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    सजगता और नशा से परहेज कर बच सकते है कैंसर से

    By JagranEdited By:
    Updated: Wed, 03 Feb 2021 11:44 PM (IST)

    अररिया। जिले में आज भी कई लोग कैंसर का नाम सुनते ही सिहर उठते हैं और बहुत लोगो को ...और पढ़ें

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    सजगता और नशा से परहेज कर बच सकते है कैंसर से

    अररिया। जिले में आज भी कई लोग कैंसर का नाम सुनते ही सिहर उठते हैं और बहुत लोगो को आज भी ये लगता है की कैंसर एक लाइलाज बीमारी है, लेकिन हकीकत ठीक इसके विपरीत है।

    जिले के बहुत से लोग आज न केवल कैंसर को मात दे चुके हैं बल्कि सही जीवन शैली अपना कर सामान्य जीवन जी रहे है। ये कहना है शहर के मशहूर चिकित्सक डॉ. गोपाल कुमार झा का। डॉ. झा जिले में ईएनटी के मशहूर चिकित्सक के रूप में जाने जाते है। इतना ही नहीं किसी मरीज में कैंसर के प्रारंभिक लक्षण पाए जाने पर उन्हें बेहतर इलाज, मिलने वाली सरकारी सहायता, कैंसर संस्थान की जानकारी भी निश्शुल्क उपलब्ध कराते है। विश्व कैंसर दिवस पर जानकारी साझा करते हुए उन्होंने बताया कि सीमांचल क्षेत्र में अब बहुत सारे लोग कैंसर के शिकार इसका प्रमुख कारण गलत जीवनशैली और नशे की आदत है। नशा चाहे कोई भी हो वो हमारे लिए काफी खतरनाक होता है। आज कल की युवा पीढ़ी गुटखा, खैनी, गुल, पान आदि के लत के शिकार हो जाते है। आरंभ में तो उन्हें ये खाना अच्छा लगता है मगर धीरे- धीरे वे इसके आदि हो जाते है और फिर यही आदत उन्हें कैंसर तक पहुंचा देता है।

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    डॉ. झा ने बताया कि कैंसर के विषय में आज भी लोगों के बीच में भ्रामक जानकारी है। आज भी लोग कैंसर होने पर इसे लाइलाज समझते है जो कि बिल्कुल गलत है। कैंसर मुख्यत: चार चरण में विभाजित किये गए है। पहले और दूसरे चरण में इलाज काफी आसान और कम खर्चीला होता है। अगर मरीज जागरूक हो और कैंसर के गांठ, घाव या इसके लक्षण को इन दो चरणों मे चिन्हित कर ले तो वो अपना इलाज कराकर सामान्य जिदगी जी सकते है वही कैंसर का तीसरा चरण या चौथा चरण थोड़ा मुश्किल है जहां कैंसर शरीर मे फैल चुका होता है मगर ये कहना पूरी तरह गलत होगा कि इन चरणों मे मरीज का इलाज नही हो सकता है। आज विज्ञान काफी तरक्की कर चुका है और कैंसर का इलाज पूरी तरीके से सम्भव है मगर तीसरे चरण और चौथे चरण में खर्च काफी अधिक होता है और रिस्क फैक्टर भी अधिक है। इसलिए लोगो को चाहिए की लोग कैंसर के विषय में जागरूक और शरीर में किसी तरह की आसामान्य गतिविधि, गांठ, आदि होने पर चिकित्सक से संपर्क करें। चिकित्सक को भी होना चाहिए की कैंसर का शक होने पर वो समय जाया न कर मरीज का बॉयोप्सी कराये। क्योंकि इस बीमारी में समय बहुत महत्वपूर्ण है और लोग जितना जल्दी इलाज आरंभ करेंगे उनके ठीक होने की उम्मीद उतनी ही ज्यादा होगी।-

