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    चलो गांव की ओर: जिले में तिरसकुंड का समौल हाट आज भी है प्रसिद्ध

    By JagranEdited By:
    Updated: Fri, 26 Feb 2021 07:24 PM (IST)

    तिरसकुंड के बेलेय में कुश्ती का कभी जमता था अखाड़ा समय के साथ अब नहीं जुटते पहलवान फ ...और पढ़ें

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    चलो गांव की ओर: जिले में तिरसकुंड का समौल हाट आज भी है प्रसिद्ध

    तिरसकुंड के बेलेय में कुश्ती का कभी जमता था अखाड़ा, समय के साथ अब नहीं जुटते पहलवान फोटो नंबर 26 एआरआर 05 से 13 तक

    अरुण कुमार झा, रेणुग्राम

    (अररिया) : फारबिसगंज तिरसकुंड पंचायत की पहचान यहां लगने बाले हाट व सब्जी खेती के रूप में ज्यादा है। यहां विकास की बयार बह रही है। बड़ी छोटी पुल- पुलिया व सड़कों के जाल से पंचायत चहुंमुखी विकास की ओर अग्रसर है। तिरसकुंड पंचायत की स्थापना 1978 के पंचायत चुनाव के समय हुआ था। वर्ष 2001 में फिर इसका परिसीमन हुआ, जिससे इस पंचायत का समौल मौजा इससे अलग हो गया तथा बेलेय एवं लहसनगंज का कुछ भाग इसका हिस्सा बना। चार मौजा से यह पंचायत बना। पंचायत के तिरसकुंड में सप्ताह में गुरुवार एवं रविवार लगने को लगने वाले हटिया जिले के ग्रामीण क्षेत्रों का सबसे बड़े हाटों में से एक है। जिसकी प्रसिद्धि समौल हाट के नाम से है। यहां आसपास के दर्जनों गावों के अलावा दूसरे प्रखंडों के लोग भी बड़ी संख्या में खरीददारी के लिए पहुंचते है। यहां 60 फीसदी लोग खेती बाड़ी,10 प्रतिशत लोग व्यवसाय,25 फीसद मजदूरी एवं पांच प्रतिशत लोग नोकरी पेशा से जुड़े है। यहां 1978 में नंद किशोर दास मुखिया बने जो 22 वर्षों तक पद पर रहे। उसके बाद 2001 के चुनाव में शमसुल होदा मुखिया बने। इसके बाद 2006 व 2011 में दो टर्म के लिए पंचायत एसटी वर्ग के लिए आरक्षित हो गया। जिसमें क्रमश: प्रधान चौड़ाय एवं उपेंद्र सोरेन मुखिया चुने गए। फिर 2016 के चुनाव में पंचायत अत्यंत पिछड़ा वर्ग महिला के लिए आरक्षित हो गया। जिसमें गांधी देवी मुखिया पद पर निर्वाचित हुई तथा पंचायत की पहली महिला मुखिया बनने का सौभाग्य मिला। मुखिया बनने से पूर्व गांधी देवी 2006 के चुनाव में इस पंचायत की समिति सदस्य भी चुनी गई थी।

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    इतिहास पंचायत के मधुरा गांव स्थित गोलाबाड़ी प्रसिद्ध था। करीब 70-80 के दशक के मध्य गोलाबाड़ी में घने जंगलों का साम्राज्य था। जहां बाघ, चीता, भालू आदि बड़े बड़े जीव जंतु का बसेरा रहता था। उस समय के याद को करते हुए वयोवृद्ध समाजसेवी गंगानंद पांडे बताते है कि गोलाबाड़ी में घने वन के रहने के कारण दिन में भी लोग इसके आसपास होकर गुजरने से डरते थे। लेकिन समय के चक्र में सब खत्म हो गया।अब यहां एक सुंदर गाव बस गया है। ---------------------

    भौगोलिक स्थिति

    पंचायत की भौगोलिक स्थिति नौ किमी लंबाई तथा चौड़ाई सात किमी की है। तिरसकुंड, बेलेय, मधुरा लहसनगंज के कुछ भाग एवं मधुरा मिलाकर बने तिरसकुंड पंचायत में 18 वार्ड है। नयानगर, आदिवासी टोला गोलाबाड़ी, आदिवासी टोला भटोत्तर, राय टोला भी इसका हिस्सा है। पश्चिम में खैरखां व पोठिया, पूरब में खावासपुर, उत्तर रमई तथा दक्षिण में हलहालिया पंचायत इसकी सीमा है।

