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    नरपतगंज के सीमावर्ती इलाकों में नशे का जाल, स्मैक की चपेट में बर्बाद होती युवा पीढ़ी

    Updated: Fri, 21 Nov 2025 03:49 PM (IST)

    अररिया जिले के नरपतगंज प्रखंड में नशा एक गंभीर समस्या है, जहां स्मैक की तस्करी युवाओं को बर्बाद कर रही है। भारत-नेपाल सीमा से आसानी से नशीले पदार्थ आ रहे हैं, और युवा इसकी चपेट में आ रहे हैं। माता-पिता इसे छुपाते हैं, जिससे समस्या और बढ़ जाती है। 

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    प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर। (जागरण)

    संवाद सूत्र, फुलकाहा (अररिया)। भारत-नेपाल की खुली सीमा से सटे अररिया जिले के नरपतगंज प्रखंड में आज एक गंभीर सामाजिक संकट गहराता जा रहा है- नशे की लत। विशेषकर सीमावर्ती गांवों में स्मैक, हेरोइन की तस्करी और बिक्री ने युवाओं को अपनी गिरफ्त में ले लिया है।

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    यह धीमा जहर न केवल उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से खोखला कर रहा है, बल्कि पूरे समाज को अंधकार की ओर धकेल रहा है।

    खुली सीमा, खुला रास्ता- नशे का खेल 

    भारत-नेपाल सीमा की लगभग एक सौ किलोमीटर लंबी खुली सीमा से होकर आसानी से अवैध वस्तुएं- जैसे शराब, गांजा, ब्राउन शुगर, और अब सबसे खतरनाक स्मैक- नरपतगंज, फुलकाहा, रानीगंज और फारबिसगंज के ग्रामीण इलाकों में प्रवेश कर रही हैं।

    सुरक्षा तंत्र की कमजोरियों, सीमावर्ती इलाकों की गरीबी और बेरोजगारी के कारण यह व्यापार दिन-ब-दिन फलता-फूलता जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, नेपाल के विराटनगर, सुनसरी और मोरंग जिले से होकर स्मैक के छोटे-छोटे पैकेट तस्करी के ज़रिए बिहार में पहुंचते हैं। सीमा चौकियों पर चेकिंग की व्यवस्था नाम मात्र की है, और स्थानीय तस्करों की मिलीभगत से यह कारोबार खुलेआम चल रहा है।

    युवाओं की बर्बादी की कहानी 

    नरपतगंज के कई गांवों जैसे नरपतगंज, फुलकाहा, मानिकपुर, नवाबगंज, भोड़हर, भंगही, पोसदाहा, तामगंज, बरियारपुर, खैरा, गोखलापुर, पलासी में हजारों युवा स्मैक के आदी हो चुके हैं। इनमें 14 से 28 वर्ष की उम्र के लड़के अधिक हैं, लेकिन चिंता की बात यह है कि अब नाबालिग बच्चे भी इस दलदल में फंसते जा रहे हैं।

    गांव के ही एक परमानंद यादव बताते हैं, कुछ साल पहले ये बच्चे खेल के मैदान में दिखते थे, आज ये सुनसान कोनों में, शौचालयों के पीछे या खाली मकानों में माचिस की डिब्बा और स्मैक के साथ पाए जाते हैं। ये हालत देखकर दिल कांप जाता है।

    घर की चुप्पी, समाज की शर्म 

    अधिकतर माता-पिता इस बात को स्वीकार ही नहीं करना चाहते कि उनका बेटा नशेड़ी बन चुका है। वे या तो चुप रहते हैं या फिर समाज के डर से बात को छुपा लेते हैं। नतीजा यह होता है कि इलाज की जगह ये युवा और गहरे नशे में धंसते चले जाते हैं।

    मानिकपुर गांव की एक मां बताती हैं, हमने अपने बेटे को पढ़ाने के लिए खेत गिरवी रख दिया था। अब वो चोरी करके पैसे मांगता है, नहीं देने पर घर में तोड़फोड़ करता है। हम मर-मर के जी रहे हैं। स्मैक के सेवन से युवा शारीरिक रूप से कमजोर, बीमार और मानसिक रूप से अस्थिर हो जाते हैं।

    नशे की लत छूटने पर झटके, उल्टी, पसीना और अवसाद जैसे लक्षण दिखते हैं। नशा न मिलने पर वे चोरी, झपटमारी और कभी-कभी आत्महत्या तक कर लेते हैं। नरपतगंज के एक निजी क्लीनिक के डॉक्टर का कहना है, पिछले छह महीनों में हमारे पास 40 से अधिक केस आए हैं, जिनमें स्मैक की लत के कारण युवाओं की हालत इतनी खराब थी कि उन्हें तुरंत अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। इलाज लंबा और महंगा है, लेकिन सबसे ज़रूरी है परिवार और समाज का सहयोग।

    स्कूल-कॉलेज छोड़ रहे हैं छात्र 

    नशे की वजह से कई युवा अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ चुके हैं। कुछ स्कूलों में उपस्थिति 60 प्रतिशत से भी नीचे पहुंच गई है। कई कॉलेज छात्र अपने वक़्त का अधिकांश हिस्सा स्मैक पीने वाले साथियों के साथ बर्बाद कर रहे हैं। फुलकाहा के एक शिक्षक बताते हैं, जब कभी किसी छात्र की जेब से माचिस का डब्बा मिलते हैं, तब स्थिति की गंभीरता का अंदाजा लगता है। लेकिन पास में न तो संसाधन है और न ही कोई नीति कि इस पर कैसे नियंत्रण पाया जाए।

    तस्कर कौन हैं और कैसे फैलाते हैं जाल?

    स्थानीय स्तर पर कई छोटे-छोटे गिरोह सक्रिय हैं जो नेपाल से स्मैक मंगवाकर गांवों में इसकी सप्लाई करते हैं। ये तस्कर खुद युवा हैं,कुछ कालेज ड्रॉपआउट, तो कुछ बेरोजगार। वे पहले सस्ते में स्मैक का फ्री ट्रायल देते हैं और बाद में लत लगने पर ऊंचे दाम वसूलते हैं।

    सूत्रों के अनुसार, एक ग्राम स्मैक की कीमत 1500 से तीन हजार रुपये तक होती है। यह धंधा इतना मुनाफे वाला है कि युवा किसान भी खेती छोड़कर इसमें जुड़ रहे हैं। चार जुलाई 2025 जुलाई को मानिकपुर गांव जिस तरह से स्मैक 137 ग्राम स्मैक बरामद से क्षेत्र में कई तरह की चर्चा हो रही है।

    ग्रामीणों का कहना है कि यह क्षेत्र पहले शराब के नाम से प्रचलित था अब स्मैक के नाम से बदनाम हो गया है। ग्रामीण ने कहा ऐसे स्मैक तस्करों पर पुलिस के वरीय अधिकारियों को कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए ताकि भविष्य में आने वाले पीढ़ी बच सके। मामले में फारबिसगंज एसडीपीओ मुकेश कुमार साहा ने कहा कि संबंधित थानाध्यक्ष को ऐसे स्मैक कारोबार पर कार्रवाई करने के लिए कहा गया है।