'तेजस्वी यादव जी सुनिए...' यहां दशकों से नहीं हैं महिला डाक्टर्स, एएनएम कराती हैं प्रसव
बिहार के डिप्टी सीएम सह स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव लगातार स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत करने का प्रयास कर रहे हैं। वे निरीक्षण कर रहे हैं। इस बाबत उनका अररिया के कुर्साकांटा के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की स्थिति के बारे में बताना जरूरी हो जाता है।
संवाद सूत्र, कुर्साकांटा (अररिया): प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कुर्साकांटा में दशकों से महिला चिकित्सक नहीं है। प्रखंड क्षेत्र की महिलाएं महिला चिकित्सक नहीं होने का दंश झेल रही है। एएनएम के भरोसे चलता है प्रसव कक्ष। वहीं स्त्री जनित रोगों के उपचार के लिए यहां वहां भटकती है। जानकारी के अनुसार स्वास्थ्य क्षेत्र को सुदृढ़ बनाने को लेकर पीएचसी में विभाग द्वारा तीन महिला चिकित्सक को पदस्थापित किया गया। जिसमें से एक महिला चिकित्सक पीएचसी में तो एक एपीएचसी हलधारा में व एक एपीएचसी सुंदरी के लिए प्रतिनियुक्त किया गया, लेकिन मजे की बात है कि तीन महिला चिकित्सकों में दो तो विभाग से निर्देश प्राप्त कर अवकाश में चली गई।
एक महिला चिकित्सक जिसे पीएचसी में पदस्थापित किया गया है वह तो एक दिन छुट्टी लेकर वापस आने की बात कह लगभग छह माह पूर्व जो गई, फिर वापस पीएचसी नहीं लौटी। इधर बीते दिनों आए डॉ शैलेश सुमन भी कुछ दिन पूर्व स्टडी अवकाश में चले गये। इसे विडंबना कहें या फिर विभाग की लचर व्यवस्था, पहले पीएचसी के पास महिला चिकित्सक नहीं थी तो महिला मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता था अब पीएचसी को डाक्टर मिला भी लेकिन डॉक्टर मौजूद नहीं।
लोग कर रहे मांग
प्रखंड क्षेत्र के दर्जनों लोगों ने सूबे के स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव से पीएचसी में महिला चिकित्सक की तैनाती को लेकर मांग तेज कर दी है। लोगों का कहना है कि जल्द ही एक पत्र डिप्टी सीएम को सौंपा जाएगा। महिला चिकित्सक को लेकर पूछने पर पीएचसी प्रभारी डा. जमील अहमद ने बताया कि पीएचसी में तीन महिला चिकित्सक को भेजा गया। जिसमें से दो चिकित्सक तो स्टडी अवकाश में चले गए । वहीं एक महिला चिकित्सक योगदान के उपरांत एक दिन का अवकाश लेकर वापस आने की बात कहकर जो गई लगभग छह महीने बीतने को है अबतक पीएचसी नहीं आई है।
बेहतर हो व्यवस्था-प्रयास जारी: प्रभारी
प्रभारी ने बताया कि इसकी जानकारी वरीय पदाधिकारी को ससमय दे दी गई है। पीएचसी प्रभारी ने आगे कहा कि महिला चिकित्सक नहीं रहने से महिला रोगियों का इलाज में परेशानी जरूर होती है फिर भी सीमित संसाधन में बेहतर करने का प्रयास किया जा रहा है।
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