बिहार की इस सीट पर पासवान जाति का है दबदबा, 30 साल से कोई महिला नहीं बन पाई है विधायक
अररिया जिले के रानीगंज विधानसभा सीट 1962 से अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। यहां 30 वर्षों से कोई महिला विधायक नहीं चुनी गई है जबकि महिला मतदाताओं की संख्या अधिक है। 1990 और 1995 में शांती देवी जनता दल से लगातार दो बार जीतीं और मंत्री भी बनीं। पासवान जाति के उम्मीदवार यहां सबसे अधिक बार विजयी हुए हैं।

अफसर अली, अररिया। जिले के छह विधानसभा में रानीगंज एकलौता आरक्षित सीट है। 1962 के बाद से रानीगंज विधानसभा अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। यहां पुरुष उम्मीदवार का दबदबा रहा है। तीस साल से एक भी महिला विधायक यहां नहीं बनी।
जबकि आंकड़े इस बात की गवाह हैं कि यहां महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत अधिक रहा है। रानीगंज में 16 बार विधानसभा चुनाव हुए हैं। जिसमें केवल 1990 और 1995 के विधानसभा चुनाव में लगातार महिला प्रत्याशी शांती देवी देवी चुनाव जीती थी। दोनों बार वह बिहार सरकार में मंत्री पद भी संभाली थी।
रानीगंज विधानसभा में पहली महिला विधायक व मंत्री बनने का खिताब भी शांति देवी के नाम है। इसके बाद कई महिला कैंडिडेट ने अपना भाग्य आजमाया लेकिन जनता ने किसी को स्वीकार नहीं किया। तबसे लेकर अबतक पुरुष प्रत्याशी ही चुनाव जीतते रहे।
जनता दल के टिकट से दर्ज की थी जीत
शांति देवी अनुसूचित जाति (पासवान) जाति की है। रानीगंज विधानसभा क्षेत्र के हिंगुवा गांव की निवासी है। अभी करीब 70 वर्ष की होगी। 1990 में जनता दल की टिकट से रानीगंज विधानसभा से चुनाव जीतीं थी। शानदार जीत के कारण बिहार सरकार में मंत्री का पद मिला था।
लोकप्रियता के चलते दूसरी बार 1995 में भी चक्र छाप पर चुनाव मैदान में उतरी, दूसरी बार भी प्रतिद्वंदियों को धूल चटा गई। इसके बाद जनता दल में फूट पड़ गई और आरजेडी व जदयू दो अलग अलग पार्टी बन गई। 2000 में आरजेडी से पूर्व मंत्री युमुना प्रसाद राम को जीत मिली।
बीजेपी के पूर्व मंत्री रामजी ऋषिदेव दूसरे स्थान पर रहे थे। वर्ष 2005 में बीजेपी के परमानंद ऋषिदेव ने अशोक पासवान को हराया था। शांति देवी तीसरे स्थान पर चली गई थी।
वर्ष 2005 में बिहार में बहुमत नहीं मिलने पर छह माह के भीतर फिर चुनाव हुए थे। जिसमें बीजेपी के रामजी दास ऋषिदेव को जीत मिली थी। शांतिदेवी दूसरे स्थान पर थी।
सबसे अधिक पासवान जाति को मिली जीत
रानीगंज में 16 विधानसभा चुनाव में पासवान जाति के कैंडिडेट को सबसे अधिक छह बार जीत मिली है। जबकि अनुसूचित जाति के मुसहर जाति को पांच बार और मोची को तीन, धोबी दो, लाला एक, धानुक जाति के एक उम्मीदवार रानीगंज से विधायक बनने में कामयाब रहे हैं।
वर्ष | विजेता | पार्टी | वोट | उपविजेता | पार्टी | वोट |
---|---|---|---|---|---|---|
2015 | अचमित | जदयू | 77,717 | रामजी दास ऋषिदेव | बीजेपी | 62,787 |
2010 | परमानंद ऋषिदेव | बीजेपी | 65,111 | शांति देवी | आरजेडी | 41,458 |
2005 (अक्टूबर) | रामजी दास ऋषिदेव | बीजेपी | 34,796 | शांति देवी | आरजेडी | 30,690 |
2005 (फरवरी) | परमानंद ऋषिदेव | बीजेपी | 31,468 | अशोक पासवान | एलजेपी | 24,180 |
2000 | यमुना प्रसाद राम | आरजेडी | 52,035 | रामजी दास ऋषिदेव | बीजेपी | 30,365 |
1995 | शांति देवी | जनता दल | 37,371 | यमुना प्रसाद राम | आईएनसी | 26,132 |
1990 | शांति देवी | जनता दल | 36,950 | यमुना प्रसाद राम | आईएनसी | 33,174 |
1985 | यमुना प्रसाद राम | आईएनसी | 54,758 | बुंदेल पासवान | जेएनपी | 8,760 |
1980 | यमुना प्रसाद राम | आईएनसी (आई) | 24,070 | सुकदेव पासवान | जेएनपी | 16,248 |
1977 | अधिकलाल पासवान | जेएनपी | 22,345 | बुंदेल पासवान | आईएनसी | 14,955 |
1972 | बुंदेल पासवान | निर्दलीय | 28,814 | कुमार लाल बैठा | आईएनसी | 13,609 |
1969 | डूमरलाल बैठा | आईएनसी | 17,109 | बुंदेल पासवान | एलटीसी | 8,803 |
1967 | डूमरलाल बैठा | आईएनसी | 18,274 | बुंदेल पासवान | पीएसपी | 10,473 |
1962 | गणेश लाल वर्मा | निर्दलीय | 13,575 | राम नारायण मंडल | आईएनसी | 13,001 |
1957 | रामनारायण मंडल | आईएनसी | 6,371 | गणेश लाल वर्मा | सीएनपीएसपीजेपी | 5,066 |
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।