Bihar Politics: जोकीहाट में 3 पूर्व मंत्री आमने-सामने, AIMIM के किले में दरार
अररिया के जोकीहाट विधानसभा चुनाव में इस बार तीन पूर्व मंत्री आमने-सामने हैं, जिससे मुकाबला दिलचस्प हो गया है। एआईएमआईएम के गढ़ में दरार दिख रही है। राजद ने शाहनवाज आलम को उम्मीदवार बनाया है, तो जनसुराज से सरफराज आलम मैदान में हैं। एआईएमआईएम से मुर्शीद आलम और जदयू से मंजर आलम भी चुनाव लड़ रहे हैं। कभी यह क्षेत्र स्व. तस्लीमुद्दीन के नाम से जाना जाता था, जिनके बेटों के बीच मुकाबला है।

जोकीहाट में 3 पूर्व मंत्री आमने-सामने
अफसर अली, अररिया। जोकीहाट विधानसभा चुनाव काफी दिलचस्प बन गया है। यहां तीन पूर्व मंत्री आमने-सामने हैं। यहां एआईएमआईएम के किले में भी दरारें पड़ती दिख रही हैं। यहां तीन पूर्व मंत्री सहित चार प्रत्याशियों के बीच जबरदस्त मुकाबला है। राजनीतिक पंडितों की मानें तो इस बार जीत-हार का अंतर भी कम होगा।
कभी इस क्षेत्र की राजनीतिक सीमांचल गांधी के नाम से चर्चित पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व. तस्लीमुद्दीन के ही ईर्दगिर्द घूमती रही थी। आज उनके राजनीतिक विरासत को उनके दो पुत्रों ने आमने-सामने होकर चुनावी परिदृश्य को ही बदल दिया है। राजद ने स्व. तस्लीमुद्दीन के छोटे पुत्र सिटिंग विधायक सह पूर्व मंत्री शाहनवाज आलम को उम्मीदवार बनाया है।
जनसुराज से उनके बड़े बेट पूर्व सांसद सह पूर्व मंत्री सरफराज आलम मैदान में हैं। एआईएमआईएम (मीम) से मुर्शीद आलम और जदयू से पूर्व मंत्री मंजर आलम चुनाव मैदान में हैं। यहां पिछले चुनाव में एआईएमआईएम के टिकट पर शाहनवाज आलम ने जीत दर्ज की थी। बाद में वे राजद में शामिल हो गए थे। पिछले चुनाव में मिली जीत से एआईएमआईएम का मनोबल भी उंचा है।
हालांकि, एआईएमआईएम से टिकट नहीं मिलने पर प्रभावशाली कार्यकर्ता अब्दुल्लाह सालीम चतुर्वेदी खुलकर बगावती तेवर दिखा रहे हैं। ऐसे में मीम के किले में दरार पड़ती दिख रही है।
जदयू के पूर्व मंत्री एनडीए के कैडर वोट को एकजुट करने में कितने कामयाब हो पाते हैं, यह देखने की बात होगी। चूंकि जोकीहाट सीट मुस्लिम बाहुल्य है। यहां 65 फीसदी से अधिक आबादी मुस्लिम समुदाय की है। करीब 35 फीसदी हिंदू समुदाय के लोग बसते हैं। इसमें दस फीसदी पिछड़ी, 13 फीसदी अनुसूचित जाति व अन्य शामिल है।
मिली विरासत
मु. तस्लीमुद्दीन की अररिया सांसद रहते हुए 2017 में निधन हो गया। उस समय जोकीहाट के विधायक तस्लीमुद्दीन के बड़े बेटे सरफराज आलम थे। पिता की विरासत संभालने के लिए सरफराज आलम ने विधायक पद से त्यागपत्र देकर संसदीय उपचुनाव में जीत दर्ज की। जोकीहाट सीट खाली होने पर 2018 के उपचुनाव में शाहनवाज आलम राजद के टिकट पर पहली बार विधायक बने थे।
2005 में जदयू से मंजर आलम जोकीहाट के विधायक बने तो नीतीश सरकार में उन्हें अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री बनाया गया था। सरफराज आलम जो जोकीहाट विधानसभा से विधायक बने थे, उन्हें भूमि सुधार एवं राजस्व मंत्री बनाया गया था। जोकीहाट में 1967 में पहला विधानसभा चुनाव हुआ था।
इस सीट पर अब तक 16 बार चुनाव हो चुका हैं, जिनमें उपचुनाव भी शामिल हैं। स्व तस्लीमुद्दीन और उनके बेटों ने 11 बार इस सीट पर कब्जा जमाया है। स्व. तस्लीमुद्दीन ने कांग्रेस (1969), निर्दलीय (1972), जनता पार्टी (1977, 1985) और समाजवादी पार्टी (1995) से जीत हासिल की।
केंद्र में वे राज्य मंत्री भी रहे थे। उनके बेटे सरफराज आलम 1996 के उपचुनाव में जनता दल से और 2000 में राजद से जीत दर्ज की। 2005 में हार के बाद उन्होंने 2010 और 2015 में जदयू के टिकट पर वापसी की, लेकिन बाद में राजद में लौट आए।.
2020 के चुनाव में बड़ा उलटफेर हुआ जब सरफराज ने राजद के टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें छोटे भाई शाहनवाज आलम ने हरा दिया, जो उस समय एआईएमआईएम के टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे। शाहनवाज ने 7,383 वोटों से जीत हासिल की और बाद में राजद में शामिल हो गए।
यहां से जदयू चार बार, कांग्रेस, जनता पार्टी, राजद और निर्दलीय उम्मीदवारों ने दो-दो बार जीत हासिल की है। प्रजा सोशलिस्ट पार्टी, जनता दल, समाजवादी पार्टी और एआईएमआईएम ने एक-एक बार जीत दर्ज की है।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।