    --------------------------------- विशेषता

    तिरसकुंड पंचायत का समौल हाट यहां की विशेष पहचान है। जहां दूर दराज से लोग हटिया करने आते है। यहां सब्जी की खेती प्रसिद्ध है। यहां उपजाए गए सब्जी खासकर गोभी, बैगन, साग इत्यादि फारबिसगंज, अररिया मंडी में भी पहुंचती है। यहां

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    चिकित्सीय सेवा का अभाव

    जिले के चर्चित हाट के रूप में प्रसिद्ध समौल तिरसकुंड में न तो उप स्वास्थ्य केंद्र ही है न ही पशु चिकित्सालय है।

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    धार्मिक व ऐतिहासिक स्थल

    तिरसकुंड पंचायत के बेलेय गांव के सुनसान स्थान पर स्थित सोहद्रा माई का स्थान काफी ऐतिहासिक है। मान्यता है कि यहां लोगों की सच्ची मन से मांगी मुराद पूरी होती है। यहां चार छोटे छोटे खूबसूरत मंदिर भी बने है। जहां मनरेगा के तहत लगे पौधे इसकी सुंदरता को बढ़ाती है। वही बेलेय का चंडी महेश्वर धाम, तिरसकुंड का शिव व काली मंदिर, नयानगर स्थित शिव व दुर्गा मंदिर तथा गोलाबाड़ी का दुर्गा मंदिर तथा चर्च व मस्जिद धार्मिक समरसता को दर्शाती है।

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    प्रमुख हस्ती स्व. सदानंद ठाकुर,स्व.गैनू पांडे, स्व. सुलेमान, स्व. चुनमुन झा, स्व. महावीर मंडल, स्व. अनुपलाल ठाकुर, स्व. घुटाई दास, स्व. मधेशी दास, स्व. भागवत नारायण पांडे, स्व. जयपाल विश्वास, स्व. योगानंद ठाकुर, स्व. सौखी लाल बैठा, स्व. पंचम मंडल, स्व. सिहेश्वर मंडल, स्व. पंडित लाल बिहारी झा, स्व. मथुरानंद ठाकुर, स्व.धुनाई मंडल स्व. जगत मंडल स्व. गुल्थू मंडल, स्व. पंचलाल बैठा, शिवानंद ठाकुर,शिवनारायण भगत, सूर्यानंद बैठा, डा. दिलीप मंडल, आदि ।

    -------------------------- कुश्ती का था बोलबाला

    पूर्व के समय में बेलेय में कुश्ती का काफी बोलबाल था। जहां कुश्ती की प्रतियोगिता भी होती थी। कई दिग्गज पहलवान भी यहां हुए। अब यह संरक्षण के अभाव में इतिहास बन कर रह गया है।

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    मुखिया का दावा

    तिरसकुंड पंचायत की मुखिया गांधी देवी का कहना है वे 2016 में अत्यंत पिछड़ा वर्ग महिला के लिए आरक्षित होने के बाद पंचायत की पहली मुखिया बनी। इससे पहले वे पंचायत समिति सदस्य रह चुकी है। विकास के मामले में इनका दावा है कि जिले में यह पंचायत कार्य के मामले में किसी से पीछे नहीं है। जो संसाधन उपलब्ध हुआ उसका उपयोग हुआ है। पिछले पांच वर्षों में पंचायत में विकास के ढेर सारे कार्य किए गए है। पंचायत में सड़क व पुल पुलिया का जाल बिछाया गया है। पंचायत के सभी वार्डो में सात निश्चय योजना के तहत सड़क बन चुकी है। जिससे गली मोहल्ले का मुख्य सड़क से जुड़ाव हो गया है। मनरेगा के तहत जगह जगह पौधा रोपण करवाया गया है। कई पोखरों का जीर्णोद्धार भी हुआ है। बेलेय में काली झा के घर से आदिवासी टोला तक दो फेज में 2500 फीट, हरदेव पासवान के घर से गनपत मंडल घर होते हुए 1500 फीट लंबी सड़क बनाई गई है। पंचायत में पीसीसी, पेबर ब्लॉक की सड़कें बनी है। एक दर्जन पुल पुलिया का निर्माण हुआ है। तीन हजार से अधिक शौचालय बने हैं। जल नल योजना का कार्य भी प्रगति पर है। पंचायत की जनता से मिले आशीर्वाद पर खरा उतरने का उनका प्रयास रहा है।

