हुई थी मंदिर की स्थापना

    बाजार के बुजुर्गों का कहना हैं कि मंदिर की स्थापना 1918 में की गई थी। तब से यहां धूमधाम से दुर्गा पूजा मनाई जाती है। दुर्गा मंदिर का विशेष महत्व है। श्रद्धालुओं को अटूट विश्वास है।इस स्थल का हैं महत्व लगातार 55 वर्षों से मंदिर में मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की जाती है। नरसंद गांव के पारसनाथ पंडित बताते हैं कि स्थान का इतना महत्व है कि मंदिर में सप्तमी से दूर से श्रद्धालु मां दुर्गा का दर्शन करने पहुंचते हैं।