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    उत्तर कोयल नहर की तांतिल व्यवस्था में संशोधन

    By JagranEdited By:
    Updated: Thu, 04 Aug 2022 10:37 PM (IST)

    जल संसाधन विभाग ने उत्तर कोयल नहर में पानी की कमी को देखते हुए तांतिल व्यवस्था में बदलाव किया है।

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    उत्तर कोयल नहर की तांतिल व्यवस्था में संशोधन

    उत्तर कोयल नहर की तांतिल व्यवस्था में संशोधन

    अंबा (औरंगाबाद) । जल संसाधन विभाग ने उत्तर कोयल नहर में पानी की कमी को देखते हुए तांतिल व्यवस्था में बदलाव किया है। मौसम की बेरुखी तथा कम वर्षापात को देखते हुए नहर के अंतिम छोर तक पानी पहुंचाने के लिए विभागीय प्रयास जारी है। इस कार्य के लिए पिछले सप्ताह विभाग के अधीक्षण अभियंता वीरेंद्र प्रसाद द्वारा एक शिड्यूल तैयार कर तांतिल व्यवस्था लागू की गई थी। पहले के जारी रोस्टर में आंशिक संशोधन किया गया है। अब सप्ताह में दो दिन मंगलवार एवं बुधवार को औरंगाबाद डिवीजन के अधीनस्थ किसानों को धान की रोपनी व सिंचाई करने के लिए पानी मिल पाएगा। बताया कि गुरुवार एवं शुक्रवार को नवीनगर डिवीजन के विभिन्न लघु नहरों, वितरणियों का संचालन किया जाएगा। इसी तरह शनिवार से सोमवार तक लगातार तीन दिन अंबा डिवीजन में नहरों में पानी छोड़ा जाएगा। बताया कि यह शिड्यूल अस्थाई है पर सभी किसानों के हित में तत्काल प्रभाव से लागू किया गया है। पानी मिलने के दिन सुबह दस बजे हेड रेगुलेटर खोले तथा बंद किए जाएंगे। इस दौरान हाइड्रोलिक सिस्टम में अनावश्यक रूप से छेड़छाड़ करने वाले लोगों के विरुद्ध सख्ती से कार्रवाई की जाएगी। अंबा डिवीजन है सबसे बड़ा क्षेत्र कोयल नहर के रख-रखाव व मानिटरिंग के साथ बेहतर संचालन के लिए जिले में नवीनगर, अंबा एवं मदनपुर के अलावा औरंगाबाद में इसका डिविजन स्थापित की गई थी। इन डिवीजनों का अलग-अलग टारगेट है। जानकारी के अनुसार नवीनगर डिवीजन के नहरों से 16,885 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होती है। औरंगाबाद में करीब 15 हजार हेक्टेयर भूमि में सिंचाई का लक्ष्य है। इधर मदनपुर क्षेत्र के किसानों को यदा कदा पानी मिलता है जिससे उनकी धान की रोपाई संभव नहीं है। अधिकारियों ने बताया कि सबसे अधिक अंबा डिवीजन के नहरों से कुटुंबा नवीनगर प्रखंड के अलावे देव मदनपुर व बारूण तथा सदर प्रखंड की 22,622 हेक्टेयर भूमि सिचिंत होती है। इस वर्ष मानसून के ठिठकने से जिले के दक्षिणी क्षेत्र में धान की रोपनी नहीं हो पाई है। कुछ साधन संपन्न किसान किसी प्रकार 10-12 परसेंट धान लगा पाए हैं। वैसे उत्तर कोयल नहर भी किसानों के लिए शोभा की वस्तु बनकर रह गई है। हाल के दिनों में दो-तीन दिनों से नहर में पानी आने पर अन्नदाता फिर से धान की रोपाई के लिए खेत की तैयारी कर रहे हैं। वैसे विशेषज्ञों का कहना है कि 30 दिन से अधिक समय का बिचड़ा लगाने पर उत्पादन लागत में ह्रास होता है।

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