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    क्या कहते है मुखिया प्रतिनिधि

    मुखिया प्रतिनिधि सदानंद मंडल ने कहा पांच वर्षों में बेहतर विकास हुआ है। विकास के प्रति मुखिया काफी सख्त है। इनके कार्यों की बेहतर सराहना मिलती रहती है। अगर आगे मौका मिला तो विकास की गंगा यहां बहेगी। सांसद व विधायक के पहल पर यदि यहां पंचायत सरकार भवन बने और आरटीपीएस काउंटर चालू हो तो लोगों को ब्लॉक के चक्कर से निजात मिलेगी।

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    ग्रामीण, हरदेव पासवान उनके पंचायत में काफी विकास हुआ है। वर्तमान मुखिया बिना किसी भेद भाव किए कार्य करती है। गांव में कब्रिस्तान जाने वाली सड़क, सरदार बांध सड़क का निर्माण आदि ऐसे कार्य है जिससे आम जनों को काफी सहूलियत हुई है। -------------------------------------------

    ग्रामीण शंभू दास विकास के कई कार्य पंचायत में हुए है। सात निश्चय योजना से सभी बार्डो में सड़क बनी है। गली गली में सड़क बनने से लोगों को कीचड़ से निजात मिला है। पंचायत में सरकार भवन नहीं रहने से असुविधा उत्पन्न है। उन्होंने कहा पंचायत में जिस तरह विकास का कार्य हुआ है। आने वाले दिनों में उनका पंचायत में किसी तरह की समस्या नहीं रहेगी।

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    ग्रामीण युवा शिव कुमार भगत का कहना है कि गाव में विकास तो हुआ है लेकिन अभी भी बहुत कुछ होना बांकी है। पंचायत में स्वास्थ्य केंद्र नही रहने से आम जनों को काफी कठिनाई झेलनी पड़ती है। यहां पशु अस्पताल व स्वास्थ्य सुविधा जल्द बहाल हो इसका प्रयास होना चाहिए। ------------------------------------------

    ग्रामीण राजीव रंजन उर्फ मुन्ना पांडे कहते हैं पंचायत के मधुरा एवं तिरसकुंड आदि भागों में बाढ़ की समस्या बनी रहती है। इससे लोगों को निजात मिले। तिरसकुंड एवं मधुरा को जोड़ने वाली सड़क तो बनी है लेकिन बलुआही धार में उच्च स्तरीय पुल नही रहने से परेशानी होती है। बाढ़ बरसात में नाव से पार उतरना पड़ता है। ----------------------------

    युवा अमित कुमार का कहना है हमारा पंचायत कृषि प्रधान रहने के कारण बड़ी संख्या में लोग पशु पालन भी करते है। ऐसे में पशु चिकित्सालय होना चाहिए। वही यहां सब्जी खेती प्रचुर मात्रा में की जाती है। सरकारी स्तर प्रोत्साहन मिले तो किसानों को काफी लाभ होगा। रोजगार के साधन उपलब्ध होंगे।

    परिचय

    पंचायत का नाम : तिरसकुंड

    प्रखंड : फारबिसगंज

    आबादी : लगभग 2100

    मतदाता :9200

    साक्षरता :71 प्रतिशत

    विद्यालय: प्राथमिक विद्यालय : चार, मध्य विद्यालय :तीन ,मदरसा : एक,उच्च विद्यालय :एक

    प्राथमिक

    उप स्वास्थ्य केंद्र :नहीं

    पशु चिकित्सालय :नहीं

    पुल पुलिया :बेहतर

    आंगनबाड़ी केंद्र :11

    सीएसपी केंद्र :दो

    पंचायत भवन : है

    पंचायत सरकार भवन : नहीं

    रोजगार :कृषि , व्यवसाय, पशु पालन, मजदूरी