Neeraj Jha: क्रिकेट कमेंट्री में गूंजेगी अररिया के नीरज की आवाज, प्रसार भारती स्पोर्ट्स सेल में हुआ चयन
अररिया जिले के नीरज झा का चयन प्रसार भारती स्पोर्ट्स सेल के क्रिकेट कमेंटेटर्स पैनल में हुआ है, जो जिले के लिए गर्व की बात है। नीरज पिछले 21 सालों से क्रिकेट कमेंट्री कर रहे हैं और विनीत गर्ग को अपना आदर्श मानते हैं। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपने भाई चंद्रकांत झा को दिया है, जिन्होंने वायस स्क्रीनिंग में उनकी मदद की। नीरज ने प्रसार भारती का आभार जताया है।

अररिया के नीरज झा
संवाद सूत्र, पलासी (अररिया)। अररिया जिले के पलासी प्रखंड अंतर्गत मालद्वार (चैनपुर) गांव निवासी नीरज झा को प्रसार भारती स्पोर्ट्स सेल, नई दिल्ली द्वारा वायस स्क्रीनिंग में सफल घोषित करते हुए क्रिकेट कमेंटेटर्स पैनल में शामिल किया गया है।
उनकी यह सफलता जिले के लिए गर्व की बात है। पैनल निर्माण हेतु पूरे भारत से क्रिकेट कमेंट्री में रुचि रखने वाले युवाओं की कमेंट्री क्लिप प्रसार भारती स्पोर्ट्स सेल, नई दिल्ली द्वारा आमंत्रित की गई थी। स्क्रीनिंग कमिटी द्वारा खेल की समझ, आवाज, फ्लो और भाषा पर नियंत्रण जैसे कठिन मानदंडों के आधार पर कुछ प्रतिभागियों को ही अंतिम रूप से सफल घोषित किया गया।
प्रसार भारती एक ऐसा प्रतिष्ठित संस्थान है, जहां विनीत गर्ग, सुशील जोशी, संजय बनर्जी, प्रेम कुमार, डॉ मिलिंद टिपनिश जैसे धुरंधर कमेंटेटर्स राष्ट्रीय/अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व करते आ रहे हैं।
उस परिवार में शामिल होना ही अपने आप में गौरव की बात है। नीरज मालद्वार चैनपुर निवासी किसान अमर कांत झा के पुत्र हैं, जो वर्तमान में बतौर अंग्रेजी अध्यापक बीएम. हायर सेकेंडरी स्कूल भवानीपुर, पूर्णिया में कार्यरत हैं।
इस संबंध में नीरज झा ने बताया कि क्रिकेट कमेंट्री उनका जुनून है और वे कमेंट्री के पुरोधा विनीत गर्ग को अपना आदर्श मानते हैं। वे विगत 21 वर्षों से क्षेत्रीय क्रिकेट में कमेंट्री करते आ रहे हैं। इस दौरान लोगों से मिली प्रशंसा ने उन्हें बड़ा सपना देखने के लिए प्रेरित किया।
क्रिकेट कमेंट्री एक समृद्ध और आकर्षक क्षेत्र है, जो न सिर्फ अलग पहचान दिलाती है बल्कि राष्ट्रीय/अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों से मिलने और उनके जीवन के पहलुओं को जानने का अवसर भी प्रदान करती है। बताया कि कमेंटेटर्स पैनल में शामिल होना सबसे जरूरी और पहली सीढ़ी है।
यहां से आगे का सफर कठिन मगर असीमित संभावनाओं से भरा है। प्राइवेट स्पोर्ट्स चैनल्स के आ जाने से कमेंट्री का क्षेत्र और भी विस्तृत हो गया है। फिलहाल उन्हें मान्यता प्राप्त क्षेत्रीय मैचों में कमेंट्री करते हुए अनुभव बटोर कर आगे बढ़ना होगा।
उन्हें पूरा भरोसा है कि अपने स्किल और परिश्रम के दम पर जल्द ही बड़े मंच पर दस्तक देंगे। नीरज ने बताया कि यहां तक पहुंचने में उनके अनुज बरहकुंबा निवासी चंद्रकांत झा का अहम योगदान है। सूचना जुटाने से लेकर वायस स्क्रीनिंग तक उसने अथक परिश्रम किया है।
हिन्दी कमेंट्री एक कठिन विधा है जिसमें भाषा पर नियंत्रण के साथ–साथ खेल की गहरी समझ और अच्छी आवाज का होना जरूरी है। अपनी आवाज, स्किल और प्रतिभा को पहचान देने के लिए नीरज झा ने प्रसार भारती स्पोर्ट्स सेल, नई दिल्ली का आभार जताया है।

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