    कैंसर की पहचान है जरूरी डॉ. झा ने बताया कि कैंसर से दूर रहने के लिए नशा से बचना अति आवश्यक है, जो लोग तंबाकू या मीठी सुपारी आदि खाते है। उनका मुंह धीरे खुलना कम हो जाता है जिसे ऑरल सबकुब्स फाइब्रोसिस कहते है। धीरे- धीरे मुंह में लाल, सफेद, काले दाग होने लगते है। ये ऐसा वक्त है जब लोग बुरी आदतों को छोड़ कर कैंसर से बच सकते है। अगर लोग इसके बाद भी तंबाकू का सेवन जारी रखते है तो वो कैंसर की चपेट में आ जाते है। डॉ. झा ने बताया कि इसके अलावा शराब पीने से गलत जीवनशैली से भी कई तरह के कैंसर के शिकार होते है जिसमें ब्लड कैंसर, फेफड़ों के कैंसर, ब्रेन कैंसर, स्तन कैंसर, स्कीन कैंसर, लिवर कैंसर, बोन कैंसर और पेट का कैंसर सहित अन्य कैंसर शामिल है।

    कैंसर से बचने के लिए सावधानी है जरूरी डॉ. झा ने बताया कि हम स्वास्थ्य जीवनशैली अपना कर कैंसर से बच सकते है। रोज व्यायाम करना, हरी साग, सब्जी का सेवन करना, फल का सेवन करना, धूल, प्रदूषण, साफ पानी, नशे से दूर रहकर हम कैंसर से बच सकते है। इसके अलावा हम किसी भी लक्षण को नजरअंदाज किये बगैर चिकित्सक से संपर्क कर आरंभ में ही कैंसर को मात दे सकते है। सरकारी और निजी स्तर पर मिलती है मदद डॉ. झा ने बताया कि कैंसर के एडवांस स्टेज में इलाज कराने पर पांच से दस लाख तक का खर्च आ सकता है, लेकिन मरीज के जागरूक होने पर केंद्र सरकार और राज्य सरकार सहित कई एनजीओ द्वारा कई योजना चल रही है। जिससे मरीजों को काफी राहत मिल सकती है। भारत सरकार के आयुष्मान भारत योजना, कैंसर रोगी निधि योजना का लाभ लेकर मरीज काफी खर्च में और निश्शुल्क भी इलाज करा सकते है। इसके अलावा कई एनजीओ भी कैंसर रोगियों के इलाज में काफी मदद करती है। मरीज और उनके परिजन ऑनलाइन सारी जानकारी प्राप्त कर सकते है।

    कैंसर को पराजित कर जी रहे हैं सामान्य जिदगी जिले में कई लोग कैंसर जैसे बीमारी को पराजित कर सामान्य जिदगी जी रहे है। जिले के गैयारी निवासी अनवारुल हक को वर्ष 2016 में मुंह में एक गांठ महसूस हुआ उसने तुरंत ईएनटी चिकित्सक से संपर्क किया। चिकित्सक की सलाह पर उसने बायोप्सी करवाई तो मुंह में कैंसर की पुष्टि हुई। अनवारुल ने समय जाया करने के बजाय महावीर कैंसर अस्पताल में अपना इलाज कराने का निर्णय लिया, जिसमे परिवार ने उसका पूरा सहयोग किया। अनवारुल कहते है कि उस दौर में कई लोगो ने मुझे दिग्भ्रमित करने और डराने का भी काम किया मगर उसने हिम्मत से कम लिया और कैंसर संस्थान में इलाज कराया। एक लाख से भी कम खर्च में उसकी सर्जरी कर कैंसर वाले स्थान को हटा दिया गया। आज इस वाकया को चार साल बीत चुके है और अब वो पूरी तरह सामान्य जीवन व्यतीत कर रहे है। अनवारुल कहते है कि अगर उस वक्त मैंने आधुनिक चिकित्सा से पर विश्वास नही किया होता तो शायद में इस बीमारी की चपेट में पूरी तरीके से आ जाता और एडवांस स्टेज में इलाज कराने में काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता मगर उस वक्त के मेरे सही निर्णय ने साथ ही परिवार के सहयोग और जागरूकता के कारण में इस बीमारी से आसानी से उबर गया।