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    Araria News: अररिया में खतरनाक बीमारी का कहर, अब एक और बच्ची ने गंवाई जान; 10 दिन में हुईं 5 मौतें

    अररिया जिले के रानीगंज प्रखंड में पिछले दस दिनों में पांच बच्चों की मौत हो गई है। अनुसूचित जाति की आबादी वाले इस टोले के बच्चे कुपोषण और बीमारियों से जूझ रहे हैं। गांव में मेडिकल टीम कैंप कर रही है और बच्चों का इलाज किया जा रहा है। बता दें कि सोमवार तक चार बच्चों की मौत की खबर थी। अब एक और बच्चे ने जान गंवा दी है।

    By Afsar Ali Ansari Edited By: Mukul Kumar Updated: Tue, 10 Sep 2024 03:30 PM (IST)
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    प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर

    संवाद सूत्र, रानीगंज (अररिया)। रानीगंज प्रखंड के मझुवा पूरव पंचायत में बीमारी से एक और ढाई साल की बच्ची मुस्कान ने जान गंवा दी है। उसकी मौत उपचार के दौरान देर रात पूर्णिया मेडिकल कॉलेज में हो गई।

    पिछले दस दिनों के दौरान पांचवें बच्चे की जान चली गई है। मंगलवार की सुबह बच्ची का शव गांव पहुंचते ही ग्रामीण आक्रोशित हो गए। स्वास्थ्य विभाग पर घोर लापरवाही का आरोप लागया।

    उनका कहना है कि स्वास्थ्य विभाग बीमार बच्चे को अस्पताल में भर्ती कराने ले जाता है, लेकिन वहां सही तरीके से देखभाल नहीं होता है। चार बच्चे अभी भी अस्पताल में भर्ती है।

    स्वजनों का कहना है कि जब तक अररिया अस्पताल से चारो बच्चे को गांव नहीं पहुंचाया जाएगा तबतक इस बच्ची का अंतिम संस्कार नहीं कराने दिया जाएगा।

    रानीगंज प्रखंड पिछले दस दिनों के दौरान itnमौत के बाद गांव सुर्खियों में आ गया है। अनुसूचित जाति की आबादी वाले इस टोले के बच्चे अब भी महफूज नहीं हैं।

    हालांकि, एक सप्ताह से मेडिकल टीम गांव में कैंप कर रही है। बीमार बच्चों को जांच कर दवा दी जा रही है। रविवार की शाम एकाएक चार बच्चे गंभीर हो गए। तेज बुखार के कारण बच्चों की हालत चिंताजनक बन गई थी। मेडिकल टीम के सदस्यों ने चारों बच्चों को एंबुलेंस से सदर अस्पताल अररिया भेजा।

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    आंगनबाड़ी केंद्र में नहीं मिलता है पौष्टिक आहार

    इसमें मुस्कान की हालत अधिक खराब होने पर पूर्णियां मेडिकल कॉलेज भेजा गया था। वर्तमान में संतोष ऋषिदेव का 13 वर्षी पुत्र आयुष कुमार, सुबोध ऋषिदेव का चार साल का पुत्र गोपाल कुमार व ढाई साल की बेटी सोनम कुमारी अररिया सदर अस्पताल में भर्ती हैं। 

    महादलित टोला में अधिकांश लोग मजदूर तबके हैं। मजदूरी कर अपने परिवार की परवरिश करते हैं। यहां के बच्चों को पौष्टिक आहार नहीं मिल पाता है। जिस कारण अधिकांश बच्चे कुपोषण के शिकार हैं। इ

    स टोले में आंगनबाड़ी केंद्र नहीं है। नदी के उस पार के गांव में आंगनबाड़ी केंद्र हैं, परंतु यहां के बच्चे पौष्टिक आहार से वंचित हैं। अब इस टोले में भी आंगनबाड़ी केंद्र खोलने की मांग जोर शोर से उठने लगी है।

    सीएस डॉ केके कश्यप ने सोमवार को बताया कि कुछ बच्चों के ब्लड सैंपल की जांच पटना में कराई गई। जिसमें चिकनगुनियां बीमारी की पहचान हुई है। यह मच्छर के काटने से होता है।

    उन्होंने कहा कि साधारण रूप से यह जानलेवा नहीं होता है, लेकिन कमजोर बच्चों के लिए गंभीर साबित हो सकता है। गांव में स्वास्थ्य विभाग की टीम कैंप कर रही है। गांव पर पूरी नजर बनाएं हुए हैं। धीरे धीरे स्थिति सामान्य हो रही है।