गीतांजलि के अंग्रेजी अनुवाद टैगोर को मिला था नोबल पुरस्कार
अररिया। विश्व कवि रवींद्रनाथ ठाकुर की 157वीं जयंती इंद्रधनुष साहित्य परिषद ने सोमवार को मनाइ
अररिया। विश्व कवि रवींद्रनाथ ठाकुर की 157वीं जयंती इंद्रधनुष साहित्य परिषद ने सोमवार को मनाई। स्थानीय द्विजदेनी स्मारक उच्च विद्यालय प्रांगण में आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता कर्नल अजित दत्त ने की और संचालन विनोद कुमार तिवारी ने किया। इस मौके पर कर्नल दत्त, मांगन मिश्र, डॉ. अनुज प्रभात, महेंद्र नाथ झा, बलराम बनर्जी, हरिशंकर झा, केदारनाथ कर्ण, हशमत सिद्दीकी, हेमंत यादव, बेगाना सारणवी, जगत नारायण दास, हर्षनारायण दास, हरि नारायण आदि ने अपने उद्बोधन में कहा कि मानव इतिहास में कुछ ऐसे लोग हुए हैं जिन्होंने अपनी प्रतिभा से संपूर्ण विश्व को आलोकित किया। कविगुरु टैगोर भी एक ऐसी ही प्रतिभा के धनी थे। उनका जन्म सात मई (बांग्ला 25 वैशाख) 1861 को कोलकाता के जोड़ासांको निवासी प्रतिष्ठित ठाकुरबाड़ी परिवार में हुआ था। उन्होंने 12 वर्ष की आयु से ही कविता लिखना शुरू कर दिया था और बाद में गद्य साहित्य की रचना भी करने लगे। अपनी प्रसिद्ध रचना गीतांजलि के अंग्रेजी अनुवाद के लिए उन्हें 1913 में साहित्य के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। बताया कि भारत के राष्ट्रगान जन-गण-मन और बांग्लादेश के राष्ट्रगान आमार सोनार बांग्ला. के रचयिता टैगोर ने 1921 में बोलपुर में शांति निकेतन की स्थापना की, जिसे विश्वभारती विश्वविद्यालय भी कहा जाता है। इसे 1951 में केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा प्राप्त हुआ। वक्ताओं ने कहा कि उनके प्रसिद्ध उपन्यासों में चोखेर बाली, नौका डूबी, गोरा आदि तथा नाटकों में चित्रांगदा, राजा ओ रानी, विसर्जन आदि प्रमुख हैं। वहीं संचालन कर्ता तिवारी ने कहा कि बहुमूखी प्रतिभा के धनी गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने साहित्य, संगीत, शिल्प, शिक्षा के क्षेत्र अभूतपूर्व योगदान दिया। तभी तो उनकी निधन पर महात्मा गांधी ने कहा था कि आज भारत के रवि का अस्त हो गया। इस अवसर पर देवेन्द्र कुमार दास, कृत्यानंद राय, शिवनारायण चौधरी, गोपाल झा, सच्चिदानंद ¨सह, नकुल डे, शिवशंकर पाण्डेय, देवकला दास, अर¨वद ठाकुर आदि भी उपस्थित थे। कार्यक्रम का शुभारंभ राष्ट्रीय गान के रचयिता एवं नोबेल पुरस्कार विजेता टैगोर के तैल चित्र पर उपस्थित सज्जन एवं बच्चों द्वारा श्रद्धा अर्पण के साथ किया गया ।
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